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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

17 जून 2025

‘पूर्वांचल के बंकहों की कथा’

‘पूर्वांचल के बंकहों की कथा’

कहते हैं इवोल्यूशन के क्रम में, हमारे पूर्वज सेपियंस ने अफ़्रीका से पदयात्रा शुरू की थी और क्रमशः फैलते गए—अरब, तुर्की, बाल्कन, काकेशस, एशिया माइनर, भारत, चीन; और एक दिन हर उस ज़मीन पर उनकी चरण पादुका

16 जून 2025

औरंगज़ेब का घरेलू नाम नवरंग बिहारी था

औरंगज़ेब का घरेलू नाम नवरंग बिहारी था

लेख से पहले चंद शब्द कुछ दिन पहले अपने पुराने काग़ज़ात उलट-पलट रही थी कि एक विलक्षण लेख हाथ आया। पंडित वाहिद काज़मी का लिखा—हेडलाइन प्लस, जुलाई 2003 में प्रकाशित। शीर्षक पढ़कर ही झुरझुरी आ गई। एक स

15 जून 2025

बिंदुघाटी : करिए-करिए, अपने प्लॉट में कुछ नया करिए!

बिंदुघाटी : करिए-करिए, अपने प्लॉट में कुछ नया करिए!

• अवसर कोई भी हो सबसे केंद्रीय महत्व केक का होता है। वह बिल्कुल बीचोबीच होता हुआ, फूला हुआ, चमकता हुआ, अकड़ा हुआ, आकर्षित करता हुआ रखा होता है।  वह एक विचारहीन प्रविष्टि के रूप में हर जगह आवश्यक बन

14 जून 2025

बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल!

बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल!

‘बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल’—यह नब्बे के दशक में किसी पल्प साहित्य के बेस्टसेलर का शीर्षक हो सकता था। रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल्स से लेकर ‘सरस सलिल’ के कॉलमों में इसकी धूम मची होती। इसका प्रीक्वल और सीक्वल

13 जून 2025

मेहदी हसन : ‘पी के हम-तुम जो चले झूमते मैख़ाने से...’

मेहदी हसन : ‘पी के हम-तुम जो चले झूमते मैख़ाने से...’

मैं वर्ष 1977 में झुंझुनू से जयपुर आ गया था—राजस्थान विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम.ए. करने के लिए। वह अक्टूबर का महीना होगा, जब रामनिवास बाग़ स्थित रवींद्र मंच पर राजस्थान दिवस समारोह चल रहा

12 जून 2025

‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही’

‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही’

‘बॉर्डर 2’ का विचार सुनते ही जो सबसे पहला दृश्य मन में कौंधा, वह बालकनी में खड़े होकर पिता का कहना था—‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही।’ इस वाक्य में सिर्फ़ एक अभिनेता का अवसान नहीं था, एक पूरे युग क

12 जून 2025

भाषा, लोग और ‘बहुरूपिये’ वाया 2014

भाषा, लोग और ‘बहुरूपिये’ वाया 2014

आज़ादी के बाद के, हमारे देश का इतिहास जब भी लिखा जाएगा तो उसमें दो खंड लाज़िमी होंगे। पहला—आज़ादी से लेकर 2014 तक और दूसरा—2014 से बाद का। ऐसा नहीं है कि 2014 के बाद से हमारे समाज में धर्म के नाम पर

11 जून 2025

निश्छल नारी की नोटबुक

निश्छल नारी की नोटबुक

ऊषा शर्मा की डायरी ‘रोज़नामचा एक कवि पत्नी का’ (संपादक : उद्भ्रांत, प्रकाशक : रश्मि प्रकाशन, संस्करण : 2024) एक ऐसी कृति है, जो एक गृहिणी की अनगढ़, निश्छल अभिव्यक्ति के माध्यम से कवि-पति उद्भ्रांत के

11 जून 2025

दिल्ली में ‘मुंबई स्टार’

दिल्ली में ‘मुंबई स्टार’

नादिर ख़ान द्वारा निर्देशित और अवंतिका बहल द्वारा कोरियोग्राफ किया गया, एक बेहतरीन डांस म्यूजिकल द ड्रैगन रोज़ प्रोजेक्ट का ‘मुंबई स्टार’ 14 और 15 जून 2025 को कमानी ऑडिटोरियम में दिल्ली के दर्शकों के

10 जून 2025

‘जब सोशल मीडिया नहीं था, हिंदी कविता अधिक ब्राह्मण थी’

‘जब सोशल मीडिया नहीं था, हिंदी कविता अधिक ब्राह्मण थी’

वर्ष 2018 में ‘सदानीरा’ पर आपकी कविता-पंक्ति पढ़ी थी—‘यह कवियों के काम पर लौटने का समय है’। इस बीच आप फ़्रांस से लौटकर आ गए। इस लौटने में काम पर कितना लौटे आप?  2018 में जब यह कविता-पंक्ति संभव हुई