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हिंदी पर बेला

एक भाषा और मातृभाषा

के रूप में हिंदी इसका प्रयोग करने वाले करोड़ों लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं का भार वहन करती है। एक भाषाई संस्कृति के रूप में उसकी जय-पराजय चिंतन-मनन का विषय रही है। वह अस्मिता और परिचय भी है। प्रस्तुत चयन में हिंदी, हिंदीवालों और हिंदी संस्कृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

18 अगस्त 2025

‘रेख़्ता वो भाषा है जो इस्तेमाल से बनती है’

‘रेख़्ता वो भाषा है जो इस्तेमाल से बनती है’

सालों पहले देश के मूर्द्धन्य शिक्षाविद् कृष्ण कुमार की एक पुस्तक पढ़ी थी—‘विचार का डर’। वैचारिक निबंधों की इस पुस्तक में शिक्षा, समाज और बौद्धिक स्वतंत्रता के परस्पर संबंधों पर गंभीर चिंतन है। शिक्षा

28 जुलाई 2025

तमाशे के पार : हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और एक लेखक की आश्वस्ति

तमाशे के पार : हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और एक लेखक की आश्वस्ति

इन दिनों साहित्य की दुनिया किसी मेले की तरह लगती है—शब्दों का मेला नहीं, विवादों और आक्षेपों का मेला। सोशल मीडिया की स्क्रॉलिंग करते हुए रोज़ किसी न किसी ‘साहित्यिक’ विवाद से साबका पड़ता है। लोग द

25 जुलाई 2025

वाचिक : परंपरा का नवोन्मेष

वाचिक : परंपरा का नवोन्मेष

‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ का उपक्रम ‘हिन्दवी’—हिंदी-साहित्य-संस्कृति-कला-संसार को समर्पित अपने वार्षिकोत्सव—‘हिन्दवी उत्सव’ के पाँचवें संस्करण का आयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 27 जुलाई 2025, रविवार को नई द

25 जुलाई 2025

मृदुला गर्ग : सादगी, गहराई और ईमानदारी

मृदुला गर्ग : सादगी, गहराई और ईमानदारी

मेरी औरतों ने कभी अपराधबोध नहीं महसूस किया। इससे लोगों को ठेस पहुँची। मेरा स्त्रीवाद यह नहीं कहता कि सब एक जैसी हों—मेरा विश्वास है कि हर औरत का अलग होना ही उसकी अस्ल पहचान है। —मृदुला गर्ग, ‘द हि

25 जुलाई 2025

उदय प्रकाश : समय, स्मृति और यथार्थ के अद्वितीय रचनाकार

उदय प्रकाश : समय, स्मृति और यथार्थ के अद्वितीय रचनाकार

“कोई भी रचनाकार-कथाकार समय, इतिहास स्मृति के स्तर पर, ख़ासकर टाइम एंड मेमोरी के स्तर पर लिखता है। …मेरा मानना है कि किसी भी रचनाकार को अपनी संवेदना लगातार बचा कर रखनी चाहिए। अपने आस-पास के परिवर्तन के

24 जुलाई 2025

स्वानंद किरकिरे : सिनेमा-संगीत की दुनिया का बावरा मन

स्वानंद किरकिरे : सिनेमा-संगीत की दुनिया का बावरा मन

कला की बहुरंगी दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं, जो अपनी प्रतिभा के दम पर एक साथ कई क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं। भारतीय सिनेमा और संगीत की दुनिया में स्वानंद किरकिरे भी ऐसे ही एक बहुआयाम

24 जुलाई 2025

राहगीर : हिंदी कविता-संगीत का रॉकस्टार

राहगीर : हिंदी कविता-संगीत का रॉकस्टार

बीसवीं सदी के तीसरे और चौथे दशक में जब अमेरिका महामंदी और डस्ट बॉउल (धूलभरी आँधी) से जूझ रहा था, उस समय होबो (घुमक्कड़ मज़दूर)—रोज़गार की खोज में मालगाड़ियों में सवार होकर मुफ़्त में यात्रा करते थे। यात्र

