मोक्ष पर सबद

भारतीय दर्शन में दुखों

की आत्यंतिक निवृत्ति को मोक्ष कहा गया है। मोक्ष प्राप्ति को जीवन का अंतिम ध्येय माना गया है ,जहाँ जीव जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा लेता है। अद्वैत दर्शन में ‘अविद्या: निवृत्ति: एव मोक्ष:’ की बात कही गई है। ज्ञान और भक्ति दोनों को ही मोक्ष का उपाय माना गया है। बौद्ध और जैन जैसी अवैदिक परंपराओं में भी मोक्ष की अवधारणा पाई जाती है। बुद्ध ने इसे ‘निर्वाण’ कहा है।

मानुख जन्म है सुफल अनंदा

दरिया (बिहार वाले)

धन्य सोई भक्ति अनुरागा

दरिया (बिहार वाले)

अनुभव अनहद करै बिचारा

दरिया (बिहार वाले)

रे नर, इह साची जीअ धारि

गुरु तेगबहादुर

मन बनिजारा रे भाई

तुरसीदास निरंजनी

बादल बरसन लागै दोइ

तुरसीदास निरंजनी

भली भई ज्ञान प्रकास भयौ

तुरसीदास निरंजनी

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