Font by Mehr Nastaliq Web

आत्म-चिंतन पर उद्धरण

जहाँ कोई क़ानून नहीं होता, वहाँ अंतःकरण होता है।

पब्लिलियस साइरस

तुम्हारे पास क्या है; उससे नहीं, वरन् तुम क्या हो उससे ही तुम्हारी पहचान है।

ओशो

शांति को चाहो। लेकिन ध्यान रहे कि उसे तुम अपने ही भीतर नहीं पाते हो, तो कहीं भी नहीं पा सकोगे। शांति कोई बाह्य वस्तु नहीं है।

ओशो

तो हमारे अंतःकरण से अधिक भयंकर कोई साक्षी हो सकता है और कोई दोषारोपण करने वाला इतना शक्तिशाली।

सोफोक्लीज़

सच्चे संवाद के लिए अक्षमता का अर्थ है—सहिष्णुता, आत्म-चिंतन और सहानुभूति की अक्षमता।

अज़र नफ़ीसी

अपने अंतरतम की गहराइयों में इस प्रश्न को गूँजने दो: 'मैं कौन हूँ?' जब प्राणों की पूरी शक्ति से कोई पूछता है, तो उसे अवश्य ही उत्तर उपलब्ध होता है।

ओशो

"मैं कौन हूँ?" जो स्वयं इन प्रश्न को नहीं पूछता है, ज्ञान के द्वार उसके लिए बंद ही रह जाते हैं।

ओशो

आप बिना किसी पुस्तक को पढ़े या बिना साधु—संतों और विद्वानों को सुने अपने मन का अवलोकन कर सकते हैं।

जे. कृष्णमूर्ति

बुद्धत्व का आगमन दूसरे द्वारा नहीं होता, इसका आगमन स्वयं आपके अवलोकन एवं स्वयं की समझ से ही होता है।

जे. कृष्णमूर्ति

जब हम ख़ुद से सच्चा प्यार करेंगे, तभी हम भविष्य के लिए बेहतर रिश्तों की बुनियाद रख सकेंगे।

साइमन गिलहम

बुद्धत्व का आगमन किसी नेता या गुरु द्वारा नहीं होता, आपके भीतर जो कुछ है उसकी समझ द्वारा ही इसका आगमन होता है।

जे. कृष्णमूर्ति

हे मूढ़! व्रतधारण और साज-सज्जा कर्तव्य कर्म नहीं है। ही मात्र काया की रक्षा कर्तव्य कर्म है। भोले मानव! देह की सार-संभाल ही कर्तव्य कर्म नहीं। सहज विचार (आत्म-तत्त्वचिंतन) वास्तविक उपदेश है।

लल्लेश्वरी

कभी-कभी जिसे हम कठिन समय के रूप में मानते हैं, वह वास्तव में हमारी छिपी हुई ताकतों को खोजने का अवसर होता है।

अशदीन डॉक्टर

ख़ुद की तलाश का रास्ता हमेशा परेशानियों और अनिश्चितताओं से ही भरा रहता है।

साइमन गिलहम

तुम जो चुनते हो, तुम वही बन जाते हो।

एंथनी हॉपकिंस
  • संबंधित विषय : चयन

एकांत को आत्ममंथन का अवसर मानकर गले लगाइए।

साइमन गिलहम

मैं महसूस करता हूँ कि मैं शून्य हूँ और इसका मतलब है मैं अपने आप को निश्चय ही प्यार करता हूँ।

महमूद दरवेश