चौदहवीं तितली कहीं नहीं मिली
धूप इतनी तीखी थी कि मेरी गर्दन पर पसीने की बूँदें काँटों की तरह निकल आई थीं, लेकिन में उसकी आँखों से झरती ओस में राहत महसूस कर रहा था। उसने कहा—मैंने तुम्हारे इन पत्रों को बार-बार पढ़ा। ना जलाने की
दोस्ती क़ब्रिस्तान है और दोस्त क़ब्र
दोस्त सिर्फ़ दोस्त होते हैं। बहुत सारा साथ, सामर्थ्य, साहस और प्रेम उसी में समाहित होता है। किसी भी इंसान के बारे में दूसरे लोग सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकते हैं, सच सिर्फ़ दोस्तों को पता होता है, उनसे छिप
अस्सी वाया भाँग रोड बनारस
कितना अजीब है किसी घटना को काग़ज़ पर उकेरना। वर्तमान में रहते हुए अतीत की गुफाओं में उतरकर किसी पल को क़ैद कर लेना। उसे अपने हिसाब से जीने पर मजबूर कर देना। मैं कितनी बार कोशिश करता हूँ कि जो घटना बार-ब
बीमार मन स्मृतियों से भरा होता है
गए दिन जैसे गुज़रे हैं उन्हें भयानक कहूँ या उस भयावहता का साक्षात्कार, जिसका एक अंश मुझ-से मुझ-तक होकर गुज़रा है। चोर घात लगाए बैठा था और हम शिकार होने को अभिशप्त थे। जैसे धीरे-धीरे हम उसकी ज़द में स
भूले-भटके दिन : कुछ रूमानी टुकड़े
मैंने अपने सबसे असुरक्षित क्षणों में जब-जब तुम्हें याद किया है, तब-तब यह सवाल आया कि बीतते समय के साथ मैं तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण रहूँगा कि नहीं! संभव है, यह प्रश्न तुम्हारे ज़ेहन में भी उठता होगा,
05 सितम्बर 2025
अपने माट्साब को पीटने का सपना!
इस महादेश में हर दिन एक दिवस आता रहता है। मेरी मातृभाषा में ‘दिन’ का अर्थ ख़र्च से भी लिया जाता रहा है। मसलन आज फ़लाँ का दिन है। मतलब उसका बारहवाँ। एक दफ़े हमारे एक साथी ने प्रभात-वेला में पिता को जाकर
व्यंग्य : कुत्ते और कुत्ते
बाज़ार में आजकल हिंदुस्तानी-अँग्रेज़ी में लिखी हुई बहुत-सी किताबें आ गई हैं जो कुत्तों के—असली कुत्तों के—बारे में हैं। ‘डॉग केयर बाई ए डाग-लवर’, ‘शेफ़र्ड डाग्स ऑफ़ जर्मनी, बाई ए डॉग-लवर’, ‘ऑफ़ डाग्स
वापसियों की यात्रा क्या त्रासदियों के अंत से शुरू होती है?
अचानक ही तुम्हें अपनी भटक का उद्गम मिल गया है। वह इतना अस्ल है कि तुम उससे घबरा गए हो। तुम चाहते हो, तुम जितनी जल्दी हो सके—उसे भाषा में उतार दो। भले ही वह अधूरा ही उतरे, लेकिन क़ुबूल हो जाए। भले उसक
वॉन गॉग ने कहा था : जानवरों का जीवन ही मेरा जीवन है
प्रिय भाई, मुझे एहसास है कि माता-पिता स्वाभाविक रूप से (सोच-समझकर न सही) मेरे बारे में क्या सोचते हैं। वे मुझे घर में रखने से भी झिझकते हैं, जैसे कि मैं कोई बेढब कुत्ता हूँ; जो उनके घर में गंदे पं
मुझे यूट्यूबर नहीं बनना, पर एक यूट्यूब-चैनल बनाया है : AmoebAI
जिस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा जॉब सिक्योरिटी की ज़रूरत थी, सबसे ज़्यादा फ़ाइनेंशियल सिक्योरिटी की ज़रूरत थी, उस वक़्त मैंने सबसे ज़्यादा बचकाना काम किया। मैंने जॉब छोड़ दी, पर क्यों? और यह बात मैं आप लोगो
देश-प्रेम और पहले प्रेम के दरमियान
मैं एक कहानी कहना चाहता हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि कथा-कहन के पैमानों पर यह सही बैठती नहीं है। फिर यह कहानी कैसे हुई—जब यह मानकों पर खरा नहीं उतरती तो। जो भी हो मैं कोशिश भरपूर करूँगा। मुझे पता है कि
क्या मैं एक आदिवासी नहीं हो सकता!
...बादल बरस रहे हैं। बारिश मतलब क्या—पकौड़े या परेशानी? निर्भर करता है—आप बैठे कहाँ हैं। मैं गाँव के घर में बैठा हूँ। सबसे बाहर वाले मकान में। फ़िलहाल मेरे लिए ‘बारिश’ का मतलब ‘परेशानी’ है। इस बारिश
सब कुछ ऊब के ख़िलाफ़ एक तिलिस्म है
एक It doesn’t take much to console us, because it doesn’t take much to distress us. The Misery of Man without God (B. Pascal, Pensées) मैं पहली बार बर्फ़ से ढके पहाड़ देख रहा था—वह कुछ और
पिन-कैप्चा-कोड की दुनिया में पिता के दस्तख़त
लिखने वाले अपनी उँगलियों का हर क़लम के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते। उनके भीतर एक आदर्श क़लम की कल्पना होती है। हर क़लम का अपना स्वभाव होता है। अपनी बुरी आदतें और कुछ दुर्लभ ख़ूबियाँ भी। मैंने ह
विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक
बहुत पहले जब विनोद कुमार शुक्ल (विकुशु) नाम के एक कवि-लेखक का नाम सुना, और पहले-पहल उनकी ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ हाथ लगी, तो उसकी भूमिका का शीर्षक था—विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक। आश्चर्यलोक—विकुशु के
इच्छाएँ जब विस्तृत हो उठती हैं, आकाश बन जाती हैं
एक मैं उन दुखों की तरफ़ लौटती रही हूँ, जिनके पीछे-पीछे सुख के लौट आने की उम्मीद बँधी होती है। यह कुछ ऐसा ही है कि जैसे समंदर का भार कछुओं ने अपनी पीठ पर उठा रखा हो और मछली के रोने से एक नदी फूट पड़े
दिन के सारे काम रात में गठरी की तरह दिखते हैं
रात की बारिश रात के चौथे पहर से बारिश का आख़िरी टुकड़ा लटक रहा है लैम्पपोस्ट पर क़ायम हुई थकन पत्तियों पर चमकती गीली रौशनी एक गुज़रती गाड़ी सड़क पर जमा पानी के चिरते चले जाने की आवाज़ रात की बारिश
मेरे पुरखे कहाँ से आए!
गोलू का कॉल आया। उसने कहा कि चाचा मिलते हैं। “कहाँ मिलें?” “यमुना बोट क्लब।” वह मेरा भतीजा है। वह यमुना पार महेवा नैनी में रहता था। हम अपने-अपने रास्ते से होते हुए पहुँच गए यमुना बोट क्लब। उ
जीवन का आनंद है होली
होली हिंदू जीवन का आनंद है। जीवन में यदि आनंद न हो तो वह किस काम का? जिये सो खेले फाग, मरे सो लेखे लाग। मानो जीवन का सुख होली है और जीना है तो होली के लिए। चार त्योहार हिंदुओं के मुख्य हैं। श्र
 
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                             
                                                            