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दिमाग़ पर उद्धरण

संसार के उत्कृष्ट मस्तिष्क वाले संकल्पवान् प्राणी में और एक साधारण मनुष्य में भी जो भेद है, वह मन की शक्तियों के भेद के कारण है।

वासुदेवशरण अग्रवाल

अपने दिल का कहा मानो, लेकिन अपने दिमाग़ को साथ लेकर चलो।

अल्फ़्रेड एडलर
  • संबंधित विषय : दिल

व्यक्तिगत संपत्ति की शुरुआत उस समय से शुरू हुई जब किसी ने अपना ख़ुद का दिमाग़ रखना शुरू किया।

ई. ई. कमिंग्स
  • संबंधित विषय : समय

सत्य का मार्ग खोजने के लिए हमें दिमाग़ की नहीं, बल्कि दिल की ज़रूरत होती है। सच्चा मार्ग खोजने के लिए हमें अपने दिमाग़ की नहीं, बल्कि दिल की राह पर चलना चाहिए।

शम्स तबरेज़
  • संबंधित विषय : दिल
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मन—जिसमें मस्तिष्क और हृदय समाविष्ट हैं—को पूर्ण संगति में होना चाहिए।

जे. कृष्णमूर्ति

मनुष्य का ज्ञान कितना कालसापेक्ष और स्थितिसापेक्ष है—यह चिंतन के इतिहास से जाना जा सकता है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

सीमित लोगों से परिचय हो, ज़िंदगी में ख़ुद के लिए वक़्त हो, बिना मतलब दूसरों की दख़लअंदाज़ी हो, दिमाग़ शांत रहे तो दिल ख़ुश रहता है।

साइमन गिलहम

मस्तिष्क में आया हुआ विचार मनुष्य के चरित्र का आरंभ है।

जेम्स एलन

मस्तिष्क के हज़ारों नेत्र होते हैं, और हृदय का एक, परंतु प्रेम के समाप्त होते ही संपूर्ण जीवन का प्रकाश समाप्त हो जाता है।

फ़्रांसिस विलियम बॉर्डिलन

दिमाग़ तो वास्तव में बीमार हो नहीं सकता, संज्ञानात्मक आयाम ही सही या ग़लत; वैध या अवैध हो सकता है, लेकिन बीमार नहीं हो सकता। जो चीज़ बीमार हो सकती है, रोगी हो सकती है—वह मानसिकता है।

विक्टर ई. फ्रैंकल

बुद्धि से किया गया कोई भी काम आसानी से नहीं टूटता, जबकि प्यार आसानी से टूट कर बिखर जाता है।

शम्स तबरेज़

जीवन कंटकमय है एवं योवन निरर्थक। और प्रेमी का रुष्ट हो जाना मस्तिष्क में पागलपन का सा काम करता है।

सैम्युअल टेलर कॉलरिज

भाषा मानव मस्तिष्क की वह शस्त्रशाला है जिसमें अतीत की सफलताओं के जयस्मारक और भावी सफलताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह साथ-साथ रहते हैं।

सैम्युअल टेलर कॉलरिज

तुम्हारे ज्ञान की क़ीमत तुम्हारे कामों से होगी। सैंकड़ों किताबें दिमाग़ में भर लेने से कुछ लाभ मिल सकता है किंतु उसकी तुलना में काम की क़ीमत कई गुना ज़्यादा है। दिमाग़ में भरे हुए ज्ञान की क़ीमत उसके अनुसार किए गए काम के बराबर ही है। बाक़ी का सब ज्ञान दिमाग़ के लिए व्यर्थ का बोझ है।

महात्मा गांधी

बहुत उदरस्थ करने के बजाए, थोड़ा कंठस्थ करना ज़्यादा अच्छा है।

अमृतलाल वेगड़

मस्तिष्क—वह यंत्र जिससे हम सोचते हैं कि हम सोचते हैं।

एम्ब्रोस बियर्स