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फूल पर कविताएँ

अमेरिकी कवि एमर्सन ने

फूलों को धरती की हँसी कहा है। प्रस्तुत चयन में फूलों और उनके खिलने-गिरने के रूपकों में व्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

कुकुरमुत्ता

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

किताबें

गौरव गुप्ता

डर

नरेश सक्सेना

ग़लत जगह

नवीन रांगियाल

पहला चुंबन

अशोक वाजपेयी

कोई लाके मुझे दे

दामोदर अग्रवाल

रात का फूल

उदय प्रकाश

तितली

नर्मदाप्रसाद खरे

लौट आ, ओ धार

शमशेर बहादुर सिंह

सीखो

श्रीनाथ सिंह

पलाश

मनोज कुमार पांडेय

आषाढ़

अखिलेश सिंह

युगाओ का फूल

कानेको मिसुजु

अंतिम फूल

सुमित त्रिपाठी

फूल

नवीन सागर

पारिजात

प्राची

बादाम के फूल

ज्योर्जोस द्रोसिनिस

कटहल

प्राची

सरई फूल

राही डूमरचीर

मेरे मित्र-मेरी बहनें

फ़्रांसिस्को लोपेज़ मेरिनो

अगस्त

मारीना त्स्वेतायेवा

नुक़्त-ए-नज़र

महमूद दरवेश

पंखुरियों वाले मेहमान

मारीना त्स्वेतायेवा

फूल

शुन्तारो तानीकावा

सपने और समाज

अमर दलपुरा

पुष्प

दुन्या मिखाइल

तीर फेंकते हैं

ओसिप मंदेलश्ताम

फुटपाथ

थाङ्जम इबोपिशक सिंह

खुले द्वार

पॉल इल्यार

सनातन

जुज़ेपे उंगारेत्ती

मौलसिरी

सुतिंदर सिंह नूर

परागण

हेमंत देवलेकर

अप्रायोजित

अखिलेश सिंह

पहला फूल

सुमित त्रिपाठी

फूल और काँटे

सुतिंदर सिंह नूर

फूले कदंब

नागार्जुन

फूल की आत्मा

कानेको मिसुजु

बाँस के फूल

पीयूष तिवारी