23 जुलाई 2025

अशोक वाजपेयी : सच्चाई के रूपक

अशोक वाजपेयी : सच्चाई के रूपक

समादृत कवि-आलोचक और कला-प्रशासक अशोक वाजपेयी इस बार के ‘हिन्दवी उत्सव’ में कविता-पाठ के लिए आमंत्रित हैं। यहाँ प्रस्तुत है—उनके द्वारा बोले-लिखे जा रहे आत्म-वृत्तांत से कुछ अंश। ये अंश अशोक वाजपेयी औ

23 जुलाई 2025

मृदुला गर्ग : वर्जनाओं के पार एक आधुनिका

मृदुला गर्ग : वर्जनाओं के पार एक आधुनिका

फ़्योदोर दोस्तोयेवस्की का एक कथन है :  ‘‘तुम्हें जीवन के अर्थ से भी अधिक जीवन से प्रेम करना चाहिए।’’ इस तर्ज़ पर ही मृदुला गर्ग के बारे में विचार किया जा सकता है कि उनके व्यक्तित्व से अधिक प्रेम

22 जुलाई 2025

कृष्ण कुमार : एक शालीन और साफ़ आवाज़

कृष्ण कुमार : एक शालीन और साफ़ आवाज़

शिक्षाविद् कृष्ण कुमार के बारे में न्यूनतम कहना भी एक मुश्किल काम है क्योंकि ‘प्रसिद्ध’ या ‘लब्ध-प्रतिष्ठ’ जैसे विशेषणों से न उनके कृतित्व की महत्ता का अंदाज़ा होता है, न उनके काम की बहुआयामिता का आभ

20 जुलाई 2025

हिन्दवी उत्सव : 27 जुलाई को बँधेगा समाँ

हिन्दवी उत्सव : 27 जुलाई को बँधेगा समाँ

प्रिय हिंदी-प्रेमियो,  हम आपको सहर्ष यह सूचित कर रहे हैं कि ‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ का उपक्रम ‘हिन्दवी’—हिंदी-साहित्य-संस्कृति-कला-संसार को समर्पित अपने वार्षिकोत्सव—‘हिन्दवी उत्सव’ के पाँचवें संस्करण

18 जुलाई 2025

वोटिंग-विचार पर कुछ विचार

वोटिंग-विचार पर कुछ विचार

प्रतियोगिताएँ, पुरस्कार और सूचियाँ हमेशा से संदिग्ध रही हैं। प्रतियोगिताओं में कोई भी निर्णय अंतिम निर्णय नहीं होता, बावजूद इसके कोई भी काव्य-प्रतियोगिता इस अर्थ में कविता के हक़ में होती है कि कविता

17 जुलाई 2025

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ के निर्णायक

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ के निर्णायक

‘हिन्दवी उत्सव’ [रविवार, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली] में आयोजित होने जा रही ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ प्रतियोगिता अब अपने निर्णायक पड़ाव की ओर बढ़ रही है। यह प्रतियोगिता देश भर के

14 जुलाई 2025

हिन्दवी : ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की लॉन्ग-लिस्ट

हिन्दवी : ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की लॉन्ग-लिस्ट

‘हिन्दवी’ ने अपने प्रयोगधर्मी व्यवहार के प्रकाश में—वर्ष 2022 के सिंतबर में—‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत की थी। यह शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय [हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग] के साथ हुई। इस

27 जून 2025

आचार्य शुक्ल के इतिहास के बहाने : आदिकाल के अप्रासंगिक होने पर सवाल?

आचार्य शुक्ल के इतिहास के बहाने : आदिकाल के अप्रासंगिक होने पर सवाल?

सास्त्र सुचिंतित पुनि पुनि देखिअ। —३६, अरण्यकाण्ड, श्रीरामचरितमानस तुलसी की इस पंक्ति का शीर्षक रूप में प्रयोग करते हुए ‘नागरीप्रचारिणी सभा’ द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पुनर्संस्कारित इतिहास

24 जून 2025

'आलोचना' सह पाएगी अपनी आलोचना!

'आलोचना' सह पाएगी अपनी आलोचना!

