जीवन पर बेला
जहाँ जीवन को स्वयं कविता
कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।
आम की बेला
मिरा वक़्त मुझ से बिछड़ गया मिरा रंग-रूप बिगड़ गया जो ख़िज़ाँ से बाग़ उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ मुज़्तर ख
नायक खोजते अ-नायक हो तुम
उल्टी धार के लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए। परेशानियों का शुक्रिया कहना चाहिए। अधम मनुष्यों से दूर रहना चाहिए। कविता में सू
8/4 बैंक रोड, इलाहाबाद : फ़िराक़-परस्तों का तीर्थ
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एम.ए. में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी मेरे मित्र बन गए। मैं उनसे उम्र में छोटा था, लेकिन काव्य हम
निश्छल नारी की नोटबुक
ऊषा शर्मा की डायरी ‘रोज़नामचा एक कवि पत्नी का’ (संपादक : उद्भ्रांत, प्रकाशक : रश्मि प्रकाशन, संस्करण : 2024) एक ऐसी कृति
माही मार रहा है
आईपीएल ख़त्म हो गया। आख़िरकार ‘आरसीबी’ [रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु] ने अपना पहला खिताब जीत ही लिया। विराट कोहली का अठारह साल
कमज़ोर दिखना भी एक नैतिक शक्ति है
एक दिन दोपहर की चिलचिलाती धूप में, मैं बिल्कुल सामान्य तरीक़े से सड़क पार कर रही थी। तभी अचानक, एक बाइक वाले ने मुझे इतन
ताइवान : गाओची रोड पर जीवन
गाओची रोड से मेरा पहला परिचय तब हुआ था, जब मैं इस सड़क के किनारे वाली कॉलोनी में कमरे की तलाश में गया था। कमरा मुझे रसोई
प्रेम जब अपराध नहीं, सौंदर्य की तरह देखा जाएगा
पिछले बरस एक ख़बर पढ़ी थी। मुंगेर के टेटिया बंबर में, ऊँचेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने पहुँचे प्रेमी युगल को गाँव वालों न
23 मई 2025
इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-3
दूसरी कड़ी से आगे... हाँ तो मैं ऑटो में था। वह धड़धड़ाता हुआ बैरहना डाट पुल से सीएमपी कॉलेज से मेडिकल चौराहा होते हुए
ओ इरशाद, प्यारे इरशाद! अलविदा!
ओ अज़ीज़ इरशाद खान सिकंदर! ओ बुजुर्गों की तमीज़ से भरे युवा इंसान और शाइर-कवि! यह अचानक क्या! तुम्हारी हमेशा-हम
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी महिला छात्रावास का फ़ोन, कविता और प्रेम
दूसरी कड़ी से आगे... टेलीफ़ोन का युग मध्यवर्गीय परिवार के लिए तब आया, जब मैं पंद्रह-सोलह साल का रहा होऊँगा। नब्बे का दश
यूनिवर्सिटी का प्रेम और पापा का स्कूटर
पहली कड़ी से आगे... उन दिनों इलाहबाद में प्रेम की जगहें कम होती थीं। ऐसी सार्वजनिक जगहों की कमी थी, जहाँ पर प्रेमी युग
07 मई 2025
रवींद्रनाथ का भग्न हृदय
विलायत में ही मैंने एक दूसरे काव्य की रचना प्रारंभ कर दी थी। विलायत से लौटते हुए रास्ते में भी उसकी रचना का कार्य चालू र
चिट्ठीरसा : कुछ परंपराओं का होना, जीवन का होना होता है
डाकिया आया है। चिट्ठी लाया है। ये शब्द अम्मा को चुभते थे। कहतीं चिट्ठीरसा आए हैं, बड़ी फुर्ती से उस दिन ओसारे से दुआर तक
22 अप्रैल 2025
इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-2
पहली कड़ी से आगे... इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था। दोपहर हो गई थी। बिस्तर मेरे भार से दबा हुआ था। मुझे उसे दबाएँ रखने क
दो दीमकें लो, एक पंख दो
मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इस कार्यक्रम के आयोजकों और नियामकों का जिन्होंने मुझे आपके रूबरू होने का, कुछ बातें कर प
दिन के सारे काम रात में गठरी की तरह दिखते हैं
रात की बारिश रात के चौथे पहर से बारिश का आख़िरी टुकड़ा लटक रहा है लैम्पपोस्ट पर क़ायम हुई थकन पत्तियों पर चमकती गीली
इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो!
