
सिर्फ़ महाकाव्यों में ही लोग एक-दूसरे को मार डालने के पहले गालियों का आदान-प्रदान करते हैं। जंगली आदमी, और किसान, जो काफी कुछ जंगली जैसा ही होता है, तभी बोलते हैं जब उन्हें दुश्मन को चकमा देना होता है।

दरिद्रनारायण के दर्शन करने हों, तो किसानों के झोंपड़ों में जाओ।

मैं किसानों को भिखारी बनते नहीं देखना चाहता। दूसरों की मेहरबानी से जो कुछ मिल जाए, उसे लेकर जीने की इच्छा की अपेक्षा अपने हक़ के लिए मर-मिटना मैं ज़्यादा पसंद करता हूँ।

किसानों को विडंबनाएँ इसलिए सहन करनी पड़ती हैं कि उनके लिए जीविका के और सभी द्वार बंद हैं।

मूर्ख किसान का भी अच्छे खेत में पड़ा बीज वृद्धि को प्राप्त हो जाता है।।

रूसी किसान जब अपने सिर को खुजलाता है, तब इसके कई मतलब होते हैं।