आदिवासी पर बेला
दलित-विमर्श की तरह ही
आदिवासी-विमर्श भी हिंदी साहित्य और कविता में गए कुछ दशकों में प्रमुखता से उभरा है। प्रस्तुत चयन आदिवासी समाज को आधार बनाने वाली कविताओं से किया गया है।
कहानी : सेंटिनली : लहरों के पार एक दुनिया
सूरज अपनी पूरी ऊँचाई पर था और उत्तरी सेनटिनल द्वीप के सफेद रेत वाले तट चमक रहे थे। चारों ओर एक अनकही शांति फैली हुई थी, जिसे केवल लहरों की धीमी सरसराहट और तट पर खड़े नारियल के पेड़ों की हल्की सरसरगाह
क्या मैं एक आदिवासी नहीं हो सकता!
...बादल बरस रहे हैं। बारिश मतलब क्या—पकौड़े या परेशानी? निर्भर करता है—आप बैठे कहाँ हैं। मैं गाँव के घर में बैठा हूँ। सबसे बाहर वाले मकान में। फ़िलहाल मेरे लिए ‘बारिश’ का मतलब ‘परेशानी’ है। इस बारिश
अरुणाचल के न्यीशी जीवन का स्मृति-राग
‘गाय-गेका की औरतें’ जोराम यालाम नबाम के अब तक के जीवन में संभव में हुए प्रसंगों के संस्मरण हैं। जिस जगह के ये संस्मरण हैं; उसकी अवस्थिति अरुणाचल प्रदेश के ठेठ ग्रामीण ज़िले लोअर सुबानसिरी में है। पुस्