राजकमल प्रकाशन समूह की त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ [अंक-77] ने ‘इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता’ शीर्षक से एक विशेषांक गए दिनों प्रकाशित किया। इस अंक पर साहित्य संसार में काफ़ी बातचीत हुई, जिसे फ़ेसबुकिया

30 मई 2025

मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था

मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था

जीवन मुश्किल चीज़ है—तिस पर हिंदी-लेखक की ज़िंदगी—जिसके माथे पर रचना की राह चलकर शहीद हुए पुरखे लेखक की चिता की राख लगी हुई है। यों, आने वाले लेखक का मस्तक राख से साँवला है। पानी, पसीने या ख़ून से धुलकर

22 मई 2025

दास्तान-ए-गुरुज्जीस-4

दास्तान-ए-गुरुज्जीस-4

तीसरी कड़ी से आगे... उन दिनों हॉस्टल के हर कमरे से ‘वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी’ की आवाज़ें आती थी। हर कमरे से कोई एक नाक सुड़कता, सुबकता मिल जाता था। उन दिनों जब भारत ने विश्व कप जीता तो

16 मई 2025

क्राइम मास्टर गोगो, श्री निर्मल वर्मा और मैं

क्राइम मास्टर गोगो, श्री निर्मल वर्मा और मैं

हिंदी में एक ऐसे लेखक हुए, जिन्होंने लाखों भूले-भटके किशोरों-युवाओं का जीवन तबाह किया। इंटरनेट पर फैले इनके कोट्स नशीली उदासी का व्यापार करते हैं। हिंदी के ‘क्राइम मास्टर गोगो’—प्रचंड अवसाद और निराशा

02 मई 2025

उर्दू में हिंदू-धर्म का प्रचार-प्रसार : कुछ उदाहरण

उर्दू में हिंदू-धर्म का प्रचार-प्रसार : कुछ उदाहरण

ये लेख मूलतः एक किताब पर आधारित है। उस किताब में दी गई जानकारियों को यहाँ संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है। ऐसा दो-तीन कारणों से किया जा रहा है। एक तो ये कि वो किताब उर्दू में है, इसलिए हिंदी-पाठक

18 अप्रैल 2025

ए.एन. कॉलेज से हो रही है बिहार में 'हिन्दवी कैंपस कविता' की शुरुआत

ए.एन. कॉलेज से हो रही है बिहार में 'हिन्दवी कैंपस कविता' की शुरुआत

हिन्दवी कैंपस कविता—‘हिन्दवी’ का एक विशेष आयोजन है। इस आयोजन के माध्यम से देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ-सहयोग से वहाँ के छात्रों को साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता

17 अप्रैल 2025

दास्तान-ए-गुरुज्जीस-3

दास्तान-ए-गुरुज्जीस-3

दूसरी कड़ी से आगे... उन दिनों अमूमन सर्दी-गर्मी की छुट्टियाँ ननिहाल में बीतती थी। नाना को साहित्य, संगीत, गीत से प्रेम है। उनके इस प्रेम का शिकार मामा-मौसी के बाद सबसे अधिक हम और भाई हुए। ठंड की भ

13 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘बुद्धि की आँखों में स्वार्थों के शीशे-सा!’

रविवासरीय : 3.0 : ‘बुद्धि की आँखों में स्वार्थों के शीशे-सा!’

• गत बुधवार ‘बेला’ के एक वर्ष पूर्ण होने पर हमने अपने उद्देश्यों, सफलताओं और योजनाओं का एक शब्दचित्र प्रस्तुत किया। इस शब्दचित्र में आत्मप्रचार और आभार की सम्मिलित शैली में हमने लगभग अपना ही प्रशस्ति

09 अप्रैल 2025

आज ‘बेला’ का जन्मदिन है

आज ‘बेला’ का जन्मदिन है

आज ‘बेला’ का जन्मदिन है। गत वर्ष वे देवियों के दिन थे, जब हिन्दी और ‘हिन्दवी’ के व्यापक संसार में ‘बेला’ का प्राकट्य हुआ था। देवियों की उपस्थिति और कला—रूप और कथ्य दोनों ही स्तरों पर—अत्यंत समृद्ध

