समकालीन पर बेला
वर्तमान दौर के लिए भी
प्रासंगिक रहे और आधुनिक इतिहास के नियत परिप्रेक्ष्य से संबंधित रचनाओं से एक चयन।
कमल जीत चौधरी की दस कथाएँ
कहानी उसने प्यार किया था। उसे अपने पुराने प्रेमी की याद सताती थी। पति की ग़ैरमौजूदगी में एक रात उसने अपने प्रेमी को
भाषा में पसरती जा रही मुर्दनी
लेखक-पत्रकार प्रियदर्शन द्वारा अरुंधती राय की नई पुस्तक ‘मदर मेरी कम्स टु मी’ की भूमिका को संदर्भ में रखते हुए लिखा गया
07 सितम्बर 2025
बिंदुघाटी : गुदरिया गले में डारे भरथरी
• किंवदंतियों, जनश्रुतियों और विद्वानों के विवरणों में विशद उपस्थिति रखने वाले भर्तृहरि राजा थे या ऋषि! कवि थे या वैयाकर
हम चुटकुलों से ख़फ़ा हैं
आमतौर पर तो भारतीय प्रथा यह है कि ज़रूरी मुद्दों को चुटकुला बना दिया जाए। लेकिन कभी-कभी जब किसी सुहाने दिन मंद-मंद-सी बय
17 अगस्त 2025
बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है
• विद्यापति तमाम अलंकरणों से विभूषित होने के साथ ही, तमाम विवादों का विषय भी रहे हैं। उनका प्रभाव और प्रसार है ही इतना ब
03 अगस्त 2025
बिंदुघाटी : अब घंटे चतुर्दिक बज रहे हैं
• नशे की वजह से कभी-कभार थोड़ा बहुत ग़ुस्सा बन जाता है और आपसी चिल्प-पों के बाद ऊपर आसमान में गुम हो जाता है। इस नशे की स्
13 जुलाई 2025
बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है
• संभवतः संसार की सारी परंपराओं के रूपक-संसार में नाविक और चरवाहे की व्याप्ति बहुत अधिक है। गीति-काव्यों, नाटकों और दार्
29 जून 2025
‘बिंदुघाटी’ पढ़ते तो पूछते न फिरते : कौन, क्यों, कहाँ?
• उस लड़की की छवि हमेशा के लिए स्टीफ़न की आत्मा में बस गई, और फिर उस आनंद में डूबा हुआ पवित्र मौन किसी भी शब्द से नहीं टूट
नायक खोजते अ-नायक हो तुम
उल्टी धार के लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए। परेशानियों का शुक्रिया कहना चाहिए। अधम मनुष्यों से दूर रहना चाहिए। कविता में सू
16 जून 2025
औरंगज़ेब का घरेलू नाम नवरंग बिहारी था
लेख से पहले चंद शब्द कुछ दिन पहले अपने पुराने काग़ज़ात उलट-पलट रही थी कि एक विलक्षण लेख हाथ आया। पंडित वाहिद काज़मी का
15 जून 2025
बिंदुघाटी : करिए-करिए, अपने प्लॉट में कुछ नया करिए!
• अवसर कोई भी हो सबसे केंद्रीय महत्व केक का होता है। वह बिल्कुल बीचोबीच होता हुआ, फूला हुआ, चमकता हुआ, अकड़ा हुआ, आकर्षित
बिंदुघाटी : ‘ठीक-ठीक लगा लो’ कहना मना है
• मैं भ्रम की चपेट में था कि फ़ेसबुक और वहाँ के विमर्शों की दुनिया ही अब एकमात्र रह गई है। इसमें जो कुछ छूट गया है—वह भी
व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!
कुछ रोज़ पूर्व एक सज्जन व्यक्ति को मैंने कहते सुना, “रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना अश्लील हैं, क्योंकि वे दोनों अगम्यगमन
रविवासरीय : 3.0 : ‘जो पेड़ सड़कों पर हैं, वे कभी भी कट सकते हैं’
• मैंने Meta AI से पूछा : भगदड़ क्या है? मुझे उत्तर प्राप्त हुआ : भगदड़ एक ऐसी स्थिति है, जब एक समूह में लोग अचानक
जीवन को धुआँ-धुआँ करतीं रील्स
मैं बहुत लंबे समय से इस बात पर चिंतन कर रहा हूँ और यह कितना सही और ग़लत है—यह तो खोजना होगा; पर मैं मान कर चल रहा हूँ कि
हिंदुस्तान आपको नींद की ज़रूरत है
मेरे प्यारे दोस्तो, हिंदुस्तान कभी सुबह जल्दी उठने वालों का देश हुआ करता था। यह हमारे डीएनए में था। सुबह उठकर आप बिना कि
CTRL : एक बेमेल दुनिया की सच्चाई, जहाँ से बचना लगभग असंभव है
कभी-कभी सोचती हूँ कि यह आभासी दुनिया भी कितनी उकताऊ हो चुकी है। कुछ भी आभासी देखने या सुनने का मन नहीं होता। जब मैंने ने
भूलना दुनिया का सबसे बुरा मर्ज़ है
“नदी इतनी पतली थी कि उसमें अब बस धूप से सनी थोड़ी नींद बहती थी।” पहली कहानी के पहले पन्ने पर ऐसी काव्यात्मक भाषा मिल