Font by Mehr Nastaliq Web

जीवन पर बेला

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

08 मई 2025

यूनिवर्सिटी का प्रेम और पापा का स्कूटर

यूनिवर्सिटी का प्रेम और पापा का स्कूटर

पहली कड़ी से आगे... उन दिनों इलाहबाद में प्रेम की जगहें कम होती थीं। ऐसी सार्वजनिक जगहों की कमी थी, जहाँ पर प्रेमी युग

07 मई 2025

रवींद्रनाथ का भग्न हृदय

रवींद्रनाथ का भग्न हृदय

विलायत में ही मैंने एक दूसरे काव्य की रचना प्रारंभ कर दी थी। विलायत से लौटते हुए रास्ते में भी उसकी रचना का कार्य चालू र

03 मई 2025

चिट्ठीरसा : कुछ परंपराओं का होना, जीवन का होना होता है

चिट्ठीरसा : कुछ परंपराओं का होना, जीवन का होना होता है

डाकिया आया है। चिट्ठी लाया है। ये शब्द अम्मा को चुभते थे। कहतीं चिट्ठीरसा आए हैं, बड़ी फुर्ती से उस दिन ओसारे से दुआर तक

22 अप्रैल 2025

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-2

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-2

पहली कड़ी से आगे... इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था। दोपहर हो गई थी। बिस्तर मेरे भार से दबा हुआ था। मुझे उसे दबाएँ रखने क

19 अप्रैल 2025

दो दीमकें लो, एक पंख दो

दो दीमकें लो, एक पंख दो

मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इस कार्यक्रम के आयोजकों और नियामकों का जिन्होंने मुझे आपके रूबरू होने का, कुछ बातें कर प

17 अप्रैल 2025

दिन के सारे काम रात में गठरी की तरह दिखते हैं

दिन के सारे काम रात में गठरी की तरह दिखते हैं

रात की बारिश रात के चौथे पहर से बारिश का आख़िरी टुकड़ा लटक रहा है लैम्पपोस्ट पर क़ायम हुई थकन पत्तियों पर चमकती गीली

14 अप्रैल 2025

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो!

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो!

“आप प्रयागराज में रहते हैं?” “नहीं, इलाहाबाद में।” प्रयागराज कहते ही मेरी ज़बान लड़खड़ा जाती है, अगर मैं बोलने की

03 अप्रैल 2025

दास्तान-ए-गुरुज्जीस

दास्तान-ए-गुरुज्जीस

एम.ए. (दूसरे साल) के किसी सेमेस्टर में पाठ्यक्रम में ‘श्रीरामचरितमानस’ पढ़नी थी। अब संबंध ऐसे घर से था—जहाँ ‘श्रीरामचरित

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थी

24 मार्च 2025

नदी, लोग और कविताएँ

नदी, लोग और कविताएँ

दिन के बाद दिन आते गए और रात के बाद रात। सारा जीवन इकसार और नीरस-सा लगने लगा। इस दुख को हँसकर टालने के अलावा दूसरा कोई र

22 मार्च 2025

मार्सेल प्रूस्त : स्मृति का गद्यकार

मार्सेल प्रूस्त : स्मृति का गद्यकार

“…ख़ैर, प्रूस्त के बाद लिखने के लिए क्या ही बचता है!” (Virginia Woolf, Letters, Vol-2) वर्जीनिया वुल्फ़ की यह टिप्पणी,

07 मार्च 2025

‘द फ़ॉल्ट इन आर स्टार्स’ : प्रेम के रास्ते मृत्यु की तैयारी

‘द फ़ॉल्ट इन आर स्टार्स’ : प्रेम के रास्ते मृत्यु की तैयारी

साल 2014 में रिलीज़ हुई अँग्रेज़ी भाषा की एक अद्भुत फ़िल्म है—‘The Fault In Our Stars’. साल 2020 में आई ‘दिल बेचारा’ इसी

28 फरवरी 2025

यूट्यूब के 20 साल : कुंभ जाते दादा-पोता और मोनालिसा की आँखें

यूट्यूब के 20 साल : कुंभ जाते दादा-पोता और मोनालिसा की आँखें

मोबाइल में क्या आएगा, ये कौन तय कर रहा है? दुर्भाग्य से ये अब हमारी सरकारों के हाथ से भी बाहर निकल गया है। आप यूट्यूब पर

26 फरवरी 2025

हमें खिड़कियों की ज़रूरत है

हमें खिड़कियों की ज़रूरत है

खिड़कियों के बाहर कई तरह के रंग होते हैं, धरती के भी-आसमान के भी। पर खिड़कियाँ अपने रंगों से नहीं अपने हवादार होने से जानी

22 फरवरी 2025

प्लेटो ने कहा है : संघर्ष के बिना कुछ भी सुंदर नहीं है

प्लेटो ने कहा है : संघर्ष के बिना कुछ भी सुंदर नहीं है

• दयालु बनो, क्योंकि तुम जिससे भी मिलोगे वह एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है। • केवल मरे हुए लोगों ने ही युद्ध का अंत देखा है