08 अप्रैल 2025

कथ्य-शिल्प : दो बिछड़े भाइयों की दास्तान

कथ्य-शिल्प : दो बिछड़े भाइयों की दास्तान

शिल्प और कथ्य जुड़वाँ भाई थे! शिल्प और कथ्य के माता-पिता कोरोना के क्रूर काल के ग्रास बन चुके थे। दोनों भाई बहुत प्रेम से रहते थे। एक झाड़ू लगाता था एक पोंछा। एक दाल बनाता था तो दूसरा रोटी। इसी तर

07 अप्रैल 2025

उसी के पास जाओ जिसके कुत्ते हैं

उसी के पास जाओ जिसके कुत्ते हैं

मुझे पता भी नहीं चला कि कब ये कुत्ते मेरे पीछे लग गए। जब पता चला तो मैं पसीने-पसीने हो गया। मैंने कहीं पढ़ा था कि अगर कुत्ते पीछे पड़ ही जाएँ तो एकदम से भागना ख़तरनाक होता है। आप कुत्तों से तेज़ कभी नह

06 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : एक सुझाववादी का चाहिएवाद

रविवासरीय : 3.0 : एक सुझाववादी का चाहिएवाद

• ‘नये शेखर की जीवनी’ शीर्षक कथा-कृति के प्रथम खंड में इन पंक्तियों के लेखक ने एक ऐसे समीक्षक का वर्णन किया है; जिसके कमरे में केवल वे ही किताबें थीं, जिनकी उसने समीक्षाएँ की थीं। यह कुछ-कुछ वैसा ही

01 अप्रैल 2025

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

उनका पूरा नाम विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ था। ‘विमलेश राजस्थानी’ भी उन्हें कहा जाता था और कवियों के बीच वह विमलेशजी के नाम से मशहूर थे। विमलेशजी की चार लाइनों और उनके पढ़ने की नक़ल करने वाले सुरेंद्र शर

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थीं। वह अपनी आत्मकथा के स्पष्टीकरण में स्पष्ट तौर पर लिखती हैं—‘‘यह मेरी आत्मकथा

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

समादृत कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। वर्ष 1961 में इस पुरस्कार की स्थापना ह

21 मार्च 2025

‘चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम’

‘चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम’

ओ मेरी कविता, कहाँ हैं तेरे श्रोता? कमरे में कुल बारह लोग और आठ ख़ाली कुर्सियाँ— चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम कुछ लोग और अंदर आ गए शायद बारिश पड़ने लगी है बाक़ी सभी कवि के सगे-सं

08 मार्च 2025

अनुभूति की शुद्धता का सवाल

अनुभूति की शुद्धता का सवाल

अभी कुछ दिन हुए एक साथी कहता था कि यार कुछ भी कहो कविताओं के जो अर्थ फ़लाँ आलोचक निकाल कर गए हैं, ऐसे कविता को समझना आज के पाठक के बूते के बाहर है। मैंने कहा कि पाठक ही क्यों ठीक उसी परिप्रेक्ष्य में

02 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : आधा सुचिंतित, आधा सुगठित, बाक़ी तार्किक

रविवासरीय : 3.0 : आधा सुचिंतित, आधा सुगठित, बाक़ी तार्किक

• गत रविवासरीय पढ़कर हिंदी-जगत में संभव हुए भगदड़रत व्यवहार के बाद, इस बार इस स्तंभ [रविवासरीय] की संरचना पर कुछ बातें दर्ज करने का दिल कर रहा है और कुछ उत्तर-प्रतिउत्तर प्रस्तुत करने का भी... इस स्

16 फरवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘मेरा दुश्मन बनने में अब वह कितना वक़्त लेगा’

रविवासरीय : 3.0 : ‘मेरा दुश्मन बनने में अब वह कितना वक़्त लेगा’

• प्रशंसा का पहला वाक्य आत्मीय लगता है, लेकिन प्रशंसा के तीसरे वाक्य में प्रशंसा का तर्क भी हो; तब भी उससे बचने का मन करता है, क्योंकि प्रशंसा के दूसरे वाक्य से ही ऊब होने लगती है। • विष्णु खरे की

14 फरवरी 2025

भाषा के घर में क्या है!

