Jaishankar Prasad's Photo'

जयशंकर प्रसाद

1889 - 1937 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार और नाटककार।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार और नाटककार।

जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

528
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

अन्य देश मनुष्यों की जन्मभूमि है, लेकिन भारत मानवता की जन्मभूमि है।

  • संबंधित विषय : देश

असंभव कहकर किसी काम को करने से पहले, कर्मक्षेत्र में काँपकर लड़खड़ाओ मत।

प्रेम महान है, प्रेम उदार है। प्रेमियों को भी वह उदार और महान बनाता है। प्रेम का मुख्य अर्थ है—‘आत्मत्याग’।

परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है, निश्चेष्ट शांति मरण है।

जीवन विश्व की संपत्ति है। प्रमाद से, क्षणिक आवेश से, या दुःख की कठिनाइयों से उसे नष्ट करना ठीक तो नहीं।

क्षमा पर केवल मनुष्य का अधिकार है, वह हमें पशु के पास नहीं मिलती।

इस भीषण संसार में एक प्रेम करने वाले हृदय को दबा देना सबसे बड़ी हानि है।

प्रत्येक स्थान और समय बोलने योग्य नहीं रहते।

दो प्यार करने वाले हृदयों के बीच में स्वर्गीय ज्योति का निवास होता है।

जो अपने कर्मों को ईश्वर का कर्म समझकर करता है, वही ईश्वर का अवतार है।

समय बदलने पर लोगों की आँखें भी बदल जाती हैं।

  • संबंधित विषय : समय

हृदय का सम्मिलन ही तो ब्याह है।

ऐसा जीवन तो विडंबना है, जिसके लिए रात-दिन लड़ना पड़े!

पढ़ाई सभी कामों में सुधार लाना सिखाती है।

निद्रा भी कैसी प्यारी वस्तु है। घोर दु:ख के समय भी मनुष्य को यही सुख देती है।

सहनशील होना अच्छी बात है, पर अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है।

संसार ही युद्ध क्षेत्र है, इसमें पराजित होकर शस्त्र अर्पण करके जीने से क्या लाभ?

प्रश्न स्वयं कभी किसी के सामने नहीं आते।

दरिद्रता सब पापों की जननी है तथा लोभ उसकी सबसे बड़ी संतान है।

पुरुष क्रूरता है तो स्त्री करुणा है।

मनुष्य दूसरों को अपने मार्ग पर चलाने के लिए रुक जाता है, और अपना चलना बंद कर देता है।

संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी-कभी मान ही लेना पड़ता है कि यह जगत ही नरक है।

स्त्री जिससे प्रेम करती है, उसी पर सर्वस्व वार देने को प्रस्तुत हो जाती है।

हम जितनी कठिनता से दूसरों को दबाए रखेंगे, उतनी ही हमारी कठिनता बढ़ती जाएगी।

सेवा सबसे कठिन व्रत है।

अधिक हर्ष और उन्नति के बाद ही अधिक दुःख और पतन की बारी आती है।

जीवन का सत्य है—प्रसन्नता।

  • संबंधित विषय : सुख

जिसकी भुजाओं में दम हो, उसके मस्तिष्क में तो कुछ होना ही चाहिए।

जागृत राष्ट्र में ही विलास और कलाओं का आदर होता है।

  • संबंधित विषय : कला

सत्य इतना विराट है कि हम क्षुद्र जीव व्यवहारिक रूप से उसे संपूर्ण ग्रहण करने में प्रायः असमर्थ प्रमाणित होते हैं।

  • संबंधित विषय : सच

जीवन लालसाओं से बना हुआ सुंदर चित्र है। उसका रंग छीनकर उसे रेखा-चित्र बना देने से मुझे संतोष नहीं होगा।

जिस वस्तु को मनुष्य दे नहीं सकता, उसे ले लेने की स्पर्द्धा से बढ़कर दूसरा दंभ नहीं।

वीरता जब भागती है, तब उसके पैरों से राजनीतिक छल-छद्म की धूल उड़ती है।

संसार भी बड़ा प्रपंचमय यंत्र है। वह अपनी मनोहरता पर आप ही मुग्ध रहता है।

सोने की कटार पर मुग्ध होकर उसे कोई अपने हृदय में डुबा नहीं सकता।

  • संबंधित विषय : दिल

ऐश्वर्य का मदिरा-विलास किसे स्थिर रहने देता है!

स्त्री का हृदय प्रेम का रंगमंच है।

संसार भर के उपद्रवों का मूल व्यंग्य है। हृदय में जितना यह घुसता है, उतनी कटार नहीं।

मानव स्वभाव दुर्बलताओं का संकलन है।

कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं है।

आत्म-सम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य-जीवन है।

मूर्खता सरलता का सत्यरूप है।

  • संबंधित विषय : सच

सुख तो धर्माचरण से मिलता है, अन्यथा संसार तो दुःखमय है ही! संसार के कर्मों को धार्मिकता के साथ करने में सुख की ही संभावना है।

  • संबंधित विषय : सुख

मेघ-संकुल आकाश की तरह जिसका भविष्य घिरा हो, उसकी बुद्धि को तो बिजली के समान चमकना ही चाहिए।

नारी की करुणा अंतर्जगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं।

निष्फल क्रोध का परिणाम होता है, रो देना।

सौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलता के नाम हैं।

जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है प्रसन्नता। यह जिसने हासिल कर ली, उसका जीवन सार्थक हो गया।

  • संबंधित विषय : सुख

पुरुषार्थ ही सौभाग्य को सींचता है।

अत्याचार के श्मशान में ही मंगल का, शिव का, सत्य-सुंदर संगीत का शुभारंभ होता है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए