बल के बारे में
श्रम काग़ज़ है। कर्म हस्ताक्षर। व्यक्ति को अपना काम करना चाहिए। मेहनत से। ईमानदारी से। समर्पण से। सजगता के साथ और अद्यतन कर्मठता से। लेकिन कर्म करने से पहले चुनाव करना ही चाहिए कि कौन-सा काम करने योग्य
हमें खिड़कियों की ज़रूरत है
खिड़कियों के बाहर कई तरह के रंग होते हैं, धरती के भी-आसमान के भी। पर खिड़कियाँ अपने रंगों से नहीं अपने हवादार होने से जानी जाती हैं। वे इतनी बड़ी नहीं होतीं कि दरवाज़ा हो जाएँ, न इतनी छोटी कि आप झरोखा य
उम्मीद का चक्र जब पूरा होता है, तब ज़िंदगी कहाँ होती है!
सुंदरता की अपने तहें होती हैं। बहुत मुलायम और क्रूर भी। मन हमेशा इतना ही अनजान रहता है कि वह परतों के इस जमावड़े को भूल जाए। कहाँ ध्यान रहता है कि सुख के किस क्षण ने हाल में फूटे दुखों के ज्वालामुखी