“आप प्रयागराज में रहते हैं?” “नहीं, इलाहाबाद में।” प्रयागराज कहते ही मेरी ज़बान लड़खड़ा जाती है, अगर मैं बोलने की
दास्तान-ए-गुरुज्जीस
एम.ए. (दूसरे साल) के किसी सेमेस्टर में पाठ्यक्रम में ‘श्रीरामचरितमानस’ पढ़नी थी। अब संबंध ऐसे घर से था—जहाँ ‘श्रीरामचरित
प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'
साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थी
नदी, लोग और कविताएँ
दिन के बाद दिन आते गए और रात के बाद रात। सारा जीवन इकसार और नीरस-सा लगने लगा। इस दुख को हँसकर टालने के अलावा दूसरा कोई र
22 मार्च 2025
मार्सेल प्रूस्त : स्मृति का गद्यकार
“…ख़ैर, प्रूस्त के बाद लिखने के लिए क्या ही बचता है!” (Virginia Woolf, Letters, Vol-2) वर्जीनिया वुल्फ़ की यह टिप्पणी,
‘द फ़ॉल्ट इन आर स्टार्स’ : प्रेम के रास्ते मृत्यु की तैयारी
साल 2014 में रिलीज़ हुई अँग्रेज़ी भाषा की एक अद्भुत फ़िल्म है—‘The Fault In Our Stars’. साल 2020 में आई ‘दिल बेचारा’ इसी
यूट्यूब के 20 साल : कुंभ जाते दादा-पोता और मोनालिसा की आँखें
मोबाइल में क्या आएगा, ये कौन तय कर रहा है? दुर्भाग्य से ये अब हमारी सरकारों के हाथ से भी बाहर निकल गया है। आप यूट्यूब पर
हमें खिड़कियों की ज़रूरत है
खिड़कियों के बाहर कई तरह के रंग होते हैं, धरती के भी-आसमान के भी। पर खिड़कियाँ अपने रंगों से नहीं अपने हवादार होने से जानी
प्लेटो ने कहा है : संघर्ष के बिना कुछ भी सुंदर नहीं है
• दयालु बनो, क्योंकि तुम जिससे भी मिलोगे वह एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है। • केवल मरे हुए लोगों ने ही युद्ध का अंत देखा है
कहानी : लुटेरी तवायफ़ें
शादियों का सीज़न आते ही रेशमा तैयारी करना शुरू कर देती। मेकअप से थोड़ा घबराती थी, लेकिन उम्र छुपाने की जद्दोजहद रहती थी हम
बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ
इस किताब को पढ़ते हुए यह महसूस होता है कि कवि-कथाकार-फ़िल्मकार देवी प्रसाद मिश्र की कहानियों के साथ चलना ख़ुद को विशद कर
कभी न लौटने के लिए जाना
6 अगस्त 2017 की शाम थी। मैं एमए में एडमिशन लेने के बाद एक शाम आपसे मिलने आपके घर पहुँचा था। अस्ल में मैं और पापा, एक ममे
'बहुत भेदक, कुशाग्र और कल्पनाशील पुस्तकें ही बचेंगी'
नई दिल्ली में जन्मीं साहित्यिक पत्रकारिता से लंबे समय तक संबद्ध रहने वालीं गगन गिल नब्बे के दशक में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’
ज़िंदगी के रंगों को धुँधला करता ख़ालीपन
ज़िंदगी—ख़ालीपन को भरने का दूसरा नाम भी है। हर व्यक्ति को अपनी ज़िंदगी में पूरा सम्मान और प्रेम पाने की आकांक्षा होती है
इहबास में सोलह दिन
मेरे चार दशक के अनुभव ने जीवन में चार चाँद लगा दिए हैं। कुछ दशक तो मेरे लिए एक सदी लिए हुए आए थे, सूरज सरीखे चमकीले, दमक
संभावना के संबोधन : अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत
अत्यंत समादृत कवि-आलोचक और कला-प्रशासक अशोक वाजपेयी आज 85वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यहाँ उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए
ब्रूस ली ने कहा है : शांति एक महाशक्ति है
• मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस दुनिया में नहीं हूँ और आप मेरी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस दुनिया में नही
अरुणाचल के न्यीशी जीवन का स्मृति-राग
‘गाय-गेका की औरतें’ जोराम यालाम नबाम के अब तक के जीवन में संभव में हुए प्रसंगों के संस्मरण हैं। जिस जगह के ये संस्मरण है
08 जनवरी 2025
किसे आवाज़ दूँ जो मुझे इस जाल से निकाले!
