माँ पर उद्धरण
किसी कवि ने ‘माँ’ शब्द
को कोई शब्द नहीं, ‘ॐ’ समान ही एक विराट-आदिम-अलौकिक ध्वनि कहा है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें माँ आई है—अपनी विविध छवियों, ध्वनियों और स्थितियों के साथ।

याद रखो : प्यार एकदम बकवास है। सच्चा प्यार सिर्फ़ माँ और बच्चे के बीच होता है।

समस्या हमेशा बच्चों की माँ या मंत्री की पत्नी होने में और—कभी भी—जो हो वह नहीं होने में होती है।

समाज नामक इस विराट इमारत में वह कौन-सा कमरा है, जो माँ का कमरा है?

सारी हिंदुस्तानी माएँ अपने बेटों से अभिभूत रहती हैं और इसीलिए वे उनकी योग्यताओं के सिलसिले में सही न्याय नहीं कर पातीं।