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बज़्म-ए-आम : स्वाद, स्मृति और संगीत में रचा-बसा आम का जश्न

साहित्य-संस्कृति को समर्पित रचनात्मक पहल कशकोल कलेक्टिव शनिवार 14 जून 2025 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के फ़ाउंटेन लॉन में बज़्म-ए-आम : आम के नाम एक शाम का आयोजन कर रहा है। यह उत्सव केवल आम के फल का उत्सव नहीं है, बल्कि भारतीय चेतना में रचे-बसे इस रसपूर्ण फल के सांस्कृतिक, भावनात्मक और संवेदी महत्त्व का एक जीवंत उत्सव है।

इस विशेष संध्या में कथा-कथन, काव्य, संगीत, आत्मीय संवाद और स्वादिष्ट आम-आधारित व्यंजनों के माध्यम से गर्मियों की मिठास, स्मृतियों की सुवास और हमारी सांस्कृतिक विरासत के स्वाद को नए रंगों में पिरोया जाएगा। बज़्म-ए-आम हमें आम के बहाने न केवल मौसम का स्वाद चखाएगा, बल्कि उन पुरानी बातों, क़िस्सों और एहसासों की भी झलक देगा, जो समय के साथ और भी मधुर हो गए हैं।

कशकोल कलेक्टिव अम्बरीन शाह और अशहर हक़ के नेतृत्व में साहित्य और संस्कृति के प्रति गहरे प्रेम से जन्मी एक रचनात्मक पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य कहानी कहने, संगीत, साहित्य, सिनेमा और अन्य कला रूपों से जुड़े कलाकारों को एक साथ लाना है।

अम्बरीन शाह के अनुसार, ‘‘हर घर में आम केवल एक फल के रूप में नहीं, बल्कि एक स्मृति के रूप में आता है—उन बुज़ुर्गों की कहानियों में लिपटी पुरानी यादें जो इसके स्वाद के प्रति अपने प्रेम के लिए जाने जाते थे। बज़्म-ए-आम उन यादों—मीठी, खट्टी, कालातीत—का जश्न मनाने के लिए हमारा एक साथ आने का तरीक़ा है।

भारतीय उपमहाद्वीप में आम सीमाओं और राजनीति से परे एक ऐसी भावना है जो लगाव, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को जन्म देती है। सिंधरी से दशहरी तक, लंगड़ा से अल्फ़ांसो तक, हर किसी का अपना पसंदीदा आम होता है और हर क्षेत्र अपने आम को ‘सबसे बेहतरीन’ होने का दावा करता है। आम को लेकर होने वाली इन प्यारी बहसों, साझा ललक और उसे काटने, अचार बनाने या उसका रस निकालने की सदियों पुरानी परंपराओं में ही हमें एक ऐसी समान भाषा मिलती है। यह वही भाषा है जो हमें रसोईघरों, यादों और पीढ़ियों से जोड़ती है।

यह कार्यक्रम नई दिल्ली के सांस्कृतिक और बौद्धिक समुदायों का एक विशेष समागम होगा जिसमें कलाकार, लेखक, शेफ़, मीडिया से जुड़ी हस्तियाँ, इतिहासकार, क्यूरेटर और राजनयिक शामिल होंगे।

कार्यक्रम-विवरण

• क़िस्सागोई—आम पर दास्तान
शाम : 7:00 बजे से 7:30 बजे तक
प्रस्तुति : अशहर हक़

प्रसिद्ध दास्तानगो अशहर हक़ द्वारा विशेष रूप से लिखी गई एक दास्तान, जो बौद्ध कहानियों से लेकर मुग़ल संस्मरणों, औपनिवेशिक रसोई और लोक ज्ञान तक आम की यात्रा का पता लगाती है। यह कहानी हास्यपूर्ण और मार्मिक अंदाज़ में आम को एक रूपक और प्रेरणा दोनों के रूप में जीवंत करती है।

• वार्ता—आम का सांस्कृतिक जीवन
शाम : 7:30 बजे से 8:15 बजे तक
वक्ता : सोहेल हाशमी और सोपान जोशी

आम की भारतीय स्मृति में बहुस्तरीय उपस्थिति की खोज करती एक जीवंत बातचीत। इतिहासकार सोहेल हाशमी और लेखक-पर्यावरणविद् सोपान जोशी मौखिक इतिहास, ग्रामीण पारिस्थितिकी और मौसमी लय पर विचार करेंगे, जिन्होंने इस प्रिय फल के साथ हमारे संबंधों को आकार दिया है।

• संगीत-प्रदर्शन—ढोलक रानी एन्सेम्बल
रात 8:15 बजे से 9:00 बजे तक
नेतृत्व : शिवांगिनी येशु युवराज | विजुअल स्टाइलिंग : ईशा प्रिया सिंह

देसी गर्मियों की एक मधुर यात्रा। ढोलक रानी, गंगा-जमुनी क्षेत्र में निहित एक संगीत मंडली, आम के भावनात्मक और मौसमी परिदृश्य को जगाने के लिए शास्त्रीय रागों और लोक-गीतों का मिश्रण करती है। गायिका शिवांगिनी येशु युवराज के नेतृत्व में और ईशा प्रिया सिंह द्वारा स्टाइल किए गए इस एन्सेम्बल में स्त्रीवादी आवाज़ और सांस्कृतिक स्मृति केंद्र में आती है।

• रात्रिभोज—आम-थीम वाली पाक यात्रा
रात : 9:00 बजे से...
क्यूरेटेड : शेफ़ सदफ़ हुसैन

शेफ़ और खाद्य इतिहासकार सदफ़ हुसैन आम को सिर्फ़ एक फल नहीं, बल्कि एक कहानी, एक अनूठा स्वाद और एक गहरी भावना के रूप में फिर से परिभाषित करेंगे। उनके विशेष रूप से तैयार किए गए ‘आम मेनू’ के माध्यम से, आप बनावट और परंपराओं के पार एक बहु-संवेदी पाक यात्रा का अनुभव करेंगे। कच्चे खट्टेपन से लेकर मधुर मिठास तक, मेनू का प्रत्येक व्यंजन एक खाने योग्य स्मृति होगी।

स्थान : फ़ाउंटेन लॉन, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली
दिनांक और समय : 14 जून 2025 | शाम 7:00 बजे
प्रवेश : टिकट द्वारा
टिकटbookmyshow.com 

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