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गर्व पर उद्धरण

गर्व वैसे तो नकारात्मक

और सकारात्मक दोनों ही अर्थों में अहंभाव को प्रकट करता है, लेकिन प्रस्तुत संचयन में इसके विविध आयामों से गुज़रा जा सकता है।

एकमात्र गुण जिस पर मुझे गर्व है, वह मेरा स्वयं पर संदेह करना है; जब कोई लेखक इसे खो देता है, तब उसके द्वारा लिखना बंद कर देने का समय जाता है।

कोलेट
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इस्लाम ने भारतीयता की स्थूलता को एक हज़ार वर्ष में छिन्न-भिन्न किया तो उसे ही सूक्ष्म स्तर पर पहले ईसाइयत ने और बाद में साम्यवादी-दर्शन ने गत पचास वर्षों में संपन्न किया।

श्रीनरेश मेहता
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