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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

13 जनवरी 2025

‘ब्रूस ली ने कहा है : शांति एक महाशक्ति है’

‘ब्रूस ली ने कहा है : शांति एक महाशक्ति है’

• मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस दुनिया में नहीं हूँ और आप मेरी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस दुनिया में नहीं हैं। • आसान जीवन के लिए प्रार्थना न करें, कठिन जीवन को सहने की शक्ति के लिए

12 जनवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : गद्यरक्षाविषयक

रविवासरीय : 3.0 : गद्यरक्षाविषयक

• गद्य की रक्षा करना एक गद्यकार का प्राथमिक दायित्व है। गद्यरत के गद्य की रक्षा कैसे होती है? आइए जानते हैं : गद्यरत जब प्रकाश पर रचे; तब चाहे कि प्रकाश के जितने भी संभव-असंभव आयाम हैं, वे सब व्यक

11 जनवरी 2025

अरुणाचल के न्यीशी जीवन का स्मृति-राग

अरुणाचल के न्यीशी जीवन का स्मृति-राग

‘गाय-गेका की औरतें’ जोराम यालाम नबाम के अब तक के जीवन में संभव में हुए प्रसंगों के संस्मरण हैं। जिस जगह के ये संस्मरण हैं; उसकी अवस्थिति अरुणाचल प्रदेश के ठेठ ग्रामीण ज़िले लोअर सुबानसिरी में है। पुस्

10 जनवरी 2025

आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो

आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो

‘हिन्दवी’ के विशेष कार्यक्रम ‘संगत’ के 89वें एपिसोड में हिंदी कथा साहित्य के समादृत हस्ताक्षर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने यहाँ प्रस्तुत संस्मरणात्मक कथ्य ‘आत्म-तर्पण’ का ज़िक्र किया था, जिसके बाद कई साहित

10 जनवरी 2025

मंडी हाउस में जल्द शुरू होगा आद्यम थिएटर का सातवाँ संस्करण

मंडी हाउस में जल्द शुरू होगा आद्यम थिएटर का सातवाँ संस्करण

आद्यम थिएटर का सातवाँ संस्करण—राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में 11 और 12 जनवरी से शुरू होगा। आद्यम थिएटर—आदित्य बिड़ला समूह की एक पहल है, जो भारतीय रंगमंच को बढ़ावा

09 जनवरी 2025

ज़िंदगी की बे-अंत नैरंगियों का दीदार

ज़िंदगी की बे-अंत नैरंगियों का दीदार

कहानी एक ऐसा हुनर है जिसके बारे में जहाँ तक मैं समझा हूँ—एक बात पूरे यक़ीन से कही जा सकती है कि आप कहानी में किसी भी तरह से उसके कहानी-पन को ख़त्म नहीं कर सकते, उसकी अफ़सानवियत को कुचल नहीं सकते।  उद

08 जनवरी 2025

किसे आवाज़ दूँ जो मुझे इस जाल से निकाले!

किसे आवाज़ दूँ जो मुझे इस जाल से निकाले!

14 दिसंबर 2024 इच्छाएँ बेघर होती हैं, उन्हें जहाँ भी चार दीवार और एक छत का आसरा दिखता है, वो वहीं टिक जाना चाहती हैं। मनुष्य का मन इच्छाओं का पहला घर है, चारों तरफ़ भटकने के बाद पहली बार उसे मनुष्

07 जनवरी 2025

द वेजिटेरियन : हिंसा और अन्याय से मुक्ति का स्वप्न

द वेजिटेरियन : हिंसा और अन्याय से मुक्ति का स्वप्न

“मुझे एक स्वप्न आया था” कोरियाई लेखिका हान कांग के उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ के मूल में यही वाक्य है, जो उपन्यास की पात्र योंग-हे निरंतर दुहराती रहती है। यह वाक्य साधारण ध्वनित कर सकता है लेकिन यह शो

06 जनवरी 2025

सिंधियों की पीड़ा का बयान

सिंधियों की पीड़ा का बयान

चलना जीवन है और चलते जाना इंसान होने की नियति है। समाजशास्त्र की मूल स्थापना है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ‘सिमसिम’ के मुख्य पात्र के जीवन की कोख कहानी और उससे निर्मित स्वचेतना से लेखक पाता है क

05 जनवरी 2025

एक आवाज़ के ख़याल में उलझा जीवन

एक आवाज़ के ख़याल में उलझा जीवन

मेरे ख़याल से उससे मेरी पहली मुलाक़ात किशोरावस्था के दौरान हुई थी। यह मुलाक़ात इतनी संक्षिप्त थी कि मुझे याद नहीं हमने उस दौरान क्या-क्या बातें की। कहते हैं ख़याल में वही रहते हैं जो कभी मिलते नहीं,