सौंदर्य पर कविताएँ

सौंदर्य सुंदर होने की

अवस्था या भाव है, जो आनंद और संतोष की अनुभूति प्रदान करता है। सौंदर्य के मानक देश, काल, विषय और प्रसंग में बदलते रहते हैं। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है; जिनमें सुंदरता शब्द, भाव और प्रसंग में प्रमुखता से उपस्थित है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

हाथ

केदारनाथ सिंह

तुम्हारा मौन

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

शृंगार

आलोकधन्वा

पीली साड़ियाँ

गीत चतुर्वेदी

सौंदर्य

निरंजन श्रोत्रिय

तिल

पंकज चतुर्वेदी

स्त्री के पैरों पर

प्रियंका दुबे

एक प्रश्न

सौरभ अनंत

एकांत

सारुल बागला

उतना ही असमाप्त

कुँवर नारायण

सुंदर कविता

प्रदीप सैनी

युवा होता बेटा

पल्लवी विनोद

ख़ूबसूरती

सारुल बागला

टूटती धार

दिनेश कुमार शुक्ल

सावन में यह नदी

कृष्ण मुरारी पहारिया

फूल

नवीन सागर

प्रेमिकाएँ

सुदीप्ति

शिल्पी

बेबी शॉ

हम बचेंगे अगर

नवीन सागर

लौट आ, ओ धार

शमशेर बहादुर सिंह

सुंदरियो

नीलेश रघुवंशी

उम्मीद अब भी बाक़ी है

रविशंकर उपाध्याय

युद्ध और तितलियाँ

दीपक जायसवाल

तुमने देखा

कुँवर नारायण

आँख भर देखा कहाँ

जगदीश गुप्त

आना अस्थि बनकर

गोविंद निषाद

औरत एक देह है?

प्रीति चौधरी

मत छूना, छूना मन

दिनेश कुशवाह

दो बारिशों के बीच

राजेंद्र धोड़पकर

शरद के साथ

अखिलेश सिंह

जी भर बात

रामाज्ञा शशिधर

बिछुड़न की रात का काजल

वीरेंद्र कुमार जैन

मज़दूर

रामधारी सिंह दिनकर

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