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वैश्विक कविता पर कविताएँ

विदा

सर्गेई येसेनिन

झूठ

येव्गेनी येव्तुशेंको

मित्रों की विदाई

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

हाँ और ना

मर्गारीता अलिगेर

स्वागत

सिल्वा कपुतिक्यान

दांते की समाधि के पास

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

बुलाना नहीं...

अलेक्सांद्र ब्लोक

यास्वो के नज़दीक भुखमरी शिविर

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

रात के धुँधलके से ढकी

अलेक्सांद्र ब्लोक

सैर

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

शिखरों का समवेत गान

निकोलाई असेयेव

भारत के कवियों के प्रति

इराकली अबाशीद्ज़े

किरोव हमारे साथ है

निकोलाई तिखोनोव

क़ब्रगाह के पायदान...

अलेक्सांद्र ब्लोक

विकिरण रोग

रोबेर्त रोज़्देस्त्वेंस्की

एक मुक्तक

वेलिमिर ख्लेब्निकोव

वाइन पीते हुए

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अपने बेटों के बेटे

इलिया एहरेनबुर्ग

रूसी क्रांति के प्रति

वालेरी ब्रियुसोव

चिंतन एक कुमारी का

मिखाइल इसाकोव्स्की

तुम देखते हो...

अलेक्सांद्र ब्लोक

एक वसीयत के प्रारूप की प्रतिलिपि

यारोस्लाव स्मेलयाकोव

इतवार को अपने हृदय से

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अस्पताल से रपट

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

वसीयत

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

माँ को पत्र

सर्गेई येसेनिन

वियतनाम

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

प्रतीक्षा न करो...

अलेक्सांद्र ब्लोक

सुबह का गीत

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

एक अमरीकी लेखक से बातचीत

येव्गेनी येव्तुशेंको

यह उत्कट जिप्सी प्रेम

मारीना त्स्वेतायेवा

ऊँट का बोझा

ग़फ़ूर ग़ुलाम

भूखा

निकोलाइ नेक्रासोव

ख़ुद से पूछे गए सवाल

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

भद्रता

येव्गेनी येव्तुशेंको

प्रेयसी से

व्लादिमीर सोलोवएव

हंस की मौत

याकोव पोलोन्स्की

सुबह चार बजे

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

मनुज

गेवोर्ग यमिन

अलग-अलग

काइसिन कुलियेव

हाथी छोटे-से

मर्गारीता अलिगेर

सैनिक का हृदय

अलेक्सांद्र प्रोकोफ्येव

गुलाब-युद्ध

मक्सिम रिल्स्की

बे-कटा खेत

निकोलाइ नेक्रासोव

गोया

अंद्रेई वोज़्नेसेंस्की

अफ़्रीक़ा

मिर्ज़ो तुर्सुनज़ादे

आएँगे दिन उन कविताओं के

मारीना त्स्वेतायेवा

छोटा-बड़ा

रसूल हमज़ातोव

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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