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कविता पर बेला

28 जुलाई 2025

तमाशे के पार : हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और एक लेखक की आश्वस्ति

तमाशे के पार : हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और एक लेखक की आश्वस्ति

इन दिनों साहित्य की दुनिया किसी मेले की तरह लगती है—शब्दों का मेला नहीं, विवादों और आक्षेपों का मेला। सोशल मीडिया की स्क्रॉलिंग करते हुए रोज़ किसी न किसी ‘साहित्यिक’ विवाद से साबका पड़ता है। लोग द

25 जुलाई 2025

वाचिक : परंपरा का नवोन्मेष

वाचिक : परंपरा का नवोन्मेष

‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ का उपक्रम ‘हिन्दवी’—हिंदी-साहित्य-संस्कृति-कला-संसार को समर्पित अपने वार्षिकोत्सव—‘हिन्दवी उत्सव’ के पाँचवें संस्करण का आयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 27 जुलाई 2025, रविवार को नई द

25 जुलाई 2025

उदय प्रकाश : समय, स्मृति और यथार्थ के अद्वितीय रचनाकार

उदय प्रकाश : समय, स्मृति और यथार्थ के अद्वितीय रचनाकार

“कोई भी रचनाकार-कथाकार समय, इतिहास स्मृति के स्तर पर, ख़ासकर टाइम एंड मेमोरी के स्तर पर लिखता है। …मेरा मानना है कि किसी भी रचनाकार को अपनी संवेदना लगातार बचा कर रखनी चाहिए। अपने आस-पास के परिवर्तन के

23 जुलाई 2025

अशोक वाजपेयी : सच्चाई के रूपक

अशोक वाजपेयी : सच्चाई के रूपक

समादृत कवि-आलोचक और कला-प्रशासक अशोक वाजपेयी इस बार के ‘हिन्दवी उत्सव’ में कविता-पाठ के लिए आमंत्रित हैं। यहाँ प्रस्तुत है—उनके द्वारा बोले-लिखे जा रहे आत्म-वृत्तांत से कुछ अंश। ये अंश अशोक वाजपेयी औ

18 जुलाई 2025

वोटिंग-विचार पर कुछ विचार

वोटिंग-विचार पर कुछ विचार

प्रतियोगिताएँ, पुरस्कार और सूचियाँ हमेशा से संदिग्ध रही हैं। प्रतियोगिताओं में कोई भी निर्णय अंतिम निर्णय नहीं होता, बावजूद इसके कोई भी काव्य-प्रतियोगिता इस अर्थ में कविता के हक़ में होती है कि कविता

17 जुलाई 2025

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ के निर्णायक

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ के निर्णायक

‘हिन्दवी उत्सव’ [रविवार, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली] में आयोजित होने जा रही ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ प्रतियोगिता अब अपने निर्णायक पड़ाव की ओर बढ़ रही है। यह प्रतियोगिता देश भर के

15 जुलाई 2025

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की फ़ाइनल लिस्ट

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की फ़ाइनल लिस्ट

इस जुलाई की उमस भरी शनिवार की दुपहर में; जब नोएडा के अधिकांश दफ़्तरों में कर्मचारी छुट्टी पर थे, ‘हिन्दवी’ की संपादकीय टीम एक कमरे में बैठकर अपने आचरण के अनुरूप हिंदी-साहित्य में एक नया प्रयोग कर रही

14 जुलाई 2025

हिन्दवी : ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की लॉन्ग-लिस्ट

हिन्दवी : ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की लॉन्ग-लिस्ट

‘हिन्दवी’ ने अपने प्रयोगधर्मी व्यवहार के प्रकाश में—वर्ष 2022 के सिंतबर में—‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत की थी। यह शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय [हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग] के साथ हुई। इस

09 जुलाई 2025

गुरु दत्त : कुछ कविताएँ

गुरु दत्त : कुछ कविताएँ

क्या तलाश है, कुछ पता नहीं* वह पीता रहा अपनी ज़िंदगी को एक सिगरेट की तरह तापता रहा अपनी उम्र को एक अलाव की तरह और हम ढूँढ़ते हैं उस राख के क़तरे तलाशते हैं उसके बेचैन होंठों की थरथराहट उसकी

06 जुलाई 2025

कवियों के क़िस्से वाया AI

कवियों के क़िस्से वाया AI

साहित्य सम्मेलन का छोटा-सा हॉल खचाखच भरा हुआ था। मंच पर हिंदी साहित्य के दो दिग्गज विराजमान थे—सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और तत्कालीन नई पीढ़ी के लेखक निर्मल वर्मा। सामने बैठे श्रोताओं की आँखों में चमक

