सच पर दोहे

साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।

जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥

सच्चाई के बराबर कोई तपस्या नहीं है, झूठ (मिथ्या आचरण) के बराबर कोई पाप कर्म नहीं है। जिसके हृदय में सच्चाई है उसी के हृदय में भगवान निवास करते हैं।

कबीर

ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आपा खोइ।

अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ॥

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

ऐसैं घटि घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहि॥

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥

सुखिया सब संसार है, खायै अरू सोवै।

दुखिया दास कबीर है, जागै अरू रोवै॥

बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र लागै कोइ।

राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ॥

निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ।

बिन साबण पाँणीं बिना, निरमल करै सुभाइ॥

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया कोइ।

ऐकै अषिर पीव का, पढ़ैं सु पंडित होइ॥

हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि।

अब घर जालौं तास का, जे चलै हमारे साथि॥

कबीर

जमला कपड़ा धोइये, सत का साबू लाय।

बूँद लागी प्रेम की, टूक-टूक हो जाय॥

सत्य का साबुन लगाकर अपने मन-रूपी मलिन कपड़े को धोना चाहिए। प्रेम की यदि एक बूँद भी लग जाएगी तो (हृदय की मलिनता टूक-टूक होकर नष्ट हो जाएगी।

जमाल

अनृत वचन माया रचन, रतनावलि बिसारी।

माया अनरित कारने, सति तजि त्रिपुरारि॥

झूठ बोलना और कपट करना छोड़ दो। भगवान ने इन दोनों कारणों से सति का परित्याग कर दिया था।

रत्नावली

सत-इसटिक जग-फील्ड लै, जीवन-हॉकी खेलि।

वा अनंत के गोल में, आतम-बॉलहिं मेलि॥

दुलारेलाल भार्गव

जमला कपड़ा धोइये, सत का साबू लाय।

बूंद लागी प्रेम की, टूक टूक हो जाय॥

सत्य का साबुन लगाकर अपने मन-रूपी मलिन कपड़े को धोना चाहिए। प्रेम की यदि एक बूँद भी लग जाएगी तो (हृदय की) मलिनता टूक-टूक होकर नष्ट हो जाएगी।

जमाल

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए