मंडी हाउस में जल्द शुरू होगा आद्यम थिएटर का सातवाँ संस्करण
आद्यम थिएटर का सातवाँ संस्करण—राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में 11 और 12 जनवरी से शुरू होगा। आद्यम थिएटर—आदित्य बिड़ला समूह की एक पहल है, जो भारतीय रंगमंच को बढ़ावा
उर्फ़ी जावेद के सामने हमारी हैसियत
हिंदी-साहित्य-संसार में गोष्ठी-संगोष्ठी-समारोह-कार्यक्रम-आयोजन-उत्सव-मूर्खताएँ बग़ैर कोई अंतराल लिए संभव होने को बाध्य हैं। मुझे याद पड़ता है कि एक प्रोफ़ेसर-सज्जन ने अपने जन्मदिन पर अपने शोधार्थी से
छठ, शारदा सिन्हा और ये वैधव्य के नहीं विरह के दिन थे...
मुझे ख़ूब याद है जब मेरी दादी गुज़र गई थीं! वह सुहागिन गुज़री थीं। उनकी मृत्यु के समय खींची गईं तस्वीरों में एक तस्वीर ऐसी है कि देखकर बरबस रोना आता है। पीयर (पीली) दगदग गोटेदार पुतली साड़ी में लिपटी
फूल की थरिया से छिटकती झनकार की तरह थीं शारदा सिन्हा!
कहते हैं फूल की थरिया को लोहे की तीली से गर छेड़ दिया जाए तो जो झनकार निकलेगी वह शारदा सिन्हा की आवाज़ है। कोयल कभी बेसुरा हो सकती है लेकिन वह नहीं! कातिक (कार्तिक) में नए धान का चिउड़ा महकता है। शार
रोशनी की प्रजाएँ
दीपावली अर्थात् नन्हे-नन्हे दीपकों का उत्सव। रोशनी के नन्हे-नन्हे बच्चों का उत्सव! ‘जब सूर्य-चंद्र अस्त हो जाते हैं तो मनुष्य अंधकार में अग्नि के सहारे ही बचा रहता है।’ ‘छान्दोग्य उपनिषद्’ के ऋषि का
14 अप्रैल 2024
बंगाली, बैशाख और रवींद्रनाथ
बैशाख के खेत की दरार में यह दुनिया असमान है और कोई वादा नहीं... केवल दो या तीन मील घास के ढेर हैं फिर भी यह सोने जैसा नहीं है हँसिये की आवाज़ ही भूल जाती है धरती की तोप को— करुण, निर्दोष और अस
'जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी'
छतों पर ठट का ठट जमा है, शाम हल्की शफ़क़ में डूबी आसमान पर लहरों के साथ किसी बच्चे की तरह अटखेलियाँ करती मुस्कुरा रही है। अभी सूरज डूबने में वक़्त है, मगर टोपियाँ, दुपट्टे नुमूदार हो रहे हैं। आख़िरी इफ़्