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‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की फ़ाइनल लिस्ट

इस जुलाई की उमस भरी शनिवार की दुपहर में; जब नोएडा के अधिकांश दफ़्तरों में कर्मचारी छुट्टी पर थे, ‘हिन्दवी’ की संपादकीय टीम एक कमरे में बैठकर अपने आचरण के अनुरूप हिंदी-साहित्य में एक नया प्रयोग कर रही थी।

‘हिन्दवी’ द्वारा 23 जून 2025 को ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ प्रतियोगिता की घोषणा हुई थी—यह एक खुला निमंत्रण था; भारत भर के विद्यार्थियों के लिए कि वे जिस भी राज्य और विद्यालय/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय से हों, एक साथ अपनी कविताओं को एक मंच से पढ़ सकते हैं।

10 जुलाई की रात 12 बजे तक ‘हिन्दवी’ को अत्यंत संतोषजनक संख्या में प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। इस प्रसंग में आख़िरी घंटे में तो ऐसा उत्साह रहा कि उस अंतराल में हमें सौ के क़रीब प्रविष्टियाँ मिलीं।

घड़ी और कैलेंडर में जब तक तारीख़ बदली ‘हिन्दवी’ को कुल 937 प्रविष्टियाँ प्राप्त हो चुकी थीं। कुछ प्रविष्टियाँ डमी थीं, कुछ डुप्लीकेट, कुछ अधूरी... इन सभी को छाँटकर अंततः 901 प्रविष्टियाँ वैध पाई गईं।

‘हिन्दवी’ की आठ सदस्यीय संपादकीय टीम शुरुआत में सिर्फ़ ‘फ़ाइनल लिस्ट’ घोषित करने वाली थी, पर जैसे ही हमने इन प्रविष्टियों-रचनाओं को पढ़ना शुरू किया; हमें लगा कि सिर्फ़ अंतिम चयनित नामों को घोषित करना, इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और कविता के प्रति विद्यार्थियों की निष्ठा के साथ न्याय नहीं होगा। इसलिए तय हुआ कि हम लॉन्ग-लिस्ट [विचारार्थ सूची] को भी साझा करेंगे, यानी उन सभी 901 नामों को जिन्होंने समय रहते अपनी प्रविष्टि भेजी और इस प्रतियोगिता का हिस्सा बने।

फ़ाइनल लिस्ट तैयार करने के लिए—11 जुलाई से 14 जुलाई तक—संपादकीय टीम द्वारा एक-एक कविता पर विचार किया गया—इस बात की जानकारी के बग़ैर कि कवि-प्रतिभागी कौन है या वह किस स्थानीयता-संस्थान से है। पहला चरण—केवल कविता के आधार पर मूल्यांकन का रहा। दूसरे चरण में प्रतियोगिता के नियम लागू करते हुए, प्रतिभागियों को अंतिम सूची के लिए शॉर्ट-लिस्ट किया गया।

इस पूरी प्रक्रिया में काव्य-प्रतिभा, विषय और शिल्प ही नहीं; हमने प्रयोगशीलता, विविधता और कहने के साहस को भी तरजीह दी। फ़ाइनल-लिस्ट में जगह बनाने वाले सभी दस प्रतिभागी-कवि कविताओं के साथ-साथ इस प्रतियोगिता के नियमों-अनुशासनों में भी बाक़ी प्रतिभागियों से बेहतर रहे।

‘हिन्दवी’ संपादकीय टीम के लिए यह पहला अवसर रहा, जब उसे इस स्तर पर और इतने कम अंतराल में इतनी बड़ी संख्या में प्राप्त हुई प्रविष्टियों में से कुछ का चयन करने के लिए विचार करना पड़ा। इस दरमियान हमें जो अनुभव हुए, उन्हें हम आपके साथ आगे साझा करेंगे। यहाँ हम वे ज़रूरी बिंदु भी बताना चाहेंगे; जिसे नए प्रतिभागियों को ज़रूर जानना चाहिए, ताकि वे आगे और बेहतर ढंग से अपनी प्रविष्टियाँ भेज पाएँ... 

1. वह बात हमें जिसने सबसे पहले चौंकाया, वह था प्रविष्टियों की संख्या—कविता के प्रति युवाओं का यह प्रेम अद्भुत है।

2. प्रतियोगिता में केवल महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों के ही विद्यार्थी नहीं थे। ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ में आईं कई प्रविष्टियाँ माध्यमिक स्तर [कक्षा 6,7,8] में पढ़ रहे विद्यार्थियों की भी थीं। सुदूर भारतीय कोनों से काग़ज़ पर क़लम से रचकर भेजी गईं, ऐसी प्रविष्टियों को देखकर हमारी थकान एक सुखद घटना में बदल गई।

3. प्रतियोगिता का सबसे सुंदर पक्ष रहा—विविधता... शैलियों की, स्वर की, संवेदनाओं की—विविधता। यह ‘कैंपस कविता’ में जोड़े गए ‘ऑल इंडिया’ को चरितार्थ कर रहा था—हर कोने से आवाज़ें।

ज़रूरी बातें :

1. कई प्रतिभागियों ने ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ में कविताएँ रोमन-लिपि में भेजीं, प्रतियोगिता में कविताएँ भेजते वक़्त यह अवश्य ध्यान दीजिए कि आप किस लिपि में कविताएँ भेज रहे हैं। हमें भी इस प्रकार की कुछ प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनमें हिंदी कविताएँ रोमन-लिपि में लिख या टाइप करके भेजी गईं। इन पर विचार करना हमारे लिए संभव नहीं हुआ। हमारा स्पष्ट मानना है कि हिंदी कविताएँ देवनागरी में ही लिखी जाएँ तो बेहतर है।

2. प्रतियोगिता में कई प्रतिभागियों ने पाँच से अधिक कविताएँ भेजीं, तो कुछ प्रतिभागियों ने पूर्व-प्रकाशित कविताएँ भेजीं। यह इस ओर इशारा करता है कि उन्होंने प्रतियोगिता के निर्देशों-नियमों को ग़ौर से नहीं पढ़ा या पढ़ा तो उनकी अनदेखी की। ऐसे प्रतिभागियों को हमें फ़ाइनल-लिस्ट से बाहर करना पड़ा। किसी भी प्रतियोगिता में कविताएँ भेजते वक़्त प्रतिभागी यह ज़रूर ध्यान दें कि उनके द्वारा निर्देशों-नियमों का पालन किया जाए।

3. इस आयोजन का एक प्रमुख नियम यह भी था कि प्रतियोगिता के लिए पाँच मौलिक और अप्रकाशित-अप्रसारित कविताएँ भेजी जाएँ। लेकिन कुछ प्रतिभागियों ने इस नियम की भी अनदेखी की, और इसलिए दुर्भाग्यवश हमें उन्हें अयोग्य मानकर अंतिम सूची से बाहर रखना पड़ा। 

4. ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’ में कई निजी कोचिंग सेंटरों में रोज़गार और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों की प्रविष्टियाँ भी प्राप्त हुईं। लेकिन हम उनकी प्रविष्टियों पर विचार नहीं कर सके, क्योंकि यह प्रतियोगिता केवल देश के विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए ही है।

आपको बता दें ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’—‘हिन्दवी’ के वार्षिक आयोजन ‘हिन्दवी उत्सव’ का एक प्रमुख आकर्षण है। इस अवसर पर यह प्रतियोगिता रविवार, 27 जुलाई 2025 को सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में आयोजित होने जा रही है। प्रतियोगिता में कवि-गीतकार-गायक-अभिनेता स्वानंद किरकिरे की विशेष उपस्थिति रहेगी। प्रथम पुरस्कार विजेता को ₹ 51,000, द्वितीय पुरस्कार विजेता को ₹ 31,000, तृतीय पुरस्कार विजेता ₹ 21,000 और अंतिम सूची [फ़ाइनल-लिस्ट] के शेष सभी प्रतिभागियों को ₹ 2,100 प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में प्रदान किए जाएँगे।

‘हिन्दवी’ पर आगे भी इस तरह के आयोजन-प्रयोग जारी रहेंगे। भविष्य में होने वाले संस्करणों के लिए आपके सुझावों का स्वागत है। अब पढ़िए ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की फ़ाइनल-लिस्ट [अंतिम सूची] में शामिल प्रतिभागियों-कवियों के नाम : 

• अजय नेगी
• ऋत्विक्
• गोविंद निषाद
• गौरव सिंह
• तल्हा ख़ान
• पूजा जिनागल
• मानसी मिश्र
• रत्नेश कुमार
• रौशन पाठक
• संध्या चौरसिया

सभी प्रतिभागियों-कवियों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!

इस प्रसंग में आगे की सूचनाओं के लिए ‘हिन्दवी’ से जुड़े रहिए...

•••

सूचना : हिन्दवी उत्सव-2025 के लिए रजिस्ट्रेशन जारी हैं। आप यहाँ रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं : रजिस्टर कीजिए

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