13 फरवरी 2025

कहानी : लुटेरी तवायफ़ें

कहानी : लुटेरी तवायफ़ें

शादियों का सीज़न आते ही रेशमा तैयारी करना शुरू कर देती। मेकअप से थोड़ा घबराती थी, लेकिन उम्र छुपाने की जद्दोजहद रहती थी हम

08 फरवरी 2025

बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ

बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ

इस किताब को पढ़ते हुए यह महसूस होता है कि कवि-कथाकार-फ़िल्मकार देवी प्रसाद मिश्र की कहानियों के साथ चलना ख़ुद को विशद कर

07 फरवरी 2025

कभी न लौटने के लिए जाना

कभी न लौटने के लिए जाना

6 अगस्त 2017 की शाम थी। मैं एमए में एडमिशन लेने के बाद एक शाम आपसे मिलने आपके घर पहुँचा था। अस्ल में मैं और पापा, एक ममे

05 फरवरी 2025

'बहुत भेदक, कुशाग्र और कल्पनाशील पुस्तकें ही बचेंगी'

'बहुत भेदक, कुशाग्र और कल्पनाशील पुस्तकें ही बचेंगी'

नई दिल्ली में जन्मीं साहित्यिक पत्रकारिता से लंबे समय तक संबद्ध रहने वालीं गगन गिल नब्बे के दशक में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’

30 जनवरी 2025

ज़िंदगी के रंगों को धुँधला करता ख़ालीपन

ज़िंदगी के रंगों को धुँधला करता ख़ालीपन

ज़िंदगी—ख़ालीपन को भरने का दूसरा नाम भी है। हर व्यक्ति को अपनी ज़िंदगी में पूरा सम्मान और प्रेम पाने की आकांक्षा होती है

25 जनवरी 2025

इहबास में सोलह दिन

इहबास में सोलह दिन

मेरे चार दशक के अनुभव ने जीवन में चार चाँद लगा दिए हैं। कुछ दशक तो मेरे लिए एक सदी लिए हुए आए थे, सूरज सरीखे चमकीले, दमक

16 जनवरी 2025

संभावना के संबोधन : अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत

संभावना के संबोधन : अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत

अत्यंत समादृत कवि-आलोचक और कला-प्रशासक अशोक वाजपेयी आज 85वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यहाँ उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए

13 जनवरी 2025

ब्रूस ली ने कहा है : शांति एक महाशक्ति है

ब्रूस ली ने कहा है : शांति एक महाशक्ति है

• मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस दुनिया में नहीं हूँ और आप मेरी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस दुनिया में नही

11 जनवरी 2025

अरुणाचल के न्यीशी जीवन का स्मृति-राग

अरुणाचल के न्यीशी जीवन का स्मृति-राग

‘गाय-गेका की औरतें’ जोराम यालाम नबाम के अब तक के जीवन में संभव में हुए प्रसंगों के संस्मरण हैं। जिस जगह के ये संस्मरण है

08 जनवरी 2025

किसे आवाज़ दूँ जो मुझे इस जाल से निकाले!

किसे आवाज़ दूँ जो मुझे इस जाल से निकाले!

14 दिसंबर 2024 इच्छाएँ बेघर होती हैं, उन्हें जहाँ भी चार दीवार और एक छत का आसरा दिखता है, वो वहीं टिक जाना चाहती हैं।

06 जनवरी 2025

सिंधियों की पीड़ा का बयान

सिंधियों की पीड़ा का बयान

चलना जीवन है और चलते जाना इंसान होने की नियति है। समाजशास्त्र की मूल स्थापना है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ‘सिमसिम’

04 जनवरी 2025

काश! बचपन में हम बड़े होने का सपना न देखते

काश! बचपन में हम बड़े होने का सपना न देखते

पूर्व बाल्यावस्था में मिट्टी जीवन का सबसे अनमोल रत्न था। हम पूरे दिन मिट्टी में सने रहते थे। पैदा हुए तो मिट्टी से पेट भ

03 जनवरी 2025

कुसुमपुर के एक बूढ़े आदमी की कथा

कुसुमपुर के एक बूढ़े आदमी की कथा

कुसुमपुर के वृद्ध फ़क़ीरचंद जाएँगे बड़ाबाबू के पास। उनकी पीठ पर एक छड़ी है, जिसमें एक छोटी-सी पोटली लटकी हुई है। बूढ़ा आद

02 जनवरी 2025

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

जीवन देर से शुरू होता है—शायद समय लगाकर उपजे शोक के गहरे कहीं बहुत नीचे धँसने के बाद। जब सुख सरसराहट के साथ गुज़र जाए तो

07 दिसम्बर 2024

सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी

सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी

“सौंदर्य उसका, भूल-चूक मेरी!” शुरुआती पन्नों में ही यह पंक्ति लिखकर लेखक अपनी मंशा बिल्कुल साफ़ कर देते हैं। सारे ग्रह स

06 दिसम्बर 2024

शरद ऋतु में, शरद ऋतु में, शरद ऋतु में ही

शरद ऋतु में, शरद ऋतु में, शरद ऋतु में ही

मैं पानी पी रही हूँ और तभी जब पानी मेरे गले से होता हुआ भीतर जाता महसूस हो रहा है, उसी पल कोयल की आवाज़ आने लगी। उस क्षण

