गुरु पर बेला
मध्यकालीन काव्य में
गुरु की महिमा की समृद्ध चर्चा मिलती है। प्रस्तुत संचयन में गुरु-संबंधी काव्य-रूपों और आधुनिक संदर्भ में शिक्षक-संबंधी कविताओं का संग्रह किया गया है।
दास्तान-ए-गुरुज्जीस-3
दूसरी कड़ी से आगे... उन दिनों अमूमन सर्दी-गर्मी की छुट्टियाँ ननिहाल में बीतती थी। नाना को साहित्य, संगीत, गीत से प्रे
दास्तान-ए-गुरुज्जीस
एम.ए. (दूसरे साल) के किसी सेमेस्टर में पाठ्यक्रम में ‘श्रीरामचरितमानस’ पढ़नी थी। अब संबंध ऐसे घर से था—जहाँ ‘श्रीरामचरित
गुरु-शिष्य-परंपरा : कुछ नोट्स
भारतीय जन-मानस में एक कॉमन सेंस घर कर गया है—सिखाने वाला बड़ा होता है, सीखने वाला छोटा; इसलिए छोटे का सीखने के लिए बड़े
शिक्षकों के लिए होमवर्क
ख़ाली वक़्त में फ़ंतासियाँ रचना या दूसरे ढंग से कहें तो फ़ंतासियों के बारे में सोचने के लिए ख़ाली वक़्त निकालना मेरे पसं
शिक्षक-शिक्षा-शिक्षण
क्या क्रूर सत्ता, उग्र राष्ट्रवाद और बाज़ार प्रेरित तार्किकता से ग्रस्त समाज के लिए शिक्षण के पेशे में निहित गहरी दृष्टि
प्रेसिडेंसी कॉलेज की कुछ स्मृतियाँ
प्रथम दर्शन मैं कक्षा में कुछ देर से ही पहुँचा था। धीमे और सधे हुए स्वर में अध्यापक महाशय अपनी बात रख रहे थे। वह गेस्
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-5
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह पाँचवीं कड़ी है। पहली, तीसरी और चौथी कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर्स के नामों को यथावत् रखा था औ
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-4
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह चौथी कड़ी है। पहली और तीसरी कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर्स के नामों को यथावत् रखा था और छात्रों
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-3
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह तीसरी कड़ी है। पहली कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर के नाम को यथावत् रखा था और छात्रों के नाम बदल
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-2
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह दूसरी कड़ी है। पहली कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर के नाम को यथावत् रखा था और छात्रों के नाम बदल
जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से
जेएनयू द्वारा आयोजित वर्ष 2012 की (एम.ए. हिंदी) प्रवेश परीक्षा के परिणाम में हर साल की तरह छोटे गाँव और क़स्बे इस दुर्लभ