25 जून 2025

अब बाज़ार स्त्री के क़दमों में है

अब बाज़ार स्त्री के क़दमों में है

समकालीन हिंदी स्त्री-कविता की परंपरा में अनीता वर्मा सघन संवेदना और ऐन्द्रियबोध की कवि हैं। भाषा, भाव और बिंब के साथ प्रतीकों की अलग आभा उनकी कविताओं को दुर्लभ अर्थ-छवियों से जोड़ती है। परिवार, समाज,

24 जून 2025

'आलोचना' सह पाएगी अपनी आलोचना!

'आलोचना' सह पाएगी अपनी आलोचना!

राजकमल प्रकाशन समूह की त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ [अंक-77] ने ‘इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता’ शीर्षक से एक विशेषांक गए दिनों प्रकाशित किया। इस अंक पर साहित्य संसार में काफ़ी बातचीत हुई, जिसे फ़ेसबुकिया

23 जून 2025

महान् कविताओं के बिंब कैसे होते हैं!

महान् कविताओं के बिंब कैसे होते हैं!

दुपहर हो गई थी। मेरा वह साथी अपनी लंबी कविता का कुछ हिस्सा पढ़ाकर वापस लौट आया था। उसने आते ही मुझे फ़ोन किया और लाइब्रेरी से बाहर बुला लिया। आज वह चहक रहा था। उसके चेहरे पर अतिरिक्त उत्साह के निशान स

28 मई 2025

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

बहुत पहले जब विनोद कुमार शुक्ल (विकुशु) नाम के एक कवि-लेखक का नाम सुना, और पहले-पहल उनकी ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ हाथ लगी, तो उसकी भूमिका का शीर्षक था—विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक। आश्चर्यलोक—विकुशु के

20 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : हिंदी में विश्व कविता का विश्व

रविवासरीय : 3.0 : हिंदी में विश्व कविता का विश्व

• गत सौ-सवा वर्षों की हिंदी कविता पर अगर एक सरसरी तब्सिरा किया जाए और यह जाँचने-जानने के यत्न में संलग्न हुआ जाए कि हमारी हिंदी दूसरी भाषाओं में उपस्थित सृजन के प्रति कितनी खुली हुई है; तब यह तथ्य एक

19 अप्रैल 2025

दो दीमकें लो, एक पंख दो

दो दीमकें लो, एक पंख दो

मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इस कार्यक्रम के आयोजकों और नियामकों का जिन्होंने मुझे आपके रूबरू होने का, कुछ बातें कर पाने का मौक़ा दिया। मेरे लिए यह मौक़ा असाधारण तो नहीं, लेकिन कुछ दुर्लभ ज़रूर है। ल

18 अप्रैल 2025

ए.एन. कॉलेज से हो रही है बिहार में 'हिन्दवी कैंपस कविता' की शुरुआत

ए.एन. कॉलेज से हो रही है बिहार में 'हिन्दवी कैंपस कविता' की शुरुआत

हिन्दवी कैंपस कविता—‘हिन्दवी’ का एक विशेष आयोजन है। इस आयोजन के माध्यम से देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ-सहयोग से वहाँ के छात्रों को साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता

01 अप्रैल 2025

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

उनका पूरा नाम विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ था। ‘विमलेश राजस्थानी’ भी उन्हें कहा जाता था और कवियों के बीच वह विमलेशजी के नाम से मशहूर थे। विमलेशजी की चार लाइनों और उनके पढ़ने की नक़ल करने वाले सुरेंद्र शर

24 मार्च 2025

नदी, लोग और कविताएँ

नदी, लोग और कविताएँ

दिन के बाद दिन आते गए और रात के बाद रात। सारा जीवन इकसार और नीरस-सा लगने लगा। इस दुख को हँसकर टालने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी न था। रात के अकेलेपन को काटने के लिए फ़ोन की स्क्रीन को बेहिसाब स्क्रॉ

21 मार्च 2025

‘चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम’

‘चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम’

ओ मेरी कविता, कहाँ हैं तेरे श्रोता? कमरे में कुल बारह लोग और आठ ख़ाली कुर्सियाँ— चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम कुछ लोग और अंदर आ गए शायद बारिश पड़ने लगी है बाक़ी सभी कवि के सगे-सं

