ईश्वर पर पद

ईश्वर मानवीय कल्पना

या स्मृति का अद्वितीय प्रतिबिंबन है। वह मानव के सुख-दुःख की कथाओं का नायक भी रहा है और अवलंब भी। संकल्पनाओं के लोकतंत्रीकरण के साथ मानव और ईश्वर के संबंध बदले हैं तो ईश्वर से मानव के संबंध और संवाद में भी अंतर आया है। आदिम प्रार्थनाओं से समकालीन कविताओं तक ईश्वर और मानव की इस सहयात्रा की प्रगति को देखा जा सकता है।

मंगलाचरण (तीन)

मुल्ला दाउद

तिहारो को पावै प्रभु पार

सत्यनारायण कविरत्न

मंगलाचरण (दो)

मुल्ला दाउद

मंगलाचरण (चार)

मुल्ला दाउद

मंगलाचरण (एक)

मुल्ला दाउद

ईश वंदना

राधेश्याम कथावाचक

देवी वंदना

यमुना प्रसाद चतुर्वेदी

श्री गुरु-गोपाल वंदना

यमुना प्रसाद चतुर्वेदी

श्री गणेश वंदना

यमुना प्रसाद चतुर्वेदी

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