मृत्यु पर बेला
मृत्यु शब्द की की व्युत्पत्ति
‘म’ धातु में ‘त्यु’ प्रत्यय के योग से से हुई है जिसका अभिधानिक अर्थ मरण, अंत, परलोक, विष्णु, यम, कंस और सप्तदशयोग से संयुक्त किया गया है। भारतीय परंपरा में वैदिक युग से ही मृत्यु पर चिंतन की धारा का आरंभ हो जाता है जिसका विस्तार फिर दर्शन की विभिन्न शाखाओं में अभिव्यक्त हुआ है। भक्तिधारा में संत कवियों ने भी मृत्यु पर प्रमुखता से विचार किया है। पश्चिम में फ्रायड ने मनुष्य की दो प्रवृत्तियों को प्रबल माना है—काम और मृत्युबोध। इस चयन में प्रस्तुत है—मृत्यु-विषयक कविताओं का एक अद्वितीय संकलन।
जियत न परसिन माँड़ मरे परोसा खाँड़
—मुझे पूरा विश्वास है कि प्रभात रंजन शशिभूषण द्विवेदी के जनाज़े में शामिल हुए थे। —आपको कैसे इतना यक़ीन है? —प्रभात
ओ इरशाद, प्यारे इरशाद! अलविदा!
ओ अज़ीज़ इरशाद खान सिकंदर! ओ बुजुर्गों की तमीज़ से भरे युवा इंसान और शाइर-कवि! यह अचानक क्या! तुम्हारी हमेशा-हम
तेरह दिन की एक आत्मकथा
रहना यहीं था—इसी समाज में, घर के भीतर, घर के बाहर। घर भीतर ढूँढ़ते हुए अब, सब इधर-उधर था। कोई याद अपनी जगह पर नहीं मि
‘द फ़ॉल्ट इन आर स्टार्स’ : प्रेम के रास्ते मृत्यु की तैयारी
साल 2014 में रिलीज़ हुई अँग्रेज़ी भाषा की एक अद्भुत फ़िल्म है—‘The Fault In Our Stars’. साल 2020 में आई ‘दिल बेचारा’ इसी
रविवासरीय : 3.0 : ‘जो पेड़ सड़कों पर हैं, वे कभी भी कट सकते हैं’
• मैंने Meta AI से पूछा : भगदड़ क्या है? मुझे उत्तर प्राप्त हुआ : भगदड़ एक ऐसी स्थिति है, जब एक समूह में लोग अचानक
10 जनवरी 2025
आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो
‘हिन्दवी’ के विशेष कार्यक्रम ‘संगत’ के 89वें एपिसोड में हिंदी कथा साहित्य के समादृत हस्ताक्षर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने यहा
ज़ाकिर हुसैन : एक उस्ताद का जीवन
इतना बोलता हुआ, इतना प्रसन्नमन, ऊर्जस्वी और संगीतमय मनुष्य आपने उनके पहले कब देखा था? उस्ताद ज़ाकिर हुसैन कुल मिलाकर 73
नवंबर में ‘क़यास’ पर कुछ क़यास
मृत्यु वैसे भी रहस्य में लिपटी होती है। इस पर कई बार वह अपने इस रहस्य को कोई ऐसा आकार दे देती है कि वह लगातार गड़ता है। ह
महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें
महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर
'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'
यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगु
आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आख़िरी तस्वीरें
दाह! ये सभी चित्र सफ़ेद रंग के एक छोटे-से लिफ़ाफ़े में रखे हुए थे, जिस पर काली सियाही से लिखा हुआ था—दाह। पिछले 8
क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का
डिस्क्लेमर : क़ुबूलनामा शृंखला में प्रस्तुत लेखों में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो कि
एक कोरोजीवी का ख़ुद को ख़त
प्रिय ‘मैं’ घड़ी के अश्रांत पाँव मुझे हमेशा रोचक लगे हैं। उनके आगे चलते जाने की प्रतिबद्धता मुझे हैरत और हिम्मत से सरा
‘सोज़’ के तखल्लुस से ग़ज़लें लिखने वाले कांतिमोहन का जाना
लेखक, शिक्षक, विचारक और संगठनकर्ता कांतिमोहन का रविवार, 14 जुलाई को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 14 जुला
'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'
हिंदी की समादृत साहित्यकार मालती जोशी का बुधवार, 15 मई को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 2018 में साहित्य और शिक्ष
समॉरा का क़ैदी
‘समारा का क़ैदी’ एक प्राचीन अरबी कहानी है। इस कहानी का आधुनिक रूपांतरण सोमरसेट मौ'म ‘अपॉइंटमेंट इन स्मारा’ (1933) नाम से
नवगीत का सूरज डूब गया
माहेश्वर तिवारी [1939-2024]—एक भरा-पूरा नवगीत नेपथ्य में चला गया—अपनी कभी न ख़त्म होने वाली गूँज छोड़कर। एक किरन अकेली पर