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संस्कृति पर बेला

17 जुलाई 2024

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-5

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-5

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह पाँचवीं कड़ी है। पहली, तीसरी और चौथी कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर्स के नामों को यथावत् रखा था और छात्रों के नाम बदल दिए थे। दूसरी कड़ी में प्रोफ़ेसर्स और छात्र दोनों पक्षों के

03 जुलाई 2024

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-4

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-4

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह चौथी कड़ी है। पहली और तीसरी कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर्स के नामों को यथावत् रखा था और छात्रों के नाम बदल दिए थे। दूसरी कड़ी में प्रोफ़ेसर्स और छात्र दोनों पक्षों के नाम बदले

27 जून 2024

जौनपुर भड़ैंती उर्फ़ नक़ल : एक ख़त्म होती नाट्य-विधा

जौनपुर भड़ैंती उर्फ़ नक़ल : एक ख़त्म होती नाट्य-विधा

कुछ वर्ष पूर्व तक पूर्वांचल के देहातों-क़स्बों-शहरों की दीवारों पर हिंदुस्तानी, अवधी या भोजपुरी में लिखे सूचना-पट्ट इस तरह के होते थे—कल्लू नक़्क़ाल, बिस्मिल्लाह भाँड, रमपत हरामी मंडली इत्यादि...  कि

26 जून 2024

इंडिया फ़ेलो अपने 17वें बैच के लिए ले रहा है आवेदन

इंडिया फ़ेलो अपने 17वें बैच के लिए ले रहा है आवेदन

इंडिया फ़ेलो युवा भारतीयों के लिए सामाजिक नेतृत्व हासिल करने का कार्यक्रम है। यह भारतीय परिवेश में ज़मीनी स्तर से जुड़कर, काम करते हुए, अनुभव हासिल करते हुए भारत के अध्येताओं को अपनी नेतृत्व क्षमता खोज

24 जून 2024

सूफ़ी आंदोलन के कुछ अनछुए पहलू

सूफ़ी आंदोलन के कुछ अनछुए पहलू

सन्यासी फ़क़ीर विद्रोह के नायक बाबा मजनू शाह आज़ादी के लिए देश में कई लड़ाईयाँ लड़ी गई हैं और कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया है। इतिहास में दर्ज पहला स्वाधीनता संग्राम फ़क़ीर-सन्यासी वि

23 जून 2024

क्या है क़व्वाली वाया सूफ़ी-संगीत का खुलता दरीचा

क्या है क़व्वाली वाया सूफ़ी-संगीत का खुलता दरीचा

हिंदुस्तान में क़व्वाली सिर्फ़ संगीत नहीं है। क़व्वाली इंसान के भीतर एक सँकरे मार्ग का निर्माण करती है, जिसमें एक तरफ़ ख़ुद को डालने पर दूसरी तरफ़ ईश्वर मिलता है। क़व्वाली की विविध विधाएँ हिंदुस्तान म

22 जून 2024

गंगा-जमुनी तहज़ीब और हिंदुस्तानी सूफ़ीवाद

गंगा-जमुनी तहज़ीब और हिंदुस्तानी सूफ़ीवाद

हमारी इस साझा संस्कृति का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ है। यह धीरे-धीरे विकसित हुई है। कई सामाजिक प्रयोग हुए हैं और अपने विरोधाभासों को किनारे रखकर समानताओं पर कार्य किया गया है। शुरूआती दौर का सूफ़ी-स

21 जून 2024

कोटि जनम का पंथ है, पल में पहुँचा जाय

कोटि जनम का पंथ है, पल में पहुँचा जाय

हिंदुस्तान में सूफ़ी-भक्ति आंदोलन एक ऐसी पुरानी तस्वीर लगता है, जिसके टुकड़े-टुकड़े कर विभिन्न दिशाओं में फेंक दिए गए। जिसे जो हिस्सा मिला उसने उसी को सूफ़ी मान लिया। हिंदी, उर्दू, फ़ारसी, पंजाबी, बंगाली,

12 जून 2024

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-3

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-3

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह तीसरी कड़ी है। पहली कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर के नाम को यथावत् रखा था और छात्रों के नाम बदल दिए थे। दूसरी कड़ी में प्रोफ़ेसर्स और छात्र दोनों पक्षों के नाम बदले हुए थे। अब त

31 मई 2024

किताब उसकी है जिसने उसे पढ़ा, उसकी नहीं जिसके किताबघर में सजी है

किताब उसकी है जिसने उसे पढ़ा, उसकी नहीं जिसके किताबघर में सजी है

एक  हर किताब अपने समझे जाने को एक दूसरी किताब में बताती है। —वागीश शुक्ल, ‘छंद छंद पर कुमकुम’ जब बाज़ार आपको, आपका निवाला भी चबा कर दे रहा है; तब क्या पढ़ें और किसको पढ़ें? एक अच्छा सवाल है। को

01 मई 2024

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से

जेएनयू द्वारा आयोजित वर्ष 2012 की (एम.ए. हिंदी) प्रवेश परीक्षा के परिणाम में हर साल की तरह छोटे गाँव और क़स्बे इस दुर्लभ टापू की शांति भंग करने के लिए घुस आए थे। हमारी क्लास एलएसआर और मिरांडा हाउस जैस

10 अप्रैल 2024

सिफ़्सी लेकर आ रहा है देश-विदेश की 150 फ़िल्में

सिफ़्सी लेकर आ रहा है देश-विदेश की 150 फ़िल्में

स्माइल फ़ाउंडेशन—यूरोपीय संघ (भारत में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल) के साथ साझेदारी में बच्चों और नौजवानों के लिए वार्षिक स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (सिफ्सी) के 10वें संस्करण की मेज़बानी करेगा। स

09 अप्रैल 2024

'हिन्दवी' की नई प्रस्तुति : साहित्य और संस्कृति की घड़ी : ‘बेला’

'हिन्दवी' की नई प्रस्तुति : साहित्य और संस्कृति की घड़ी : ‘बेला’

‘हिन्दवी’ इस तरह की कोशिशों में यक़ीन करती आई है कि वह हो चुके को ख़ूबसूरत ढंग से सहेज ले। लेकिन इसके साथ-साथ हमारी मंशा यह भी रही है कि हम हो रहे को भी दर्ज करें। इस सिलसिले में हमने अपनी शुरुआत में ह

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