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क़लम पर उद्धरण

वस्तुतः मैं अपनी क़लम के माध्यम से सोचता हूँ, क्योंकि मेरे मस्तिष्क को तो बहुधा पता ही नहीं होता कि मेरे हाथ क्या लिख रहे हैं।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन
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बहुत सारी क़लमों की स्याही सही शब्द लिखे जाने की प्रतीक्षा में रुलाई बनकर लीक हो जाती है।

सिद्धेश्वर सिंह

जो लोग कलम का इस्तेमाल करते हैं, वे ख़तरनाक हो सकते हैं।

ओल्गा टोकारज़ुक

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