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कष्ट पर उद्धरण

देने पर (कन्यादान करने से) तो लज्जा आती है और विवाह कर देने पर मन दुखी होता है। इस प्रकार धर्म और स्नेह के बीच में पड़कर माताओं को बड़ा कष्ट होता है।

भास

यौवन का आरंभ होते ही कन्याओं के पिता संताप-अग्नि के ईंधन बन जाते हैं।

बाणभट्ट

पीड़ित आत्मा को उल्लास प्रभावित नहीं कर सकता।

विलियम शेक्सपियर