पुस्तक पर बेला
पुस्तकें हमारे लिए नए
अनुभव और ज्ञान-संसार के द्वार खोलती हैं। प्रस्तुत चयन में ‘रोया हूँ मैं भी किताब पढ़कर’ के भाव से लेकर ‘सच्ची किताबें हम सबको अपनी शरण में लें’ की प्रार्थना तक के भाव जगाती विशिष्ट पुस्तक विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।
25 सितम्बर 2024
जीवन की कविता और कविता का जीवन
सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर्चित कविताओं के कई संकलन इससे पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं, उनकी काव्य संचयिता
शिक्षकों के लिए होमवर्क
ख़ाली वक़्त में फ़ंतासियाँ रचना या दूसरे ढंग से कहें तो फ़ंतासियों के बारे में सोचने के लिए ख़ाली वक़्त निकालना मेरे पसंदीदा कामों में से एक है। मेरी सबसे प्रिय फ़ंतासी यह है—जिसे सोचने में एलियन या
भूमिकाओं में आस्था घट रही है
पुस्तक की भूमिका पुस्तक के साथ भूमिका का प्रकाशन आम चलन है। यह भूमिका किसी ऐसे व्यक्ति से लिखाई जाती है, जो उस विषय का मान्य विद्वान हो, उसकी बात का वजन हो और जिसके न्याय-विवेक पर भी लोगों का विश्
चिनार पुस्तक महोत्सव : कश्मीर घाटी का पहला सबसे बड़ा पुस्तक मेला
श्रीनगर में पहली बार बहुत बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले पुस्तक मेले ‘चिनार पुस्तक महोत्सव’ का शुभारंभ 17 अगस्त 2024 को होगा। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) और ज़िला प्रशासन श्र
तक्षशिला : फणीश सिंह पुस्तक-वृत्ति 2024-25 के लिए प्रस्ताव आमंत्रित
तक्षशिला फणीश सिंह पुस्तक-वृत्ति 2024-25—बौद्धिक वर्ग के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना है। गत वर्ष आरंभ हुई यह पुस्तक-वृत्ति अपने प्रथम संस्करण में अजय कुमार को प्राप्त हो चुकी है। अजय कुमार बाबासाहेब भीमरा
सुशील दोशी की पुस्तक ‘द आर्ट एंड साइंस ऑफ़ क्रिकेट कमेंट्री’ का विमोचन
23 जुलाई 2024 को शिक्षाविद् और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (National Book Trust), भारत के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर मिलिंद सुधाकर मराठे, भारतीय क्रिकेटर और आईपीएल फ़्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के कोच
भूलना दुनिया का सबसे बुरा मर्ज़ है
“नदी इतनी पतली थी कि उसमें अब बस धूप से सनी थोड़ी नींद बहती थी।” पहली कहानी के पहले पन्ने पर ऐसी काव्यात्मक भाषा मिल जाए तो पठनीयता की भी ट्यूनिंग हो जाती है। नदी का पेट के मुहाने में बदल जाने की
20 जुलाई 2024
‘द सेंस ऑफ़ एन एंडिंग’ : आशिक़ बना देने वाला नॉवेल
इंसान शायद इसीलिए सबसे अकेला जानवर भी है, क्योंकि उसने अपने लिए जीवन के उसूल बनाए हैं। जूलियन बार्न्स के नॉवेल ‘द सेंस ऑफ़ एन एंडिंग’ का जब मैंने अध्ययन किया, तब उनकी इस छोटी-सी किताब से मुझे अप
'मैं एक सतत अलक्षित अवाँगार्द हूँ'
सुख्यात कवि-कथाकार देवी प्रसाद मिश्र की किताब मनुष्य होने के संस्मरण हाल के दिनों में चर्चा में रही है। इस पुस्तक की अन्य कथाओं पर यहाँ उनसे एक बातचीत की है—सरबजीत गरचा ने जो अँग्रेज़ी भाषा के जाने-म
ओशो अपनी पुस्तकों के विषय में
मेरे पिता वर्ष में कम से कम तीन या चार बार बंबई जाया करते थे और वह सभी बच्चों से पूछा करते थे, “तुम अपने लिए क्या पसंद करोगे?” वह मुझसे भी पूछा करते, “अगर तुम को किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो मैं उसको
वासना सौंदर्य को देखने की इच्छा है
‘वासना’ इच्छाओं का संतुलित नाम अर्थों के कई संदर्भों में समाहित है। सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं की संगीन गुफ़्तगू अपने विस्तारित क्षेत्र में जो कुछ कहती है, उसका सहजता से निर्मित एक वैचारिक आलोक जि
19 जून 2024
देश भर में मनाया गया राष्ट्रीय पठन दिवस
गए बुधवार को नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने भारत के पुस्तकालय आंदोलन के जनक पी.एन. पन्निकर को याद करते हुए देश भर में राष्ट्रीय पठन दिवस मनाया। इस अवसर पर नई दिल्ली, देहरादून, पटना, लखनऊ, भोपाल, वाराणसी
Quotation न होते तब हम क्या करते!
