साहित्य और संस्कृति की घड़ी
दिनेश श्रीनेत की कहानियों का संग्रह प्रकाशित होकर सामने आया है और मैं ख़ुशी के साथ एक अजीब से एहसास से भी सराबोर हूँ। मैं इस एहसास को कोई नाम देने में ख़ुद को लाचार समझता हूँ। मगर इस एहसास के केंद्र य
जैसे कुमार अंबुज फ़िल्मों पर लिखते हुए फ़िल्म की समीक्षा नहीं करते, बल्कि उसके दृश्यों, संकेतों, अर्थों और आशयों की तहों
पहले पन्ने पर लेखक ने इस उपन्यास (‘मरिचझाँपि को छूकर बहती है जो नदी’) का मर्म लिख दिया है—“विभाजन, विस्थापन एवं पुनर्वास
ख़ालिद जावेद के उपन्यास ‘नेमत ख़ाना’ से गुज़रते हुए गाहे-ब-गाहे यह महसूस होता है कि निःसंदेह तमाम दुनिया पेट की दौड़ है—
प्रत्येक समाज और व्यक्ति के अपने सच होते हैं। ये सच किसी-न-किसी माध्यम से अभिव्यक्ति पाते हैं। किताबें किसी व्यक्ति या स
12 मार्च 2025
हिंदी में लेखकों का अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा लिया गया साक्षात्कार संकलित होकर पुस्तक के रूप में प्रकाशित होता रहा है और
आशीष त्रिपाठी का अद्यतन काव्य संग्रह ‘शान्ति पर्व’ विवेकशील मानस की भाव-यात्रा है। भाव के साथ चेतना भी जागृत है। इस यात्
लेखक संतोष सिंह और आदित्य अनमोल द्वारा अँग्रेज़ी में लिखी गई ‘दी जननायक कर्पूरी ठाकुर : वॉइस ऑफ़ दी वॉइसलैस’ एक प्रेरक जी
20 फरवरी 2025
साहित्य के किसी भी सामान्य पाठक के लिए महाश्वेता देवी (1926-2016) का नाम सुपरिचित और सम्मानित है। उनकी लिखी हुई कहानियाँ
यह पुस्तक पारसी समुदाय के वैभवशाली जीवन की कथा है और लेखक द्वारा इसके किसी सच्चे जीवन वृत्तांत पर आधृत होने का दावा भी ज