ओ इरशाद, प्यारे इरशाद! अलविदा!
ओ अज़ीज़ इरशाद खान सिकंदर! ओ बुजुर्गों की तमीज़ से भरे युवा इंसान और शाइर-कवि! यह अचानक क्या! तुम्हारी हमेशा-हम
01 अप्रैल 2025
विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक
उनका पूरा नाम विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ था। ‘विमलेश राजस्थानी’ भी उन्हें कहा जाता था और कवियों के बीच वह विमलेशजी के नाम स
रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’
• इधर एक वक़्त बाद विनोद कुमार शुक्ल [विकुशु] की तरफ़ लौटना हुआ। उनकी कविताओं के नवीनतम संग्रह ‘केवल जड़ें हैं’ और उन पर एक
25 सितम्बर 2024
जीवन की कविता और कविता का जीवन
सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर
19 अगस्त 2024
जो रेखाएँ न कह सकेंगी
एक युग बीत जाने पर भी मेरी स्मृति से एक घटा भरी अश्रुमुखी सावनी पूर्णिमा की रेखाएँ नहीं मिट सकी हैं। उन रेखाओं के उजले र
15 जुलाई 2024
कविता मुझे कहाँ मिली?
आज कविता लिखना सीखते हुए मुझे तीन दशक से ज़्यादा समय हो गया और अब भी मैं सीख ही रहा हूँ, क्योंकि मेरे अनुभव का निष्कर्ष य
08 मई 2024
रवींद्रनाथ ने कहा है कि...
हमारे गाँव में और कुछ हो या न हो, कुछ मिले न मिले... पर रवींद्रनाथ थे। वह थे और वह पूरी तरह से घर के आदमी थे। घरवाले वही
07 मई 2024
जब रवींद्रनाथ मिले...
एक भारतीय मानुष को पहले-पहल रवींद्रनाथ ठाकुर कब मिलते हैं? इस सवाल पर सोचते हुए मुझे राष्ट्रगान ध्यान-याद आता है। अधिकां