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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

03 मई 2025

‘चिट्ठीरसा : कुछ परंपराओं का होना, जीवन का होना होता है’

‘चिट्ठीरसा : कुछ परंपराओं का होना, जीवन का होना होता है’

डाकिया आया है। चिट्ठी लाया है। ये शब्द अम्मा को चुभते थे। कहतीं चिट्ठीरसा आए हैं, बड़ी फुर्ती से उस दिन ओसारे से दुआर तक पहुँचतीं, जैसे कोई किसी अपने का इंतिज़ार करते माला जप रहा हो, और ईश्वर ने उसकी

02 मई 2025

उर्दू में हिंदू-धर्म का प्रचार-प्रसार : कुछ उदाहरण

उर्दू में हिंदू-धर्म का प्रचार-प्रसार : कुछ उदाहरण

ये लेख मूलतः एक किताब पर आधारित है। उस किताब में दी गई जानकारियों को यहाँ संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है। ऐसा दो-ती

01 मई 2025

यह ‘जल तू जलाल तू’ फ़िल्म की समीक्षा नहीं है

यह ‘जल तू जलाल तू’ फ़िल्म की समीक्षा नहीं है

‘‘एक ज़माने पहले की बात है’’, लेकिन वो कौन-सी बात है जिसके बदलने से ज़माना बदल जाता है? ज़माना, जब कॉटन के साथ पॉलिस्टर म

30 अप्रैल 2025

इमली, इलाहाबाद, इश्क़

इमली, इलाहाबाद, इश्क़

बचपन का इलाहाबाद बहुत खुला-खुला था। उसकी सड़कें खुली और ख़ाली थीं। सड़कों के अगल-बग़ल बाग़, जंगल और पेड़ बहुत थे। एक मुहल्ल

27 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : इन पंक्तियों के लेखक का ‘मैं’

रविवासरीय : 3.0 : इन पंक्तियों के लेखक का ‘मैं’

• विषयक—‘‘इसमें बहुत कुछ समा सकता है।’’ इस सिलसिले की शुरुआत इस पतित-विपथित वाक्य से हुई। इसके बाद सब कुछ वाहवाही और

23 अप्रैल 2025

किताब एक स्त्री की आत्मा का घर है

किताब एक स्त्री की आत्मा का घर है

चमत्कार घटित होते हैं। एक दिन अप्रत्याशित ढंग से उसके काँधे पर एक कोमल और प्रेमिल स्पर्श इस क़दर हल्का आकर उतरता है क

22 अप्रैल 2025

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-2

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-2

पहली कड़ी से आगे... इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था। दोपहर हो गई थी। बिस्तर मेरे भार से दबा हुआ था। मुझे उसे दबाएँ रखने क

21 अप्रैल 2025

‘अजब तोरी दुनिया हो मोरे रामा...’

‘अजब तोरी दुनिया हो मोरे रामा...’

बरस 1947 है,  तारीख़ 14 अगस्त,  दिन गुरुवार,  रात का समय। जब जवाहरलाल नेहरू अपना चुस्त पजामा और शेरवानी पहन रहे थे, स

20 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : हिंदी में विश्व कविता का विश्व

रविवासरीय : 3.0 : हिंदी में विश्व कविता का विश्व

• गत सौ-सवा वर्षों की हिंदी कविता पर अगर एक सरसरी तब्सिरा किया जाए और यह जाँचने-जानने के यत्न में संलग्न हुआ जाए कि हमार

19 अप्रैल 2025

दो दीमकें लो, एक पंख दो

दो दीमकें लो, एक पंख दो

मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इस कार्यक्रम के आयोजकों और नियामकों का जिन्होंने मुझे आपके रूबरू होने का, कुछ बातें कर प