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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

23 दिसम्बर 2025

‘कहानी : दाहिना हाथ’

‘कहानी : दाहिना हाथ’

फ़रवरी का महीना बीते कुछ ही दिन हुए। अभी ठंड मौसम से गई नहीं। रात के अँधेरे में मोहल्ले के घरों की बत्तियाँ बूझा दी गईं। सभी अपने घरों में सोने जा चुके होंगे। ऐसे में भौ-भौ की आवाज़ होते ही शहबाज़ कमर

22 दिसम्बर 2025

शहर नक़्शे से नहीं, यात्राओं से पहचाने जाते हैं

शहर नक़्शे से नहीं, यात्राओं से पहचाने जाते हैं

जाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था। घर में ही एक कोना दे दिया गया, जैसे किसी मुट्ठीभर उम्मीद को दरकिनार कर दिया गया हो। सोफ़ा बिस्तर बन गया, जो कमरा कभी साझा हँसी और कहानियों से भरा होता था, वह अब

21 दिसम्बर 2025

कहानी : नदी का विद्रोह

कहानी : नदी का विद्रोह

चार पैंतालीस की पैसेंजर ट्रेन रवाना कर नदेरचाँद ने नए सहकारी को बुलाकर कहा—मैं चला जी!  नए सहकारी ने एक बार मेघ से ढँके आसमान की ओर देखा और बोला—हाँ-हाँ। नदेरचाँद बोले—अब और बारिश नहीं होगी, क्

20 दिसम्बर 2025

बालमुकुंद गुप्त के भूले-बिसरे साहित्यिक घराने की ओर

बालमुकुंद गुप्त के भूले-बिसरे साहित्यिक घराने की ओर

कल रात बारिश और आँधी आई थी तो मौसम ने भी प्रतिदिन की आदत को छोड़ते हुए हम पर रहम किया और सूर्य देवता काफ़ी देर तक ग़ायब ही रहे तथा बादलों ने ख़ुद को ढाल बनाकर हमें शीतलता प्रदान की। महेंद्रगढ़, ऐसी ज

19 दिसम्बर 2025

चार नाम, एक इंक़लाब

चार नाम, एक इंक़लाब

रेल की पटरियाँ दूर तक फैली थीं। प्लेटफ़ॉर्म की उखड़ी हुई खपरैल समय की मार झेलती हुई-सी लगती थीं। आज से ठीक सौ साल पहले लखनऊ के ऐसे ही स्टेशन पर आठ-डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन पर क्रांतिकारियों क

19 दिसम्बर 2025

बाग़ी मन की बातें : एक पुरुष की देह को लेकर

बाग़ी मन की बातें : एक पुरुष की देह को लेकर

बहुत याद करने पर भी और बहुत मूड़ मारने पर भी पिछले दिनों ठीक-ठीक यह याद नहीं आया कि उस दिन हमारे घर में कौन-सा आयोजन था। हाँ, यह ख़ूब याद है कि उसी बरस किसी महीने दादी मरी थीं; पर यह याद नहीं आता कि वह

17 दिसम्बर 2025

भाभी कॉम्प्लेक्स और कार्ल मार्क्स

भाभी कॉम्प्लेक्स और कार्ल मार्क्स

हिंदी साहित्य में भाभी जिस रूप में उतरी है, उसमें सत्य से अधिक सुहावनापन है। आज भी पुरुष की बहुपत्नीक और स्त्री की बहुपति प्रवृत्तियाँ, जो तहज़ीब के नीचे से अब भी रिसती रहती हैं और साहित्यदानों में द

16 दिसम्बर 2025

लॉकडाउन डायरी : सत्ता मेरे मज़े लेती है और मैं अपने से कमज़ोर लोगों के मज़े लेता हूँ...

लॉकडाउन डायरी : सत्ता मेरे मज़े लेती है और मैं अपने से कमज़ोर लोगों के मज़े लेता हूँ...

रात्रि की भयावहता में ही रात्रि का सौंदर्य है 25 मार्च 2020 पूर्व दिशा की ओर से खेरों की झाड़ियों में से उठती निशाचर उल्लुओं की किलबिलाहट से नींद खुल गई। यूँ तंद्रा का टूटना अनायास ही अकुलाहट क

15 दिसम्बर 2025

ऑक्सफ़ोर्ड, इलाहाबाद विश्वविद्यालय : कैंपस की कहानियाँ, अँग्रेज़ी संस्कृति और सिनेमा

ऑक्सफ़ोर्ड, इलाहाबाद विश्वविद्यालय : कैंपस की कहानियाँ, अँग्रेज़ी संस्कृति और सिनेमा

“मैं हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन मास्क पहने हुए नहीं मरना चाहता, बल्कि नेचुरल डेथ चाहता हूँ, अपनों के साथ रहते हुए। हॉस्पिटल में मरने से पहले जो थोड़ी-सी जीने की ख़्वाहिश बची है, वह भी मर जाती

13 दिसम्बर 2025

कहानी : आकांक्षा

कहानी : आकांक्षा

मेरे हाथ में संडे का अख़बार है। मेरे बाजू के स्टूल पर सुबह की पहली चाय का कप। स्मिता भी चाय पी रही है। बरसों पहले फ़्रेम करवायी गई रवींद्रनाथ ठाकुर की यह तस्वीर किताबों की रैक के नीचे टंगी है। रवी बा