भाषा के घर में क्या है!

भाषा पर बात करते हुए मुख्यतः चार रुझान या रवैये दिखाई देते हैं। • व्युत्पत्ति : शब्द की उत्पत्ति, विकास और परिवर्तन का इतिहास ढूँढ़ना। • विधानवाद (Prescriptivism) :  भाषा के ‘शुद्ध’ या ‘सही’ रू

09 फरवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘इन्हें कोई काश ये बता दे मकाम ऊँचा है सादगी का...’

रविवासरीय : 3.0 : ‘इन्हें कोई काश ये बता दे मकाम ऊँचा है सादगी का...’

• एक प्रकाशक को देखकर मेरे मन में सबसे पहला ख़याल यही आता है कि उससे किताब ले लूँ। यहाँ ‘किताब ले लेने’ का अर्थ एकायामी नहीं है।  • हिंदी के साहित्यिक प्रकाशकों के विषय में जो बात सबसे ज़्यादा परेशा

02 फरवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : हम आपके डिजिटल डिटॉक्स की कामना करते हैं

रविवासरीय : 3.0 : हम आपके डिजिटल डिटॉक्स की कामना करते हैं

• 1 फ़रवरी से 9 फ़रवरी के बीच नई दिल्ली के प्रगति मैदान [भारत मंडपम] में आयोजित विश्व पुस्तक मेले की स्थिति जानने की उत्कंठा जैसे आप सबको है, वैसे ही धृतराष्ट्र को भी है। वह अपनी इस आकांक्षा की पूर्ति

19 जनवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : पुष्पा-समय में एक अन्य पुष्पा की याद

रविवासरीय : 3.0 : पुष्पा-समय में एक अन्य पुष्पा की याद

• कार्ल मार्क्स अगर आज जीवित होते तो पुष्पा से संवाद छीन लेते, प्रधानसेवकों से आवाज़, रवीश कुमार से साहित्यिक समझ, हिंदी के सारे साहित्यकारों से फ़ेसबुक और मार्क ज़ुकरबर्ग से मस्तिष्क... • मुझे याद आ

16 जनवरी 2025

संभावना के संबोधन : अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत

संभावना के संबोधन : अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत

अत्यंत समादृत कवि-आलोचक और कला-प्रशासक अशोक वाजपेयी आज 85वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यहाँ उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए प्रस्तुत है—उनके द्वारा बोले-लिखे जा रहे आत्म-वृत्तांत से कुछ अंश। ये अंश अशोक

12 जनवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : गद्यरक्षाविषयक

रविवासरीय : 3.0 : गद्यरक्षाविषयक

• गद्य की रक्षा करना एक गद्यकार का प्राथमिक दायित्व है। गद्यरत के गद्य की रक्षा कैसे होती है? आइए जानते हैं : गद्यरत जब प्रकाश पर रचे; तब चाहे कि प्रकाश के जितने भी संभव-असंभव आयाम हैं, वे सब व्यक

14 दिसम्बर 2024

नागरीप्रचारिणी सभा की मनोरंजन पुस्तकमाला

नागरीप्रचारिणी सभा की मनोरंजन पुस्तकमाला

अँग्रेज़ी की प्रसिद्ध पुस्तक के इस शीर्षक ने हिंदी में उस महान् मुहावरे को जन्म दिया; जिसके शब्द हैं : सादा जीवन उच्च विचार। यह किताब सन् 1897 में पहली बार प्रकाशित हुई थी और अँग्रेज़ी-साहित्य में इस

11 दिसम्बर 2024

'ऐसे भी तो संभव है मृत्यु'

'ऐसे भी तो संभव है मृत्यु'

‘वनिका’ एक कमज़ोर उपन्यास है, जब मैं कमज़ोर कह रहा हूँ तो इसका यह मतलब नहीं कि यह एक ख़राब या सतही क़िस्म का कोई उपन्यास है। इसे इस तरह देखना चाहिए कि लवली गोस्वामी जो मेरी नज़र में बुनियादी तौर पर एक कवि