29 नवम्बर 2024

बोरसी भर आँच : चीकू की चीख़ों में मनुष्य का चेहरा

बोरसी भर आँच : चीकू की चीख़ों में मनुष्य का चेहरा

“माँ कभी न थकने वाली चींटियों की तरह अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाती रहती।” चीकू की चमकीली पर पनीली आँखें दुनिया भर के दर्

24 नवम्बर 2024

भाषाई मुहावरे को मानवीय मुहावरे में बदलने का हुनर

भाषाई मुहावरे को मानवीय मुहावरे में बदलने का हुनर

दस साल बाद 2024 में प्रकाशित नया-नवेला कविता-संग्रह ‘नदी का मर्सिया तो पानी ही गाएगा’ (हिन्द युग्म प्रकाशन) केशव तिवारी

21 नवम्बर 2024

मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह

मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह

इधर रुस्तम का नया कविता-संग्रह ‘मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था’ (संभावना प्रकाशन) सामने आया है। रुस्तम के काव्य-संसार में प

17 नवम्बर 2024

‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए

‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए

साल 2015 में जब मैं ताइवान पहुँचा था तो बहुत रोया था। मेरा मन इस क़दर भटकता था कि मैं वहाँ पहुँचने के चार दिन बाद ही यह

09 नवम्बर 2024

बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव

बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव

पिछले हफ़्ते मैंने सुमेर की डायरी ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ पढ़ी। इसे पढ़ने में दो दिन लगे, हालाँकि एक दिन में भी पढ़ी जा सकती ह

15 अक्तूबर 2024

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर

06 अक्तूबर 2024

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगु

05 अक्तूबर 2024

ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र

ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र

संघर्ष, विद्रोह और समाजवाद की सिनेमाई यात्रा : नेटफ़्लिक्स सीरीज़ त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर आधुनिक भारतीय मनोरंजन की भ

30 सितम्बर 2024

यों याद किए गए नवीन सागर

यों याद किए गए नवीन सागर

गत शुक्रवार, 27 सितंबर को हौज़ ख़ास विलेज, नई दिल्ली में ‘नवीन सागर स्मृति रचना समारोह’ का पहला आयोजन हुआ। मेरी नज़र में

29 सितम्बर 2024

एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय

एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय

नम्रता राव द्वारा निर्देशित अमेज़न प्राइम डाक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘एंग्री यंग मैन’ मशहूर पटकथा लेखक जोड़ी—सलीम ख़ान और जावे

26 सितम्बर 2024

नया साल और कोरोना का वो उदास मौसम...

नया साल और कोरोना का वो उदास मौसम...

दूसरी कड़ी से आगे... 30 दिसंबर, नोज़ोमु के घर नोज़ोमु का मैसेज आया है, हमें 1 बजे स्टेशन के लिए निकलना है। मैं अपने

25 सितम्बर 2024

जीवन की कविता और कविता का जीवन

जीवन की कविता और कविता का जीवन

सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर

24 सितम्बर 2024

नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन

नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन

इस शुक्रवार यानी 27 सितंबर 2024 की शाम हौज़ ख़ास विलेज (नई दिल्ली) में हिंदी के एक अनूठे कवि-लेखक नवीन सागर [1948-2000] की

16 सितम्बर 2024

जापान डायरी : एक शहर अपने आर्किटेक्चर से नहीं लोगों से बनता है

जापान डायरी : एक शहर अपने आर्किटेक्चर से नहीं लोगों से बनता है

पहली कड़ी से आगे... जनवरी 2020 यह मेरी सर्दी की छुट्टियों की पहली किश्त है। आशा है दूसरी किश्त को लिखने में इतना स

15 सितम्बर 2024

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

डिस्क्लेमर :  क़ुबूलनामा शृंखला में प्रस्तुत लेखों में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो कि

29 अगस्त 2024

इस संसार की सुंदरता स्त्रियों के कंधे पर ही है

इस संसार की सुंदरता स्त्रियों के कंधे पर ही है

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य सम

28 अगस्त 2024

राजेंद्र यादव का साहित्य लोग भूल जाएँगे, उन्हें नहीं

राजेंद्र यादव का साहित्य लोग भूल जाएँगे, उन्हें नहीं

उम्र के जिस पड़ाव पर ढेर सारे लोगों के आध्यात्मिक होते जाने के क़िस्से सुनाई देने लगते हैं, जीवन के उसी मक़ाम पर राजेंद्र

23 अगस्त 2024

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

मैं तब भी कुछ नहीं था, और आज भी नहीं, लेकिन कुछ तो तुमने मुझमें देखा होगा कि तुम मेरी तरफ़ उस नेमत को लेकर बढ़ीं, जिसकी दु

19 अगस्त 2024

जो रेखाएँ न कह सकेंगी

जो रेखाएँ न कह सकेंगी

एक युग बीत जाने पर भी मेरी स्मृति से एक घटा भरी अश्रुमुखी सावनी पूर्णिमा की रेखाएँ नहीं मिट सकी हैं। उन रेखाओं के उजले र