यश पर उद्धरण
यश का अर्थ किसी व्यक्ति,
वस्तु, स्थान आदि का नाम या सुख्याति है। इस चयन में यश को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

यश-प्रतिष्ठा और रचना का मूल्य अच्छा लिखने से नहीं, यश और मूल्य देने वाले लोगों की इच्छा के अनुसार लिखने से मिलता है।

प्रायः समान विद्या वाले लोग एक-दूसरे के यश से ईर्ष्या करते हैं।

यश तो अहं की तृप्ति है।

धर्मात्मा पुरुष को चाहिए कि वह यश के लोभ से, भय के कारण अथवा अपना उपकार करने वाले को दान न दे।
