साहस पर कविताएँ

साहस वह मानसिक बल या

गुण है, जिसके द्वारा मनुष्य यथेष्ट ऊर्जा या साधन के अभाव में भी भारी कार्य कर बैठता है अथवा विपत्तियों या कठिनाइयों का मुक़ाबला करने में सक्षम होता है। इस चयन में साहस को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

कोई दुःख

कुँवर नारायण

नर हो, न निराश करो मन को

मैथिलीशरण गुप्त

भेड़िया

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

ईंटें

नरेश सक्सेना

नागरिक पराभव

कुमार अम्बुज

उनको प्रणाम!

नागार्जुन

मुट्ठी भर चावल

ओमप्रकाश वाल्मीकि

साहस का प्रभाव है वह

ऋतु कुमार ऋतु

यक़ीनन

कमल जीत चौधरी

एक लड़ाई

कुलदीप मिश्र

दीवानों की हस्ती

भगवतीचरण वर्मा

रहा

देवी प्रसाद मिश्र

प्रार्थना

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

त्रयी

दुर्गाचरण परिड़ा

मैंने गंगा को देखा

केदारनाथ सिंह

शब्द

केदारनाथ सिंह

समझदार आदमी

रामकुमार तिवारी

मध्यवर्ग

अमन त्रिपाठी

इस यात्रा में

तुषार धवल

ग़लती

स्नेहमयी चौधरी

जीने के सौ विकल्प

कुमार कृष्ण शर्मा

लहू में लोहा

कुमार कृष्ण शर्मा

जो नाथेगा नाग

राकेश रंजन

फ़ीटस

सौम्य मालवीय

आत्महंता

स्मिता सिन्हा

स्त्रियों के लिए

वत्सला पांडेय

दिसंबर

रेणु कश्यप

तुम्हारे ख़िलाफ़

रामाज्ञा शशिधर

साहस है तुम्हारे भीतर

महेश चंद्र पुनेठा

अंतिम बचाव

मंजुला बिष्ट

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