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बनारस के गंगा घाट पर होने जा रहा है तीन दिनों का ‘संगीत परिसंवाद’

15, 16 और 17 अक्टूबर, 2024 को वाराणसी के गंगातट पर एक तीन दिवसीय ‘संगीत परिसंवाद’ का आयोजन होने जा रहा है। छह सत्रों में तीन दिनों तक होने वाले इस कार्यक्रम में संगीतज्ञ-विद्वान ऋत्विक सान्याल, राजेश शाह, कमला शंकर, श्रद्धा गुप्ता, प्रेमचंद होम्बल शामिल होंगे।

संगीत श्रवणम् : सहृदय मधुरम

भारतीय-परंपरा में यह कथा सर्वविदित है कि संगीत की उत्पत्ति, वेदों के निर्माता ब्रह्मा द्वारा हुई। ब्रह्मा ने यह कला शिव को दी और शिव द्वारा यह विद्या सरस्वती को प्राप्त हुई। इसलिए सरस्वती को ‘वीणा पुस्तक धारिणी’ कहकर संगीत और साहित्य की अधिष्ठात्री माना गया है।

सरस्वती से संगीत कला का ज्ञान नारद को प्राप्त हुआ, नारद ने स्वर्ग के गंधर्व, किन्नर और अप्सराओं को संगीत की शिक्षा दी। वहाँ से ही भरत, नारद और हनुमान आदि ऋषि, संगीत कला में पारंगत होकर इस भू-लोक (पृथ्वी) पर संगीत कला के प्रचारार्थ अवतीर्ण हुए।

भारतीय-परंपरा में संगीत ईश्वर प्रदत है। यहाँ संगीत—प्रकृति और लोक-जीवन से सतत जुड़ा रहा है। भारत में प्रत्येक ऋतु का अपना संगीत है, दिन में प्रत्येक पहर का भी संगीत है, मनुष्य के विभिन्न भावों पर आधारित संगीत है, जीवन के प्रत्येक उत्सव का अपना एक भिन्न संगीत है, प्रत्येक प्रान्त या क्षेत्र की अपनी संगीत की विशिष्ठ लोक-परंपरा रही है। 

भारतीय संगीत का यह संसार, अद्भुत है और अनंत ज्ञान का सागर भी है। इसे समझने के लिए एक जीवन भी पर्याप्त समय नहीं है। विशेषकर जब आपका भारतीय संगीत की गहराइयों से अधिक संबंध नहीं भी हो तब भी, जब इससे कुछ परिचय होता है और उसके स्वर कानों पर पड़ते हैं तो यह सहज अनुभव होता है कि हम कहीं गहरे से इससे जुड़े हैं। 

इस जुड़ाव को समझने और इस विषय पर परिसंवाद प्रारंभ करने के लिए ‘सिद्ध’ मसूरी अपनी सहयोगी संस्था ‘राम छाटपार शिल्प न्यास’, वाराणासी और ‘राजस्थान कबीर यात्रा’, बीकानेर के सहयोग से 15, 16 और 17 अक्टूबर, 2024 को वाराणसी के गंगातट पर एक तीन दिवसीय ‘संगीत परिसंवाद’ का आयोजन करने जा रहा है।

वाराणसी से संगीत के कुछ विद्ववत् जन इस विषय पर अपने विचार रखेंगे, प्रतिभागियों के साथ परिसंवाद करेंगे और साथ ही अपनी विशिष्ट कला का प्रदर्शन भी करेंगे।

इस परिसंवाद के मुख्य उद्देश्य कुछ इस प्रकार रहेंगे :

भारतीय संगीत की ज्ञान परंपरा से परिचय।

भारतीय संगीत का प्रकृति और मानव जीवन के विभिन्न आयामों (ऋतु, दिन के पहर, उत्सव, फसल चक्र, भाव आदि) और भारतीय मानस से संबंध/जुड़ाव पर परिसंवाद।

भारतीय संगीत की प्रस्तुति।

संपर्क सूत्र : अनिल मैखुरी, मोबाइल नंबर : 9410101490 या 8077985185, ईमेल : anilmaikhuri@gmail.com.

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कार्यक्रम की रूपरेखा :

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