12 मार्च 2025

विशाल अनुभव-सागर की एक झलक

विशाल अनुभव-सागर की एक झलक

हिंदी में लेखकों का अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा लिया गया साक्षात्कार संकलित होकर पुस्तक के रूप में प्रकाशित होता रहा है और ऐसी पुस्तकों की संख्या भी अच्छी-ख़ासी (एक प्रकाशक ने तो ऐसे ‘साक्षात्कार’ की प

09 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’

रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’

• इधर एक वक़्त बाद विनोद कुमार शुक्ल [विकुशु] की तरफ़ लौटना हुआ। उनकी कविताओं के नवीनतम संग्रह ‘केवल जड़ें हैं’ और उन पर एकाग्र वृत्तचित्र ‘चार फूल हैं और दुनिया है’ से गुज़रना हुआ। गुज़रकर फिर लौटना हुआ।

08 मार्च 2025

अनुभूति की शुद्धता का सवाल

अनुभूति की शुद्धता का सवाल

अभी कुछ दिन हुए एक साथी कहता था कि यार कुछ भी कहो कविताओं के जो अर्थ फ़लाँ आलोचक निकाल कर गए हैं, ऐसे कविता को समझना आज के पाठक के बूते के बाहर है। मैंने कहा कि पाठक ही क्यों ठीक उसी परिप्रेक्ष्य में

05 मार्च 2025

हमारे समय का आर्तनाद है ‘शान्ति पर्व’ की कविताएँ

हमारे समय का आर्तनाद है ‘शान्ति पर्व’ की कविताएँ

आशीष त्रिपाठी का अद्यतन काव्य संग्रह ‘शान्ति पर्व’ विवेकशील मानस की भाव-यात्रा है। भाव के साथ चेतना भी जागृत है। इस यात्रा में सब कुछ है, सब कुछ! फणीश्वरनाथ रेणु के शब्दों में कहें तो—“इसमें फूल भी ह

03 मार्च 2025

क़व्वाली का ‘हाँ-हाँ दुर्योधन बाँध मुझे’ मोमेंट

क़व्वाली का ‘हाँ-हाँ दुर्योधन बाँध मुझे’ मोमेंट

क़व्वाल उस्ताद फ़रीद अयाज़ और उस्ताद अबू मुहम्मद की एक शाम यूट्यूब पर क़ैद है। दूर शहर। घर की अंतरंग महफ़िल। हारमोनियम, ढोल और शागिर्द। ख़ुसरो दिल्ली में अपने आँगन में सोए हैं। शब्द शताब्दियों से

31 जनवरी 2025

शैलेंद्र और साहिर : जाने क्या बात थी...

शैलेंद्र और साहिर : जाने क्या बात थी...

शैलेंद्र और साहिर लुधियानवी—हिंदी सिनेमा के दो ऐसे नाम, जिनकी लेखनी ने फ़िल्मी गीतों को साहित्यिक ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनकी क़लम से निकले अल्फ़ाज़ सिर्फ़ गीत नहीं, बल्कि ज़िंदगी का फ़लसफ़ा और समाज क

24 जनवरी 2025

जावेद आलम ख़ान की ‘स्याह वक़्त की इबारतें’ और अन्य कविताएँ पढ़ते हुए…

जावेद आलम ख़ान की ‘स्याह वक़्त की इबारतें’ और अन्य कविताएँ पढ़ते हुए…

कविता की एक किताब में—एक ज़ख़्मी देश, एक आहत मन! एक कवि—जिसका नाम विमर्श में खो गया, जिसके चेहरे की ओर भी सबने नहीं देखा, लेकिन उसकी आवाज़ कुछ दिलों में, कुछ कविता की बातों के रास्ते पर, साहित्य के क

22 जनवरी 2025

विश्व पुस्तक मेला 2025 : पुस्तकों के साथ साहित्य और संस्कृति का उत्सव

विश्व पुस्तक मेला 2025 : पुस्तकों के साथ साहित्य और संस्कृति का उत्सव

देशभर के साहित्य-प्रेमियों की उत्सुकता को बढ़ाते हुए—भारत में पठन-संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की पुस्तक संबंधित नोडल एजेंसी—नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (एनबीट

30 दिसम्बर 2024

वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची

वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची

ज्ञानरंजन ने अपने एक वक्तव्य में कहा है : ‘‘सूची कोई भी बनाए, कभी भी बनाए; सूचियाँ हमेशा ख़ारिज की जाती रहेंगी, वे विश्वसनीयता पैदा नहीं कर सकतीं—क्योंकि हर संपादक, आलोचक के जेब में एक सूची है।’’

