साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥
सच्चाई के बराबर कोई तपस्या नहीं है, झूठ (मिथ्या आचरण) के बराबर कोई पाप कर्म नहीं है। जिसके हृदय में सच्चाई है उसी के हृदय में भगवान निवास करते हैं।
जमला कपड़ा धोइये, सत का साबू लाय।
बूँद ज लागी प्रेम की, टूक-टूक हो जाय॥
सत्य का साबुन लगाकर अपने मन-रूपी मलिन कपड़े को धोना चाहिए। प्रेम की यदि एक बूँद भी लग जाएगी तो (हृदय की मलिनता टूक-टूक होकर नष्ट हो जाएगी।
सत-इसटिक जग-फील्ड लै, जीवन-हॉकी खेलि।
वा अनंत के गोल में, आतम-बॉलहिं मेलि॥