
पुत्र को सभा में अग्रिम स्थान में बैठने योग्य बनाना पिता का सबसे बड़ा उपकार होगा।

दूसरा मनुष्य जितना उपकार करे, उससे कई गुना अधिक प्रत्युपकार स्वयं उसके प्रति करना चाहिए।

उपकार्य के अभाव में उपकारी सामग्री से क्या लाभ?

किसी उपकार के प्रतिरूप किया गया उपकार कभी पूर्वकृत उपकार के समान नहीं हो सकता, यह तो उपकृत व्यक्ति की गुण-गरिमा के अनुसार ही होता है।


तृणतुल्य भी उपकार क्यों न हो, उसके फल को समझने वाले उसे ताड़ के समान मानेंगे।

तुकाराम कहते हैं कि अब मैं उपकार के लिए ही रह गया हूँ।