वह असफलताओं से खेलता रहा
ऋतु गर्म हो या ठंडी, अच्छी हो या बुरी, इससे अधिक निश्चित बात और कोई न थी कि वह लँगड़ा आदमी शहतूत की टेढ़ी-मेढ़ी छड़ी के सहारे चलता हुआ यहाँ से अवश्य गुज़रेगा। उसके कंधे पर लटकती हुई खपच्चियों की बनी हुई टोकरी में एक फटी-पुरानी बोरी से ढके हुए ग्रोंडसील