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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

09 अगस्त 2025

‘क्या मैं एक आदिवासी नहीं हो सकता!’

‘क्या मैं एक आदिवासी नहीं हो सकता!’

...बादल बरस रहे हैं। बारिश मतलब क्या—पकौड़े या परेशानी? निर्भर करता है—आप बैठे कहाँ हैं। मैं गाँव के घर में बैठा हूँ। सबसे बाहर वाले मकान में। फ़िलहाल मेरे लिए ‘बारिश’ का मतलब ‘परेशानी’ है। इस बारिश म

08 अगस्त 2025

धड़क 2 : ‘यह पुराना कंटेंट है... अब ऐसा कहाँ होता है?’

धड़क 2 : ‘यह पुराना कंटेंट है... अब ऐसा कहाँ होता है?’

यह वाक्य महज़ धड़क 2 के बारे में नहीं कहा जा रहा है। यह ज्योतिबा फुले, भीमराव आम्बेडकर, प्रेमचंद और ज़िंदगी के बारे में भी कहा जा रहा है। कितनी ही बार स्कूलों में, युवाओं के बीच में या फिर कह लें कि तथा

07 अगस्त 2025

अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ

अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ

श्रावण-मास! बारिश की झरझर में मानो मन का रुदन मिला हो। शाल-पत्तों के बीच से टपक रही हैं—आकाश-अश्रुओं की बूँदें। उनका मन उदास है। शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर होता जा रहा है। शांतिनिकेतन का शांत वातावरण अशांत

06 अगस्त 2025

8 अगस्त को ज़िक्र-ए-इरशाद

8 अगस्त को ज़िक्र-ए-इरशाद

8 अगस्त 2025 को नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में एक विशेष स्मृति संध्या का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन प्रसिद्ध शायर, गीतकार, नाटककार और कहानीकार इरशाद ख़ान सिकंदर की जयंती के अवस

05 अगस्त 2025

‘2147’ : भविष्य की एक ज़रूरी चेतावनी

‘2147’ : भविष्य की एक ज़रूरी चेतावनी

लीलानूर सेंटर फ़ॉर वॉयस एंड डांस में पारंगद शॉ द्वारा लिखित और बलराम झा द्वारा निर्देशित नाटक ‘2147’ का मंचन—कैटेलिस्ट थिएटर सोसायटी और काव्यपीडिया के संयुक्त तत्वावधान में—सफलता के साथ किया गया। यह

03 अगस्त 2025

बिंदुघाटी : अब घंटे चतुर्दिक बज रहे हैं

बिंदुघाटी : अब घंटे चतुर्दिक बज रहे हैं

• नशे की वजह से कभी-कभार थोड़ा बहुत ग़ुस्सा बन जाता है और आपसी चिल्प-पों के बाद ऊपर आसमान में गुम हो जाता है। इस नशे की स्थिति में ऐसा भी लगता है कि हम सजग हो गए हैं। साहित्य के सन्वीक्षा-संसार में

02 अगस्त 2025

रजनीगंधा का साड़ी दर्शन

रजनीगंधा का साड़ी दर्शन

साड़ी का ज़िक्र होने पर दृश्य कौंधते हैं—किसी मंदिर में हवन में जाने से पहले खिड़की तीरे बाल बाँधती और माँग भरती माँ। महीनों बाद के मांगलिक कार्यक्रम के लिए हफ़्तों से तैयार हो रही माँ की स्पेशल साड़

01 अगस्त 2025

प्रेमचंद-जयंती पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रेमचंद की कहानियों की नाट्य-प्रस्तुति

प्रेमचंद-जयंती पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रेमचंद की कहानियों की नाट्य-प्रस्तुति

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने प्रेमचंद-जयंती के अवसर पर 31 जुलाई 2025 को एक विशेष नाट्य कार्यक्रम ‘नाट्य पाठ 5.0’ का आयोजन किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिट

31 जुलाई 2025

सैयारा : दुनिया को उनसे ख़तरा है जो रो नहीं सकते

सैयारा : दुनिया को उनसे ख़तरा है जो रो नहीं सकते

इन दिनों जीवन कुछ यूँ हो चला है कि दुनिया-जहान में क्या चल रहा है, इसकी सूचना सर्वप्रथम मुझे फ़ेसबुक देता है (और इसके लिए मैं मार्क ज़ुकरबर्ग या सिलिकॉन वैली में बैठे तमाम तकनीकी कीड़ों का क़तई कृतज्

30 जुलाई 2025

सैयारा : अच्छी कहानियाँ स्मृतियों की जिल्द हैं

सैयारा : अच्छी कहानियाँ स्मृतियों की जिल्द हैं

‘हम कोशिकाओं से नहीं, स्मृतियों से बने हैं।’ शिवेन्द्र का यह कथन, जो मैंने एक बार ‘सदानीरा’ पत्रिका में पढ़ा था, उस वक़्त केवल एक दिलचस्प विचार लगा था। मगर अब, इसका अर्थ मेरे लिए कहीं गहरा हो गया है।