09 दिसम्बर 2024

पीपर पात सरिस मन डोला

पीपर पात सरिस मन डोला

कहीं से लौट रहा हूँ और कहीं जा रहा हूँ। आज पैसे मिले थे तो कैब की सवारी है और साहित्यिक ब्लॉगों पर अक्टूबर की रूमानियत। आगे नवरात्र के पंडाल की भीड़ और लाउडस्पीकर, पीछे लेखकीय आभा में कुछ संवेदनहीन ल

30 नवम्बर 2024

हिंदी साहित्य के आउटसाइडर नीलकांत को जानना

हिंदी साहित्य के आउटसाइडर नीलकांत को जानना

फ़ेसबुक पर एक वीडियो तैरती हुई दिखाई दी। उसमें एक बुज़ुर्ग अपील कर रहे हैं कि कल देवनगर झूसी में आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में शिरकत करें। मैंने तय किया कि इस गोष्ठी में जाऊँगा। मैं जहाँ रहता हूँ, वहाँ

19 नवम्बर 2024

उर्फ़ी जावेद के सामने हमारी हैसियत

उर्फ़ी जावेद के सामने हमारी हैसियत

हिंदी-साहित्य-संसार में गोष्ठी-संगोष्ठी-समारोह-कार्यक्रम-आयोजन-उत्सव-मूर्खताएँ बग़ैर कोई अंतराल लिए संभव होने को बाध्य हैं। मुझे याद पड़ता है कि एक प्रोफ़ेसर-सज्जन ने अपने जन्मदिन पर अपने शोधार्थी से

24 सितम्बर 2024

नए भारत का हिंदी पखवाड़ा और हिंदी-प्रोफ़ेसर-सेवकों के हवाले हिंदी

नए भारत का हिंदी पखवाड़ा और हिंदी-प्रोफ़ेसर-सेवकों के हवाले हिंदी

अगर आप हिंदी में लिखते-पढ़ते हैं तो सितंबर का महीना आपको ‘विद्वान’ कहलाने का पूरा मौक़ा देता है। अभी कुछ दिन पहले ही हिंदी दिवस बीता। हिंदी पखवाड़ा जिसे बक़ौल प्रोफ़ेसर विनोद तिवारी हिंदी का पितर-

14 सितम्बर 2024

हिंदी दिवस पर जानिए हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें

हिंदी दिवस पर जानिए हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें

हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें? यह प्रश्न कोई भी कर सकता है, बशर्ते वह हिंदी भाषा और उसके साहित्य में दिलचस्पी रखता हो; लेकिन प्राय: यह प्रश्न किशोरों और नवयुवकों की तरफ़ से ही आता है। यहाँ इस प्रश्न

30 जुलाई 2024

‘हिन्दवी’ उत्सव में न जा पाए एक हिंदीप्रेमी का बयान

‘हिन्दवी’ उत्सव में न जा पाए एक हिंदीप्रेमी का बयान

‘हिन्दवी’ अब दूर है। उसके आयोजन भी। जब दिल्ली में था तो एक दफ़ा (लखनऊ में ‘हिन्दवी’ उत्सव के आयोजन पर) सोच रहा था कि लखनऊ में क्यों नहीं हूँ? अब लखनऊ में बैठा सोचता हूँ कि ‘हिन्दवी’ के इस आयोजन के समय

30 जुलाई 2024

हिन्दी के वैभव की दास्तान वाया ‘हिन्दवी उत्सव’

हिन्दी के वैभव की दास्तान वाया ‘हिन्दवी उत्सव’

‘हिन्दवी उत्सव’ का चौथा संस्करण, रविवार 28 जुलाई 2024 को त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।  आइए जानते हैं ‘हिन्दवी उत्सव’ से लौटकर अतिथि-लेखकों ने आयोजन को लेकर क

16 मई 2024

'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'

'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'

हिंदी की समादृत साहित्यकार मालती जोशी का बुधवार, 15 मई को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 2018 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह लगभग 70