25 दिसम्बर 2024

नए लेखकों के लिए 30 ज़रूरी सुझाव

नए लेखकों के लिए 30 ज़रूरी सुझाव

पहला सुझाव तो यह कि जीवन चलाने भर का रोज़गार खोजिए। आर्थिक असुविधा आपको हर दिन मारती रहेगी। धन के अभाव में आप दार्शनिक बन जाएँगे लेखक नहीं।  दूसरा सुझाव कि अपने लेखक समाज में स्वीकृति का मोह छोड़

24 दिसम्बर 2024

प्रेम का आईनाख़ाना

प्रेम का आईनाख़ाना

सूफ़ी साहित्य का कैनवास इतना विशाल है कि अक्सर तस्वीर का एक हिस्सा देखने में दूसरा हिस्सा छूट जाता है। इस तस्वीर में इतने रंग हैं और रंगों का ऐसा मेल-मिलाप है कि किसी एक रंग को ढूँढ़ना समझना लगभग नामुम

04 दिसम्बर 2024

लौट रहा है महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल

04 दिसम्बर 2024

लौट रहा है महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल

महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल—जो संगीत, साहित्य और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत संगम है, अपने आठवें संस्करण के साथ 13 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 के बीच वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों पर लौट रहा है। यह तीन दिवसीय उत

03 दिसम्बर 2024

बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत

बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत

अवधी में रोमानी कविता की भी एक संवृद्ध परंपरा रही है, जिसकी शुरुआती मिसाल हम अबुल हसन यमीन उद-दीन ख़ुसरो (1253-1325 ई.) के यहाँ देख सकते हैं। उनका एक प्रसिद्ध कथन है कि “मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अ

21 नवम्बर 2024

मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह

मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह

इधर रुस्तम का नया कविता-संग्रह ‘मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था’ (संभावना प्रकाशन) सामने आया है। रुस्तम के काव्य-संसार में प्रवेश से पहले रिलेक्स होना ज़रूरी है, क्योंकि वह जीवन की आपाधापी के कवि नहीं है

29 अक्तूबर 2024

धरती पर हज़ार चीज़ें थीं काली और ख़ूबसूरत

धरती पर हज़ार चीज़ें थीं काली और ख़ूबसूरत

इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता की नई पीढ़ी का स्वर बहुआयामी और बहुकेंद्रीय सामाजिक सरोकारों से संबद्ध है। नई पीढ़ी के कवियों ने अपने समय, समाज और राजनीति के क्लीशे को अलग भाष्य दिया है। अनुपम सिंह की क

26 अक्तूबर 2024

मैं वही हूँ—‘कोई… मिल गया’ का ‘रोहित’

मैं वही हूँ—‘कोई… मिल गया’ का ‘रोहित’

ऋतिक रोशन ने जब मुझे अपनी ओर अट्रैक्ट किया, उसकी पहली वजह थी यह गाना और उस पर ऋतिक बेहतरीन डांस—“करना है क्या मुझको यह मैंने कब है जाना…” प्रभुदेवा की कोरियोग्राफ़ी और फ़रहान अख़्तर का कैमरा। इस ग

25 अक्तूबर 2024

अजंता देव की ताँत के धागों से खींची कविताएँ

अजंता देव की ताँत के धागों से खींची कविताएँ

अगर कोई कहे कि अपने लिए बस एक ही फ़ेब्रिक चुनो तो मैं चुनूँगी सूती। सूती में भी किसी एक जगह की बुनाई को ही लेने को मजबूर किया तो चुनूँगी—बंगाल; और बंगाल के दसियों क़िस्म की सूती साड़ियों में से भी कोई

21 अक्तूबर 2024

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ :  हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई

21 अक्तूबर 2024

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ : हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ अवधी में बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ की नई लीक पर चलने वाले कवि हैं। वह वंशीधर शुक्ल, रमई काका, मृगेश, लक्ष्मण प्रसाद ‘मित्र’, माता प्रसाद ‘मितई’, विकल गोंडवी, बेकल उत्साही, ज

17 अक्तूबर 2024

जामिया में हुआ दिल्ली का पहला ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन

जामिया में हुआ दिल्ली का पहला ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के FTK-CIT सभागार में, 16 अक्टूबर को ‘कैंपस कविता’ का आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन रेख़्ता समूह के उपक्रम ‘हिन्दवी’ ने लिटरेरी क्लब, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सहयोग से किया

16 अक्तूबर 2024

जामिया से हो रही है दिल्ली में ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत

जामिया से हो रही है दिल्ली में ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत

‘हिन्दवी उत्सव’ के साथ-साथ हिन्दवी कैंपस कविता भी ‘हिन्दवी’ का एक विशेष आयोजन है—इसके माध्यम से देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर वहाँ के छात्रों को साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित करने क

04 अक्तूबर 2024

पिता और मैं : कविता और माटी

पिता और मैं : कविता और माटी

मैं शुरू करना चाहता हूँ तब से—जब से मेरे पिता नवीन सागर ने मेरे आज को देख लिया था और शायद तब ही उन्होंने 27 सितंबर 2024 की शाम उनके नाम के स्टूडियो में ख़ुद पर होने वाले कविता पाठ को भी सुन लिया था।

30 सितम्बर 2024

यों याद किए गए नवीन सागर

यों याद किए गए नवीन सागर

गत शुक्रवार, 27 सितंबर को हौज़ ख़ास विलेज, नई दिल्ली में ‘नवीन सागर स्मृति रचना समारोह’ का पहला आयोजन हुआ। मेरी नज़र में बीते कई सालों में हिंदी-संसार में हो रहे आयोजनों में ऐसा कोई आयोजन हुआ या होता

26 सितम्बर 2024

एकतरफ़ा प्यार को लेकर क्या कह गए हैं ग़ालिब

एकतरफ़ा प्यार को लेकर क्या कह गए हैं ग़ालिब

हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे  कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और दुनिया में कई ‘सुख़न-वर’ हुए हैं। अच्छे-से-अच्छे हुए हैं और आगे भी होंगे, पर ग़ालिब की इस बात को कोई नहीं नका

25 सितम्बर 2024

जीवन की कविता और कविता का जीवन

जीवन की कविता और कविता का जीवन

सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर्चित कविताओं के कई संकलन इससे पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं, उनकी काव्य संचयिता

24 सितम्बर 2024

‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ में खेला गया ‘मगध’

‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ में खेला गया ‘मगध’

गत दिनांक 16 सितंबर 2024 को ‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ का आयोजन किया गया। प्रयागराज स्थित स्वराज विद्यापीठ में यह कार्यक्रम शाम 5 बजे शुरू हुआ। यह तीन हिस्सों में संपन्न हुआ : • हमारी यादों में फ़रीद क

24 सितम्बर 2024

नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन

नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन

इस शुक्रवार यानी 27 सितंबर 2024 की शाम हौज़ ख़ास विलेज (नई दिल्ली) में हिंदी के एक अनूठे कवि-लेखक नवीन सागर [1948-2000] की स्मृति में एक रचना-समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में रामकुमार तिवारी

18 सितम्बर 2024

फिर से हो रहा है 'ठेके पर मुशायरा'

फिर से हो रहा है 'ठेके पर मुशायरा'

नाट्य संस्था साइक्लोरामा अपने नए नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’ का एक बार फिर से मंचन करने जा रहा है। यह नाटक 21 सितंबर 2024 को एलटीजी सभागार, मंडी हाउस, नई दिल्ली में खेला जाएगा। इसके पिछले प्रदर्शनों को दर

11 सितम्बर 2024

राजनीतिक संगठनकर्ताओं के बीच मुक्तिबोध

राजनीतिक संगठनकर्ताओं के बीच मुक्तिबोध

भारतीय आर्थिक ढाँचा एक बहुत बड़ी आबादी को ख़ाली समय की सुविधा ही नहीं देता कि वह साहित्य जैसे विषय को अपने जीवन से जोड़ सके।  चिंता : हिंदी के लेखक कई बार सामूहिक तौर पर तो कई बार व्यक्तिगत सीम

20 अगस्त 2024

रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार-2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित

रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार-2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित

रविशंकर उपाध्याय स्मृति संस्थान ने युवा कवि रविशंकर उपाध्याय की स्मृति में प्रत्येक वर्ष दिए जाने वाले पुरस्कार—‘रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार 2025’ के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित की हैं।

17 अगस्त 2024

जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ : बिना काटे भिटवा गड़हिया न पटिहैं

जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ : बिना काटे भिटवा गड़हिया न पटिहैं

कवि जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ (1930-2013) अवधी भाषा के अत्यंत लोकप्रिय कवि हैं। उनकी जन्मतिथि के अवसर पर जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘परिवर्तन’ पत्रिका के साझे प्रयत्न से जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ स्मृति संवाद कार्य