सौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलता के नाम हैं।
सत्य कभी भी दयावान नहीं होता। हम कहाँ चुन सकते हैं अपना भाग्य।
सारे वृत्त एक-दूसरे को काटने के लिए ही जन्म लेते हैं।
निरा संयोग दुनिया में कुछ नहीं होता।
सौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलता के नाम हैं।
सत्य कभी भी दयावान नहीं होता। हम कहाँ चुन सकते हैं अपना भाग्य।
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