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मालिनी अवस्थी संग 31 जुलाई को बरसेगा सावन झूम-झूम के...

इस सावन दिल्ली केवल बारिश में नहीं भीगेगी, बल्कि भारतीय लोक-परंपराओं की आत्मा को छू लेने वाली सुर-धारा में भी सराबोर हो उठेगी। 31 जुलाई 2025 को कमानी ऑडिटोरियम में भारत की लोक संगीत सम्राज्ञी, पद्मश्री मालिनी अवस्थी  अपनी अनोखी प्रस्तुति ‘सावन—अ सेलिब्रेशन ऑफ़ रेन’ के साथ मंच पर होंगी। यह संगीतमय संध्या केवल सुरों का उत्सव नहीं होगी, बल्कि भारतीय वर्षा ऋतु की सांस्कृतिक विरासत, लोक-स्मृतियों और भावनात्मक संवेदनाओं का एक जीवंत उत्सव बनेगी—जहाँ संगीत, मौसम और परंपरा का त्रिवेणी संगम दर्शकों को एक अनोखे अनुभव से भर देगा।

सोनचिरैया [sonchiraiya.org] द्वारा संकल्पित एवं प्रस्तुत, तथा एक्सक्यूरेटर इवेंट्स द्वारा निर्मित और प्रचारित यह आयोजन दर्शकों को भारतीय मानसून की दृश्य, श्रव्य और भावनात्मक अनुभूतियों में पूरी तरह से डूब जाने का आमंत्रण दे रहा है। ‘सावन’ उन कालजयी रागों और लोक-ध्वनियों को पुनर्जीवित करता है, जो पीढ़ियों और सीमाओं को पार करते हुए आज भी हमारी सांस्कृतिक स्मृतियों में गूँजते हैं। यह संध्या केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारतीय ऋतु संस्कृति की आत्मा से जुड़ने का एक अवसर है।

सावन की सांस्कृतिक और भावनात्मक आत्मा को समर्पित इस संगीतमय संध्या को श्रद्धांजलि स्वरूप रचा गया है। लगभग दो घंटे की इस सुरमयी यात्रा में कजरी, झूला, मल्हार, विंटेज ठुमरी और दुर्लभ ग़ज़ल के माध्यम से सावन की मोहकता को जीवंत किया जाएगा—वे संगीत-विधाएँ जो पीढ़ियों से बरसात, प्रेम, भक्ति और विरह की अनुभूतियों को स्वर देती रही हैं।

‘सावन’-कार्यक्रम पर अपने विचार रखते हुए मालिनी अवस्थी ने कहा, “वर्षा का आगमन, धरती ही नहीं; हम सबके तन-मन में आशा, उमंग और प्रसन्नता लेकर आता है... मैं आपके लिए ला रही हूँ—‘सावन’, सावन के महीने में बरसने वाले आनंद की संगीतमय अभिव्यक्ति! संगीत ने सदा प्रकृति से प्रेरणा ली है, इसीलिए वर्षा को उत्सव के रूप में मानने जाने की परंपरा है। मौसम में आकाश में घिरे बादलों की रिमझिम बूँदाबाँदी के बीच नहाए हुए वृक्ष, नाचते मयूर कुहुकते पंछी, हरियाए खेत-खलिहान-ताल-नदियाँ, सब कुछ मोहित कर देने वाला होता है। ऐसे में गाय जाने वाले राग-रागिनी-मल्हार हों या ठुमरी-कजरी-झूला-सावनी ऐसे कर्णप्रिय रस छंद सावन के शृंगार हैं। ये गीत हमारी सामूहिक स्मृति को प्रतिध्वनित करते हैं, जो पीढ़ियों को जोड़ती है। तेज़ी से शहरीकरण और पारंपरिक जीवन से बढ़ती दूरी के युग में, हमारी धरोहर को सँजोने की अपूर्व आवश्यकता है और ‘सावन’ ऐसी ही विशिष्ट प्रस्तुति है, जो मैंने बहुत मन से आप सबके लिए तैयार की है। आइए ‘सावन’ के साथ मनाए सावन।’’

अपने मूल स्वरूप में ‘सावन’ भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का एक उत्सव है। जब आधुनिक जीवन की रफ़्तार तेज़ होती जा रही है और डिजिटल संस्कृति हमें अपनी परंपराओं से दूर करती जा रही है, ऐसे समय में यह संगीतमय संध्या हमें यह सार्थक स्मरण कराती है कि हम कौन हैं और हमारे सांस्कृतिक मूल कहाँ हैं।

प्रेम, विरह और प्रकृति की संपन्नता से जुड़े पारंपरिक ऋतु-गीतों को पुनर्जीवित करते हुए मालिनी अवस्थी की यह प्रस्तुति पीढ़ियों के बीच संवाद का सेतु बन जाती है। यह संगीतमय अनुभव युवा श्रोताओं को उनकी सांस्कृतिक पहचान, अपनी जड़ों से जुड़ाव और परंपरा से उपजी दृढ़ता की गहरी अनुभूति कराता है—एक ऐसी विरासत के माध्यम से, जो समय के साथ न होकर समय से परे है।

तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण, जलवायु-संकट और सांस्कृतिक क्षरण के इस दौर में, ‘सावन’ एक समयानुकूल और संवेदनशील सांस्कृतिक हस्तक्षेप के रूप में सामने आता है।

आज का युवा लोक-परंपराओं, ऋतु-ज्ञान और मौखिक कथाओं से लगातार दूर होता जा रहा है। ‘सावन’ उस टूटी कड़ी को फिर से जोड़ने का प्रयास है—यह स्मरण कराते हुए कि लोक संगीत कोई अतीत की वस्तु नहीं, बल्कि हमारी जीवंत पहचान और सांस्कृतिक चेतना का प्रतिबिंब है।

यह आत्मीय संध्या दर्शकों को आमंत्रित करती है कि वे भारत की समृद्ध संगीतमय विरासत और प्रकृति व मानवीय अभिव्यक्ति के गहरे संबंध को फिर से महसूस करें।

मालिनी अवस्थी की कालजयी आवाज़ के माध्यम से मानसून का स्वागत करते हुए भारतीय लोक-परंपराओं की आत्मा से जुड़ने की इस अविस्मरणीय यात्रा में हमारे साथ आइए।



कार्यक्रम-विवरण

• तारीख़ : गुरुवार, 31 जुलाई 2025
• समय : शाम 6:30 बजे से [कार्यक्रम-अवधि : 2 घंटे]
• जगह : कमानी ऑडिटोरियम, कोपरनिकस मार्ग, नई दिल्ली
• टिकट लिंक : DSTRKT

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