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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

16 मई 2025

‘क्राइम मास्टर गोगो, श्री निर्मल वर्मा और मैं’

‘क्राइम मास्टर गोगो, श्री निर्मल वर्मा और मैं’

हिंदी में एक ऐसे लेखक हुए, जिन्होंने लाखों भूले-भटके किशोरों-युवाओं का जीवन तबाह किया। इंटरनेट पर फैले इनके कोट्स नशीली उदासी का व्यापार करते हैं। हिंदी के ‘क्राइम मास्टर गोगो’—प्रचंड अवसाद और निराशा

15 मई 2025

ये day वो day और हाथी

ये day वो day और हाथी

वर्ल्ड अर्थ डे और हाथी का कोई सीधा संबंध नहीं है, पर पता नहीं क्यों मुझे ‘वर्ल्ड अर्थ डे’ पर हाथी याद आता है। हाथी का इत

14 मई 2025

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी महिला छात्रावास का फ़ोन, कविता और प्रेम

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी महिला छात्रावास का फ़ोन, कविता और प्रेम

दूसरी कड़ी से आगे... टेलीफ़ोन का युग मध्यवर्गीय परिवार के लिए तब आया, जब मैं पंद्रह-सोलह साल का रहा होऊँगा। नब्बे का दश

10 मई 2025

सपना टॉकीज में हाउसफ़ुल

सपना टॉकीज में हाउसफ़ुल

उस आदमी की स्मृति में अभी बुर्राक सफ़ेद परदा टँगा हुआ है, जब वह चोरी-छिपे सपना टॉकीज में पिक्चर देखने जाया करता था और उनक

09 मई 2025

मोना गुलाटी की [अ]कविता

मोना गुलाटी की [अ]कविता

मोना गुलाटी अकविता की प्रतिनिधि कवि हैं। अकविता का मूल तत्त्व असहमति और विरोध से निर्मित हुआ है। असहमति और विरोध अक्सर स

08 मई 2025

यूनिवर्सिटी का प्रेम और पापा का स्कूटर

यूनिवर्सिटी का प्रेम और पापा का स्कूटर

पहली कड़ी से आगे... उन दिनों इलाहबाद में प्रेम की जगहें कम होती थीं। ऐसी सार्वजनिक जगहों की कमी थी, जहाँ पर प्रेमी युग

07 मई 2025

रवींद्रनाथ का भग्न हृदय

रवींद्रनाथ का भग्न हृदय

विलायत में ही मैंने एक दूसरे काव्य की रचना प्रारंभ कर दी थी। विलायत से लौटते हुए रास्ते में भी उसकी रचना का कार्य चालू र

06 मई 2025

यात्रा के बाद यात्रा-वृत्तांत से हटकर

यात्रा के बाद यात्रा-वृत्तांत से हटकर

जैसे कुमार अंबुज फ़िल्मों पर लिखते हुए फ़िल्म की समीक्षा नहीं करते, बल्कि उसके दृश्यों, संकेतों, अर्थों और आशयों की तहों

05 मई 2025

स्पर्श : दुपहर में घर लौटने जितना सुख

स्पर्श : दुपहर में घर लौटने जितना सुख

सोमवार से बहाल हुई दिनचर्या शुक्रवार शाम की राह तकती है—दरमियान का सारा वक़्त अनजाने निगलते हुए। एक जानिब को कभी लगा ही

04 मई 2025

बिंदुघाटी : कविताएँ अब ‘कुछ भी’ हो सकती हैं

बिंदुघाटी : कविताएँ अब ‘कुछ भी’ हो सकती हैं

यहाँ प्रस्तुत इन बिंदुओं को किसी गणना में न देखा जाए। न ही ये किसी उपदेश या वैशिष्ट्य-विधान के लिए प्रस्तुत हैं। ऐसे असं