एक “गोयम मुश्किल वगरना गोयम मुश्किल” हम रहस्य की नाभि पर हर रोज़ तीर मार रहे हैं। हम अनंत से खिलवाड़ करके थक गए हैं। हम उत्तरों से घिरे हुए हैं और अब उनसे ऊबे हुए भी। हमारी जुगतें और अटकलें भी एक
किताब उसकी है जिसने उसे पढ़ा, उसकी नहीं जिसके किताबघर में सजी है
एक हर किताब अपने समझे जाने को एक दूसरी किताब में बताती है। —वागीश शुक्ल, ‘छंद छंद पर कुमकुम’ जब बाज़ार आपको, आपका निवाला भी चबा कर दे रहा है; तब क्या पढ़ें और किसको पढ़ें? एक अच्छा सवाल है। को
बुद्ध की बुद्ध होने की यात्रा को कैसे अनुभव करें?
“हम तुम्हें न्योत रहे हैं बुद्ध, हमारे आँगन आ सकोगे…” गौतम बुद्ध को थोड़ा और जानने की एक इच्छा हमेशा रहती है। यह इच्छा तब और पुष्ट होती है, जब असमानता और अन्याय आस-पास दिखता और हम या हमारे लोग उ
संगीत, प्यार और दर्द से बुना गया एक उपन्यास
“इतने साल पहले मेरे साथ क्या हुआ था? मुझे प्यार मिले या न मिले, मैं उस शहर में बना नहीं रह सकता था। मैंने ठोकर खाई, मेरा दिमाग़ ठस हो गया, मुझे अपनी हर साँस बोझ लगने लगी। मैंने उससे कह दिया कि मैं जा
सलमान रश्दी की नई किताब में चाक़ू की कुछ बातें
उन सुनसान निद्राविहीन रातों में मैंने एक विचार के रूप में चाक़ू के बारे में बहुत सोचा। चाक़ू एक औज़ार था, और उसके प्रयोग से निकलता हुआ एक अर्जित अर्थ भी। भाषा भी तो एक चाक़ू थी। यह दुनिया को चाक कर स
‘क़िस्साग्राम’ का क़िस्सा
‘क़िस्साग्राम’ उपन्यास की शुरुआत जिस मंदिर के खंडित होने से हुई है, उसके लेखन का काल उस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का समय है। उपन्यासकार प्रभात रंजन इस बात को ख़ुद इस तरह से कहते हैं, ‘‘अन्हारी नामक किसी
पढ़ने के तरीक़े
एक पुस्तक को पढ़ने के कितने तरीक़े हो सकते हैं! आइए देखें : • एक तरीक़ा तो वह है जो मैं किसी भी नई पुस्तक को हाथ में लेते ही शुरू कर देता हूँ। उसे पेज-दर-पेज पलटते जाना। साथ मे उसके सारे अध्यायों के