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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

08 अप्रैल 2025

‘कथ्य-शिल्प : दो बिछड़े भाइयों की दास्तान’

‘कथ्य-शिल्प : दो बिछड़े भाइयों की दास्तान’

शिल्प और कथ्य जुड़वाँ भाई थे! शिल्प और कथ्य के माता-पिता कोरोना के क्रूर काल के ग्रास बन चुके थे। दोनों भाई बहुत प्रेम से रहते थे। एक झाड़ू लगाता था एक पोंछा। एक दाल बनाता था तो दूसरा रोटी। इसी तरह

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

समादृत कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के

19 मार्च 2025

व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!

व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!

कुछ रोज़ पूर्व एक सज्जन व्यक्ति को मैंने कहते सुना, “रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना अश्लील हैं, क्योंकि वे दोनों अगम्यगमन

11 मार्च 2025

मैं काली हूँ! काली हूँ, काली!

मैं काली हूँ! काली हूँ, काली!

यह भी ब्लैक हिस्ट्री का एक चमकदार अध्याय है। 2 फ़रवरी 2025 की रात कैलिफ़ोर्निया में अफ़्रीकन-अमेरिकन सिंगर-डांसर बियोन्से न

06 मार्च 2025

महाकुंभ : जैसा मैंने देखा

महाकुंभ : जैसा मैंने देखा

अष्टभुजा शुक्ल कहते हैं— “और कोई आए-न-आए लेकिन कुंभ आएगा... ...कुंभ आ रहा है, बल्कि कुंभ आ चुका है।” जब महाकुंभ क

28 फरवरी 2025

यूट्यूब के 20 साल : कुंभ जाते दादा-पोता और मोनालिसा की आँखें

यूट्यूब के 20 साल : कुंभ जाते दादा-पोता और मोनालिसा की आँखें

मोबाइल में क्या आएगा, ये कौन तय कर रहा है? दुर्भाग्य से ये अब हमारी सरकारों के हाथ से भी बाहर निकल गया है। आप यूट्यूब पर

25 फरवरी 2025

आजकल पत्नी को निहार रहा हूँ

आजकल पत्नी को निहार रहा हूँ

आजकल पत्नी को निहार रहा हूँ, सच पूछिए तो अपनी किस्मत सँवार रहा हूँ। हुआ यूँ कि रिटायरमेंट के कुछ माह पहले से ही सहकर

29 जनवरी 2025

जीवन को धुआँ-धुआँ करतीं रील्स

जीवन को धुआँ-धुआँ करतीं रील्स

मैं बहुत लंबे समय से इस बात पर चिंतन कर रहा हूँ और यह कितना सही और ग़लत है—यह तो खोजना होगा; पर मैं मान कर चल रहा हूँ कि

30 दिसम्बर 2024

वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची

वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची

ज्ञानरंजन ने अपने एक वक्तव्य में कहा है : ‘‘सूची कोई भी बनाए, कभी भी बनाए; सूचियाँ हमेशा ख़ारिज की जाती रहेंगी, वे विश्व

18 दिसम्बर 2024

ज़ाकिर हुसैन : एक उस्ताद का जीवन

ज़ाकिर हुसैन : एक उस्ताद का जीवन

इतना बोलता हुआ, इतना प्रसन्नमन, ऊर्जस्वी और संगीतमय मनुष्य आपने उनके पहले कब देखा था? उस्ताद ज़ाकिर हुसैन कुल मिलाकर 73