
साँस रुकती है, उसे मौत कहते हैं। गति रुकती है, तब भी मौत है। हवा रुकती है, वह भी मौत है। रुकान सदा मौत है। जीवन नाम चलने का है।

गति का अर्थ है—एक समय और एक स्थान से दूसरे समय और स्थान में प्रवेश करना, अर्थात् परिवर्तन। यह परिवर्तन ही गति है, गति ही जीवन है! अमरता का अर्थ है—अपरिवर्तन, गतिहीनता।

गति के प्रत्येक रूप में मौजूद विशिष्ट मूलवस्तु उसके अपने विशिष्ट अंतर्विरोध द्वारा निर्धारित होती है—यह बात केवल प्रकृति पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और विचारगत घटनाओं पर भी लागू होती है।

गति के किसी भी रूप के भीतर अपना विशिष्ट अंतर्विरोध निहित होता है।

प्रकृति में गति के अनेक रूप विद्यमान हैं : यांत्रिक गति, ध्वनि प्रकाश, ताप, विद्युत, विघटन, संघटन आदि। ये सभी रूप एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, लेकिन मूलवस्तु की दृष्टि से ये एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

बुद्धिमता के साथ और धीमे चलो। जो तेज़ भागते हैं, उन्हें ठोकर लगती है।