प्रेमचंदजी के साथ दो दिन
“आप आ रहे हैं, बड़ी ख़ुशी हुई। अवश्य आइए। आपसे न-जाने कितनी बातें करनी हैं। मेरे मकान का पता है— बेनिया-बाग़ में तालाब के किनारे लाल मकान। किसी इक्केवाले से कहिए, वह आपको बेनिया-पार्क पहुँचा देगा
'मैं एक सतत अलक्षित अवाँगार्द हूँ'
सुख्यात कवि-कथाकार देवी प्रसाद मिश्र की किताब मनुष्य होने के संस्मरण हाल के दिनों में चर्चा में रही है। इस पुस्तक की अन्य कथाओं पर यहाँ उनसे एक बातचीत की है—सरबजीत गरचा ने जो अँग्रेज़ी भाषा के जाने-म