विलियम शेक्सपियर के उद्धरण
अंतःकरण तो कायरों द्वारा प्रयुक्त शब्दमात्र है, सर्व-प्रथम इसकी रचना शक्तिशालियों को भयभीत रखने के लिए हुई थी।
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संसार भर में कहाँ है नारी के नेत्र के समान सौंदर्य सिखाने वाला अन्य लेखक?
हमारा जीवन मनुष्यों के संपर्क से मुक्त होकर वृक्षों में वाणी, गतिशील सरिताओं में पुस्तकें, शिलाओं में सदुपदेश तथा प्रत्येक वस्तु में अच्छाई का दर्शन करने लगता है।
क्या तुम नहीं जानते कि मैं औरत हूँ? जब मैं सोचती हूँ तो बोलूँगी ही।
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संबंधित विषय : स्त्री
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हम ऐसी सामग्री से बने हैं, जिसके स्वप्न बने होते हैं और हमारे लघु जीवन का अंत निद्रा से होता है।
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शोभा, शासन, व राज्य, मिट्टी और धूल के अतिरिक्त क्या हैं? और हम चाहे जैसे जीवित रहें, अंत में मरना तो पड़ेगा ही।
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जितना दिखाते हो उससे अधिक तुम्हारे पास होना चाहिए; जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए;
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नाम में क्या रखा है? गुलाब के पुष्प को किसी और नाम से पुकारने पर भी उसकी गंध तो उतनी ही मधुर होगी।
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कार्यालय एवं प्रेम के मामलों को छोड़कर अन्य सभी बातों में मित्रता स्थिर रहती है। अतः प्रेम में सभी हृदय अपनी भाषा को प्रयोग करते हैं। हर नेत्र स्वयं बात करे और किसी माध्यम पर विश्वास न करे।
बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी अपने वर्तमान दुःखों के लिए रोया नहीं करते, अपितु वर्तमान में दुःख के कारणों को रोका करते हैं।
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संबंधित विषय : उदासी
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कवि लिखने के लिए तब तक लेखनी का प्रयोग नहीं करता जब तक उसकी स्याही प्रेम की आहों से कोमल न बना दी गई हो।
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दुर्बलतम शरीरों में अहंकार प्रबलतम होता है।
दुःखी व्यक्तियों के पास आशा ही एकमात्र औषधि होती है।
न तो ऋण माँगने वाले बनो, न देने वाले, क्योंकि प्रायः ऋण अपने को और मित्र दोनों को खो देता है और ऋण माँगना, मितव्ययिता के स्वभाव को शिथिल कर देता है।
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प्रत्येक व्यक्ति की बात सुनो परंतु किसी से भी कुछ मत कहो। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा निंदा सुन लो पर अपना निर्णय सुरक्षित रखो।
प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति के नेत्र में चिंता जागती रहती है और जहाँ चिंता रहती है वहाँ निद्रा कभी नहीं आएगी।
वे (नारी-नेत्र) ही वे पुस्तकें, कलाएँ और शिक्षापीठ हैं जो समस्त संसार को प्रकट करते हैं, रखते और पोषित करते हैं।
मेरे स्वामी! पुरुष या स्त्री का यश ही उनकीआत्माओं की जीवनवाणी है। जो मेरा धन चुराता है, वह केवल कचरा चुराता है, धन तो कुछ नहीं है, वह मेरा था, अब उसका है और हज़ारों का दास रह चुका है। परंतु जो मुझसे मेरा यश छीनता है, वह मुझे ऐसी वस्तु से वंचित करता है जिससे वह स्वयं तो धनवान नहीं बनता परंतु मैं वास्तव में दरिद्र बन जाता हूँ।
कायर लोग अपनी मृत्यु से पूर्व बहुत बार मरते हैं किंतु वीर केवल एक बार ही मृत्यु का स्वाद लेते हैं।
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देवियों, आहें मत भरो। पुरुष सदैव ही धोखेबाज़ रहे है। इनका एक पैर समुद्र में रहता है और एक तट पर। यह किसी एक वस्तु के प्रति निष्ठावान नहीं रहे।
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अभी भी स्वर्ग सर्वोपरि है, वहाँ एक न्यायाधीश विराजमान है जिसे कोई भी राजा भ्रष्ट नहीं कर सकता।
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बुद्धिमता के साथ और धीमे चलो। जो तेज़ भागते हैं, उन्हें ठोकर लगती है।
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संबंधित विषय : गति
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मनुष्य की अपेक्षा फ़ैशन ही वस्त्रों को अधिक छिजा देता है।
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संबंधित विषय : मनुष्य
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मेरे पास नारी-तर्क के अतिरिक्त कोई अन्य तर्क नहीं है अर्थात् यह कि मैं उसे ऐसा मानती हूँ। क्योंकि मैं उसे ऐसा मानती हूँ।
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मौन आनंद का पूर्ण अग्रदूत है। आनंदमय नहीं हूँ यदि मैं बता सकूँ कि कितना आनंदित हूँ।
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