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प्रवृत्ति पर बेला

16 अक्तूबर 2025

केबीसी के ईशित भट्ट के पक्ष में पूछना तो पड़ेगा

केबीसी के ईशित भट्ट के पक्ष में पूछना तो पड़ेगा

इंटरनेट का लोकाचार भरसक ऊब, सनक, बेचैनी और ऊधम से भरा है और यह कब और कैसे इंटरनेट की दुनिया से निकलकर अस्ल ज़िंदगी में उतर आता है; पता ही नहीं चलता। जो भी व्यक्ति इंटरनेट पर आनंद की तलाश में थोड़ा ज़

07 अक्तूबर 2025

क्या आप भी रील-रोग से ग्रस्त हैं?

क्या आप भी रील-रोग से ग्रस्त हैं?

रील-रोग से ग्रस्त और कुछ-कुछ कुपित एक रीलर-इन्फ़्लुएंसरों मित्र ने बेहद ऊबकर मुझसे पिछले दिनों कोई किताब पढ़ने की जिज्ञासा व्यक्त की। उन्हें शुरुआत करने में मुश्किल आ रही थी। मित्र पूरब के निवासी हैं,

10 सितम्बर 2025

ज़ेन ज़ी का पॉलिटिकल एडवेंचर : नागरिक होने का स्वाद

ज़ेन ज़ी का पॉलिटिकल एडवेंचर : नागरिक होने का स्वाद

जय हो! जग में चले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को। जिस नर में भी बसे हमारा नाम, तेज को, बल को। —दिनकर, रश्मिरथी | प्रथम सर्ग ज़ेन ज़ी, यानी 13-28 साल की वह पीढ़ी, जो अब तक मीम, चुटकुलों और रीलों में

22 अगस्त 2025

वॉन गॉग ने कहा था : जानवरों का जीवन ही मेरा जीवन है

वॉन गॉग ने कहा था : जानवरों का जीवन ही मेरा जीवन है

प्रिय भाई, मुझे एहसास है कि माता-पिता स्वाभाविक रूप से (सोच-समझकर न सही) मेरे बारे में क्या सोचते हैं। वे मुझे घर में रखने से भी झिझकते हैं, जैसे कि मैं कोई बेढब कुत्ता हूँ; जो उनके घर में गंदे पं

17 अगस्त 2025

बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है

बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है

• विद्यापति तमाम अलंकरणों से विभूषित होने के साथ ही, तमाम विवादों का विषय भी रहे हैं। उनका प्रभाव और प्रसार है ही इतना बड़ा कि अपने समय से लेकर आज तक वे कई कला-विधाओं के माध्यम से जनमानस के बीच रहे है

30 जुलाई 2025

सैयारा : अच्छी कहानियाँ स्मृतियों की जिल्द हैं

सैयारा : अच्छी कहानियाँ स्मृतियों की जिल्द हैं

‘हम कोशिकाओं से नहीं, स्मृतियों से बने हैं।’ शिवेन्द्र का यह कथन, जो मैंने एक बार ‘सदानीरा’ पत्रिका में पढ़ा था, उस वक़्त केवल एक दिलचस्प विचार लगा था। मगर अब, इसका अर्थ मेरे लिए कहीं गहरा हो गया है।

14 जून 2025

बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल!

बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल!

‘बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल’—यह नब्बे के दशक में किसी पल्प साहित्य के बेस्टसेलर का शीर्षक हो सकता था। रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल्स से लेकर ‘सरस सलिल’ के कॉलमों में इसकी धूम मची होती। इसका प्रीक्वल और सीक्वल