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अतीत पर उद्धरण

अतीत का अभिप्राय है

भूतकाल, व्यतीत, बीत चुका समय, जिसका अस्तित्व या सत्ता समाप्त हो चुकी। प्रस्तुत चयन में अतीत के विभिन्न रंगों, धूप-छाया का प्रसंग लेती कविताओं का संकलन किया गया है।

अतीत चाहे दु:खद ही क्यों हो, उसकी स्मृतियाँ मधुर होती हैं।

प्रेमचंद

आधुनिकता वह है जिस पर अतीत अपना दावा कर सके।

धूमिल

अनंत के सापेक्ष में समय की संज्ञा, काल है तथा देश के सापेक्ष में काल की संज्ञा, समय है।

श्री नरेश मेहता
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सच तो यह है कि समय अपने बीतने के लिए किसी की भी स्वीकृति की प्रतीक्षा नहीं करता।

श्री नरेश मेहता
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आदमी को पूरी निर्ममता से अपने अतीत में किए कार्यों की चीर-फाड़ करनी चाहिए, ताकि वह इतना साहस जुटा सके कि हर दिन थोड़ा-सा जी सके।

निर्मल वर्मा

अतीत कभी भविष्य के गर्भ से बचकर वर्तमान नहीं रह सका।

मोहन राकेश

दुर्भाग्य अतीत की ख़ुशी से ज़्यादा वास्तविक नहीं है।

होर्खे लुई बोर्खेस

जब हम अपने अतीत के बारे में सोचते हैं, तो अविश्वसनीय क़िस्म की हैरानी होती है कि हम ऐसी मूर्खतापूर्ण ग़लतियाँ कैसे कर सकते थे, जिन्हें आज हम इतनी सफ़ाई से देख सकते हैं।

निर्मल वर्मा

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