बंगाली, बैशाख और रवींद्रनाथ
बैशाख के खेत की दरार में यह दुनिया असमान है और कोई वादा नहीं... केवल दो या तीन मील घास के ढेर हैं फिर भी यह सोने जैसा नहीं है हँसिये की आवाज़ ही भूल जाती है धरती की तोप को— करुण, निर्दोष और अस
बैशाख के खेत की दरार में यह दुनिया असमान है और कोई वादा नहीं... केवल दो या तीन मील घास के ढेर हैं फिर भी यह सोने जैसा नहीं है हँसिये की आवाज़ ही भूल जाती है धरती की तोप को— करुण, निर्दोष और अस
जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।
पास यहाँ से प्राप्त कीजिए