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एहसास पर बेला

22 जून 2025

सब कुछ ऊब के ख़िलाफ़ एक तिलिस्म है

सब कुछ ऊब के ख़िलाफ़ एक तिलिस्म है

एक  It doesn’t take much to console us, because it doesn’t take much to distress us. The Misery of Man without God (B. Pascal, Pensées) मैं पहली बार बर्फ़ से ढके पहाड़ देख रहा था—वह कुछ और

18 जून 2025

पिन-कैप्चा-कोड की दुनिया में पिता के दस्तख़त

पिन-कैप्चा-कोड की दुनिया में पिता के दस्तख़त

लिखने वाले अपनी उँगलियों का हर क़लम के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते। उनके भीतर एक आदर्श क़लम की कल्पना होती है।  हर क़लम का अपना स्वभाव होता है। अपनी बुरी आदतें और कुछ दुर्लभ ख़ूबियाँ भी।  मैंने ह

28 मई 2025

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

बहुत पहले जब विनोद कुमार शुक्ल (विकुशु) नाम के एक कवि-लेखक का नाम सुना, और पहले-पहल उनकी ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ हाथ लगी, तो उसकी भूमिका का शीर्षक था—विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक। आश्चर्यलोक—विकुशु के

18 अप्रैल 2025

इच्छाएँ जब विस्तृत हो उठती हैं, आकाश बन जाती हैं

इच्छाएँ जब विस्तृत हो उठती हैं, आकाश बन जाती हैं

एक मैं उन दुखों की तरफ़ लौटती रही हूँ, जिनके पीछे-पीछे सुख के लौट आने की उम्मीद बँधी होती है। यह कुछ ऐसा ही है कि जैसे समंदर का भार कछुओं ने अपनी पीठ पर उठा रखा हो और मछली के रोने से एक नदी फूट पड़े

17 अप्रैल 2025

दिन के सारे काम रात में गठरी की तरह दिखते हैं

दिन के सारे काम रात में गठरी की तरह दिखते हैं

रात की बारिश रात के चौथे पहर से बारिश का आख़िरी टुकड़ा लटक रहा है लैम्पपोस्ट पर क़ायम हुई थकन पत्तियों पर चमकती गीली रौशनी एक गुज़रती गाड़ी सड़क पर जमा पानी के चिरते चले जाने की आवाज़ रात की बारिश

20 मार्च 2025

मेरे पुरखे कहाँ से आए!

मेरे पुरखे कहाँ से आए!

गोलू का कॉल आया। उसने कहा कि चाचा मिलते हैं। “कहाँ मिलें?” “यमुना बोट क्लब।” वह मेरा भतीजा है। वह यमुना पार महेवा नैनी में रहता था। हम अपने-अपने रास्ते से होते हुए पहुँच गए यमुना बोट क्लब। उ

14 मार्च 2025

जीवन का आनंद है होली

जीवन का आनंद है होली

होली हिंदू जीवन का आनंद है। जीवन में यदि आनंद न हो तो वह किस काम का? जिये सो खेले फाग, मरे सो लेखे लाग। मानो जीवन का सुख होली है और जीना है तो होली के लिए। चार त्योहार हिंदुओं के मुख्य हैं। श्र