14 दिसंबर 2024 इच्छाएँ बेघर होती हैं, उन्हें जहाँ भी चार दीवार और एक छत का आसरा दिखता है, वो वहीं टिक जाना चाहती हैं।
सिंधियों की पीड़ा का बयान
चलना जीवन है और चलते जाना इंसान होने की नियति है। समाजशास्त्र की मूल स्थापना है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ‘सिमसिम’
काश! बचपन में हम बड़े होने का सपना न देखते
पूर्व बाल्यावस्था में मिट्टी जीवन का सबसे अनमोल रत्न था। हम पूरे दिन मिट्टी में सने रहते थे। पैदा हुए तो मिट्टी से पेट भ
कुसुमपुर के एक बूढ़े आदमी की कथा
कुसुमपुर के वृद्ध फ़क़ीरचंद जाएँगे बड़ाबाबू के पास। उनकी पीठ पर एक छड़ी है, जिसमें एक छोटी-सी पोटली लटकी हुई है। बूढ़ा आद
‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन
जीवन देर से शुरू होता है—शायद समय लगाकर उपजे शोक के गहरे कहीं बहुत नीचे धँसने के बाद। जब सुख सरसराहट के साथ गुज़र जाए तो
सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी
“सौंदर्य उसका, भूल-चूक मेरी!” शुरुआती पन्नों में ही यह पंक्ति लिखकर लेखक अपनी मंशा बिल्कुल साफ़ कर देते हैं। सारे ग्रह स
शरद ऋतु में, शरद ऋतु में, शरद ऋतु में ही
मैं पानी पी रही हूँ और तभी जब पानी मेरे गले से होता हुआ भीतर जाता महसूस हो रहा है, उसी पल कोयल की आवाज़ आने लगी। उस क्षण
बोरसी भर आँच : चीकू की चीख़ों में मनुष्य का चेहरा
“माँ कभी न थकने वाली चींटियों की तरह अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाती रहती।” चीकू की चमकीली पर पनीली आँखें दुनिया भर के दर्
भाषाई मुहावरे को मानवीय मुहावरे में बदलने का हुनर
दस साल बाद 2024 में प्रकाशित नया-नवेला कविता-संग्रह ‘नदी का मर्सिया तो पानी ही गाएगा’ (हिन्द युग्म प्रकाशन) केशव तिवारी
मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह
इधर रुस्तम का नया कविता-संग्रह ‘मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था’ (संभावना प्रकाशन) सामने आया है। रुस्तम के काव्य-संसार में प
‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए
साल 2015 में जब मैं ताइवान पहुँचा था तो बहुत रोया था। मेरा मन इस क़दर भटकता था कि मैं वहाँ पहुँचने के चार दिन बाद ही यह
बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव
पिछले हफ़्ते मैंने सुमेर की डायरी ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ पढ़ी। इसे पढ़ने में दो दिन लगे, हालाँकि एक दिन में भी पढ़ी जा सकती ह
महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें
महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर
'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'
यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगु
ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र
संघर्ष, विद्रोह और समाजवाद की सिनेमाई यात्रा : नेटफ़्लिक्स सीरीज़ त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर आधुनिक भारतीय मनोरंजन की भ